त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम समिति का 3 दिवसीय आयोजन, डालूमोदी बाजार में जुटे खेल प्रेमी
रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। शहर के मध्य में आयोजित त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम समिति के तीन दिवसीय पारंपरिक चंटिया खेल कार्यक्रम ने पुराने जमाने की यादों को ताजा कर दिया। 26 से 28 सितंबर तक आयोजित इस आयोजन में सैकड़ों की संख्या में पुरुष खिलाड़ी बांस की चंटियों के साथ पुराने फिल्मों के सदाबहार नगमों पर थिरकते नजर आए। रिमझिम बारिश और ढोल की थाप के साथ शहनाई की सुमधुर धुनों पर खेल प्रेमियों और दर्शकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। परंपरागत तौर पर चंटियों को पुरुषों का गरबा कहा जाता है। इसमें पुरुषों के हाथ में छोटे डांडिया नहीं बल्कि 3 से 4 फिट के डंडे होते है।
यह कार्यक्रम डालूमोदी बाजार में आयोजित किया गया, जहां रात 8:30 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। जैसे-जैसे रात ढलती गई, माहौल और भी जीवंत हो उठा। यह आयोजन खासतौर से पुरुषों के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के पुरुष खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। पुरानी पीढ़ी के खिलाड़ी जहां अपने अनुभवों और खेल के प्रति समर्पण को दर्शाते नजर आए, वहीं युवा पीढ़ी भी अपनी ऊर्जा और उत्साह से कार्यक्रम में रंग भरते दिखे।
पुराने दिनों की परंपरा को जीवित रखने का प्रयास
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पुरानी परंपराओं को जीवित रखना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है। पुराने खिलाड़ी बताते है की चंटिया खेलने की परंपरा राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही है। महाराजा सज्जनसिंह के समय में यह खेल महलवाड़ा में खेला जाता था, फिर थावरिया बाजार और अब डालूमोदी बाजार में इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। उन्होंने त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम समिति के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह आयोजन पुराने दिनों की यादें ताजा कर देता है। शहर के युवाओं को आगे आकर इसमें सहभागिता करना चाहिए।
सदाबहार गीतों की गूंज और खिलाड़ियों का जोश
कार्यक्रम की शुरुआत गुरुवार रात दीप प्रज्ज्वलित कर की गई, जिसमें शहर के अखाड़े और व्यायामशाला के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। चंटियों की खनक और खिलाड़ियों के पैरों की लय का तालमेल शहनाई वादक और ढोल की थाप के साथ मिलकर मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रहा था। एक से बढ़कर एक पुराने सदाबहार गीतों की धुनों पर सभी खिलाड़ी पूरे जोश के साथ चंटिया खेलते नजर आए।
तीन दिन तक रहेगा उत्साह
त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम के संस्थापक अध्यक्ष सुरेंद्र वोरा और अध्यक्ष राकेश पीपाड़ा ने बताया कि यह आयोजन 28 सितंबर तक चलेगा। आयोजन स्थल पर चंटियों की विशेष व्यवस्था मंच के समीप की गई थी, ताकि खिलाड़ी बिना किसी बाधा के खेल सकें और दर्शक खेल का आनंद ले सकें। कार्यक्रम में शहरवासियों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और पुराने दिनों की यादों में खो गए। रिमझिम बारिश की फुहारों के बीच रातभर खिलाड़ियों ने चंटियों के खेल का भरपूर आनंद लिया। ढोल-शहनाई की धुनों पर सदाबहार गीतों के साथ खेल की मस्ती ने जैसे माहौल को संगीतमय बना दिया। न केवल पुराने खिलाड़ी बल्कि युवा पीढ़ी भी इस आयोजन में शामिल होकर अपने आप को रोक नहीं पाई और चंटिया खेलने का लुत्फ उठाया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम ने रतलाम के लोगों को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ा और एक बार फिर से इस परंपरा को जीवित रखने का संकल्प लिया।
परंपरा निभाता रतलाम: रिमझिम बारिश और सदाबहार गीतों पर खनके चंटिये, पुरुषों का गरबा बना आकर्षण
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