क्या कहते है एक्सपर्ट?
कम होते जंगलों और शिकार ने बढ़ाया शहर में तेंदुओं का मूवमेंट, किसी की जान लेकर उड़ेगी विभाग की सुस्ती!
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। शहर में तेंदुए के घुस आने से लोगों में दहशत और अफरा तफरी मच गई। रविवार शाम 5 बजे से सोशल मीडिया पर तेंदुए की मूवमेंट के मैसेज वायरल होना शुरू हो गए। उसकी लोकेशन के बारे में जानने की कोशिश की गई तो मालूम हुआ कि तेंदुआ शहर की रेलवे कॉलोनी में डेरा डाले हुए है। जिसके बाद पुलिस के साथ ही वन विभाग की टीम को सूचना दी गई। करीब 3 घण्टे तक वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची। लोगों की भीड़ मौके पर जमा होने लगी तो तेंदुआ गांधीनगर, मीरा कुटी की तरफ चला गया। भीड़ होने से तेंदुआ फिर से रेलवे कालोनी की रोड नंबर 13 की तरफ आ गया। इस दौरान उसे देखने आए युवक सतीश मीणा पर तेंदुए ने हमला कर दिया, जिससे कमर के पास चोट पहुंची। बाद में डीएफओ डीएस निगवाल ने पहुंचकर लोगों से जानकारी ली। इस दौरान रेलवे पुलिस व अधिकारी भी मौके पर पहुंच चुके थे। गौरतलब है कि बढ़ती घटनाओं के बाद भी वन विभाग के पास संसाधन के नाम पर सिर्फ पिंजरा ही है। ट्रेंकुलाइजेशन के लिए उज्जैन व इंदौर से टीम बुलाई गई है।
डीएफओ निगवाल ने बताया की जंगली जानवर की सूचना मिली थी। प्रथम दृष्टया वीडियो और पूछताछ में तेंदुआ ही लग रहा है जो कि जंगल के रास्ते भटक गया होगा। इंदौर व उज्जैन में टीम को सूचना कर दी गई है। तेंदुआ हिंसक जानवर है, लोग भीड़ उसे देखने के लिए भीड़ नहीं जमा करे। टीम के आने तक उसकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है। दिखाई देने पर उसे रेसक्यू किया जाएगा। फिलहाल क्षेत्रवासी अब डर के मारे घबराए हुए है। घटना के दौरान क्षेत्र में बिजली जाने से अंधेरा छा गया जिससे रहवासियों में और दहशत बढ़ गई।
वन विभाग की सुस्ती, लगातार बढ़ रहा मूवमेंट :
यहां विभाग के कई कर्मचारी ऐसे है जो हाजरी लगाने के बाद घरों में आराम फरमाते नजर आते है। तेंदुओं की रहवासी इलाकों में घुसपैठ को रोकने को लेकर विभाग के पास अब तक कोई ठोस योजना नहीं है। किसी दिन यह सुस्ती किसी नागरिक की जान लेकर ही उड़ेगी। रतलाम जिले में सैलाना, पिपलौदा क्षेत्र में तेंदुए की सक्रियता रहती है। 15 मार्च 2022 को रतलाम में सागोद रोड स्थित मांगलिक भवन जेएमडी में तेंदुआ घुस गया था, जो थोड़ी देर रहने के बाद वापस चला गया। हालांकि वन विभाग ने उसे जंगली बिल्ली करार देकर पल्ला झाड़ लिया था। इधर नवंबर 2019 में बड़ायला माताजी में तेंदुआ घुस आया था, जिसे पकड़कर वन विभाग की टीम ने गांधीसागर के वन क्षेत्र में छोड़ा था। इसी वर्ष मार्च से जुलाई तक सैलाना के ग्राम पंचायत पाटड़ी व बरड़ा के कई ग्रामों में रात्रि में तेंदुए ने बकरे-बकरियों व कुछ गाय-बछड़े का शिकार किया था। पांच जुलाई को तेंदुआ बोदिना में एक घर में घुसा, तब विभाग की टीम ने पिंजरा लगाकर पकड़ने के बाद देवास वनक्षेत्र में छोड़ा। यहां भी शुरुआत में वन विभाग ने तेंदुए के होने की बात से इंकार किया था।
क्या कहता है एक्सपर्ट व्यू :
तेज से शहरीकरण के अलावा और भी कई कारण हैं जिससे देश भर के शहरी इलाकों में तेंदुए देखे जा रहे हैं और वह मनुष्यों पर हमले भी कर रहे है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि रियल एस्टेट परियोजनाओं ने तेंदुओं के प्राकृतिक आवास को कम कर दिया है जिससे वे मनुष्यों के रिहायशी इलाकों में भटक कर आने लगे है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अब तेंदुओं को अपने अधिकार क्षेत्र वाले जंगलों में कम शिकार मिल रहे हैं, उनका अधिकार क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है, आंतरिक संघर्ष बढ़ गए हैं और मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है जिससे वह ‘तनावग्रस्त’ हो गए हैं। बाघों जैसी बड़ी पैंथेरा प्रजातियों के विपरीत तेंदुए मानव बस्तियों के आसपास भी रह सकते है। इसके अलावा शिकार की प्रजातियों की कमी के कारण भी तेंदुए कुत्तों, बकरियों और कुछ मामलों में गायों जैसे छोटे स्तनधारियों की तलाश में बस्ती क्षेत्रों में चले जाते है। एक रिपोर्ट के अनुसार आदमखोर तेंदुए जानबूझ कर मारने के इरादे से हमला करते हैं और लोगों की मौत का कारण बनते है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेंदुए आमतौर पर मनुष्यों से दूर भागते है मगर वक्त के साथ तेंदुओं के मनुष्यों के रिहाइश वाले इलाकों में आने और उन पर हमला करने की वारदात बढ़ रही है।