Ratlam News: हल्दीघाटी एक्सप्रेस में चेकिंग स्टाफ की सतर्कता से नाबालिग बच्ची को बचाया गया, RPF को सौंपी गई जिम्मेदारी

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp
Telegram

चित्तौड़गढ़ मुख्यालय के टिकट निरीक्षक की सूझबूझ से बच्ची परिवार से बिछड़ने से बची

रतलाम- पब्लिक वार्ता,

न्यूज़ डेस्क| Ratlam News: रेल यात्राओं के दौरान सतर्क चेकिंग स्टाफ न केवल टिकट जांच में माहिर होते हैं, बल्कि संवेदनशील परिस्थितियों में भी जिम्मेदारी निभाते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया हल्दीघाटी एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 19817) में, जहां उप-मुख्य टिकट चेकिंग निरीक्षक शंकरलाल राठौर की सतर्कता से एक 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची को सही समय पर बचाया जा सका।

जावरा स्टेशन से चढ़ी बच्ची अकेली मिली
18 अप्रैल को ट्रेन जावरा स्टेशन से रवाना होने के कुछ देर बाद एस-1 कोच में एक नाबालिग लड़की अकेली बैठी मिली। जब टिकट की पूछताछ की गई, तो बच्ची ने बताया कि उसके पापा ने उसे बैठाया है और वे भी ट्रेन में चढ़ने वाले हैं। ट्रेन पहले ही जावरा से निकल चुकी थी, ऐसे में उप-निरीक्षक राठौर को बच्ची की बातों और उसके हावभाव में असामान्यता महसूस हुई।

पूछताछ में सामने आया बड़ा संकेत
बच्ची को अपनी सीट के पास बैठाकर श्री राठौर ने दोबारा बातचीत की, जिसमें उसने यह स्वीकारा कि वह अपने माता-पिता के पास नहीं जाना चाहती और किसी भी परिजन का संपर्क नंबर भी देने से इनकार कर दिया। इससे स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए उन्होंने तुरंत वाणिज्य नियंत्रण कक्ष को इसकी सूचना दी।

मंदसौर स्टेशन पर RPF को सौंपी गई बच्ची
ट्रेन के मंदसौर पहुंचने पर बच्ची को रेलवे सुरक्षा बल (RPF) को सौंप दिया गया, जिससे आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। चेकिंग स्टाफ की तत्परता और मानवीय समझदारी के चलते बच्ची को किसी भी संभावित खतरे से बचा लिया गया।

टिकट निरीक्षकों की भूमिका सिर्फ जांच तक सीमित नहीं
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि रेलवे का चेकिंग स्टाफ केवल टिकट जांच तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में भी पूरी तरह सजग और सतर्क है। ऐसी घटनाएं रेलवे में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों की संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाती हैं।

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp
Telegram