पब्लिक वार्ता – नई दिल्ली,
जयदीप गुर्जर। हर शुभ कार्य के पूजन में सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की मान्यता है। उनके बाद अन्य देवताओं की पूजा की जाती हैं। किसी भी कर्मकांड में श्री गणेश की पूजा-आराधना सबसे पहले की जाती है क्योंकि गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, और आने वाले सभी विघ्नों को दूर कर देते हैं। भगवान गणेश जी ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं। इसलिए उनकी कृपा से संपदा और समृद्धि में कमी नहीं रहती। श्री गणेश जी को दूर्वा और मोदक अत्यंत प्रिय है। भारत में हिंदू पंचांग के अनुसार 19 सितंबर मंगलवार को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।
रतलाम के ज्योतिषाचार्य पं. धीरज शर्मा के अनुसार गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023 पर मंगलवार को प्रातः से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक स्थापना का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पंचमी तिथि लग जाएगी। इस बार चंद्रमा व गुरु के दृष्टि संबंध में गजकेसरी योग में श्री गणेश चतुर्थी का महापर्व मनाया जाएगा। इसके अलावा गणेश चतुर्थी में इस बार वैधृति और स्वाति नक्षत्र का योग बन रहा है। यह एक अद्वितीय मुहूर्त है। साथ ही सूर्य और बुध के आपसी राशि परिवर्तन से बुधादित्य योग पूरे 10 दिन गणेश उत्सव में बना रहेगा। इस योग में पूजन अर्चन करने से बुद्धि का बल बढ़ता है। बुद्धि का विकास होने के साथ ही वह सही दिशा में कार्य करती है। शुभ मुहूर्त चौघड़िया अनुसार सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजे तक लाभ व उसके बाद 1 बजकर 30 मिनट तक अमृत योग रहेगा। भक्त कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं करे। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं। इसकी सावधानी जरूर रखे।