रतलाम- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: गुर्जर समाज ने इस वर्ष वंशवेल वृद्धि वाली दीपावली मंगलवार को परंपरागत आस्था और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ मनाई। समाजजनों ने प्रातःकाल से ही अपने घरों के भीतर रहकर वंश वृद्धि की विशेष पूजा का आयोजन किया। मान्यता है कि इस अनोखी परंपरा के पालन से परिवार का वंश आगे बढ़ता है और समृद्धि बनी रहती है।
इस वर्ष दो अमावस्या होने के कारण समाज में कुछ समय के लिए संशय की स्थिति उत्पन्न हुई थी। लेकिन समाजजनों ने आपसी सहमति और गुर्जर समाज के प्रमुख तीर्थ सवाई भोज धाम से मिले निर्देशों के अनुसार मंगलवार को ही पूजा संपन्न करने का निर्णय लिया।
गुर्जर समाज युवा इकाई के अध्यक्ष मुरलीधर गुर्जर ने बताया कि यह पूजा पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा है, जिसका मुख्य उद्देश्य वंश वृद्धि और कुल देवता की कृपा प्राप्त करना है। इस विशेष पूजा में केवल परिवार के सदस्य ही शामिल होते हैं, और परंपरा के अनुसार, पूजा के दौरान घर के दरवाजे बंद रखे जाते हैं ताकि कोई बाहरी व्यक्ति दर्शन न कर सके।
पूजा के दौरान समाजजन अपने व्यापार-व्यवसाय भी बंद रखते हैं और पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान श्री देवनारायण जी एवं कुल देवताओं की आराधना करते हैं। विशेष रूप से खीर, पुरी और चावल का भोग लगाया जाता है। पारंपरिक रीति से गोबर से दूध तलाई बनाई जाती है, जिसमें दूध और खीर डालकर दीपक जलाया जाता है। इस दीपक के प्रतिबिंब को निहारना इस पूजा का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है।
रतलाम सहित आसपास के गांवों और देशभर में बसे गुर्जर समाज के लोगों ने अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार इस पूजा को उत्साहपूर्वक संपन्न किया। कुछ श्रद्धालुओं ने सोमवार को भी वंशवेल वृद्धि पूजा की।
यह अनोखी परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि गुर्जर समाज की सांस्कृतिक विरासत और पारिवारिक एकता का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।