रतलाम- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: गुर्जर समाज महिला इकाई द्वारा दीपावली के बाद ग्यारस (छोटी दीपावली) के अवसर पर परंपरागत रीति से गोवर्धन जी का विधिवत विसर्जन किया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए गोवर्धन जी के समक्ष दीपक जलाए और सामूहिक प्रार्थना की।
दीपावली के अगले दिन पड़वा के साथ-साथ गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। गुर्जर समाज की महिलाओं द्वारा गाय के गोबर से गोवर्धन जी की प्रतिमा का निर्माण किया गया था, जिनका दस दिनों तक रीतिबद्ध पूजन किया गया। प्रत्येक दिवस अलग-अलग घरों की महिलाएँ अपने दीपक लेकर गोवर्धन जी के सामने आकर पूजा अर्चना करती थीं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती थीं।
ग्यारस के दिन महिला इकाई द्वारा सामूहिक आरती के बाद गोवर्धन जी के अवशेषों का विसर्जन किया गया। विसर्जन से पहले पूजा स्थल को साफ कर स्वास्तिक बनाकर दीपक जलाए गए। पूजा सामग्री से पशुधन के पैरों के निशान स्वरूप गोवर्धन जी का पुनर्निर्माण कर हल्दी-कुमकुम और खीर-चावल का भोग लगाया गया।
महिला इकाई प्रमुख दीपिका गुर्जर ने बताया कि गोवर्धन जी भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप माने जाते हैं और गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण जी को भी कृष्ण का अवतार माना जाता है। यही कारण है कि पशुपालन से जुड़े गुर्जर समाज की महिलाएं गाय के गोबर से गोवर्धन जी का निर्माण कर पूजा करती हैं। मान्यता है कि यदि पशु गोवर्धन जी के ऊपर से गुजरते हैं तो वे पूरे वर्ष रोगों से बचे रहते हैं।
विसर्जन के उपरांत गोबर से बने छोटे-छोटे कंडों (उपलों) का निर्माण कर उन्हें महिलाओं में बांटा गया। मान्यता है कि इन कंडों का हवन आदि में प्रयोग करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। अगले दिन पूजा सामग्री को बहते जल में विसर्जित कर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी गईं।
इस कार्यक्रम में महिला इकाई प्रमुख दीपिका गुर्जर, संगीता गुर्जर, सीताबाई गुर्जर, संतोष गुर्जर, लक्ष्मी गुर्जर, ज्योति गुर्जर, शकुंतला गुर्जर, ललिता गोहिल, राजकुवर, आशावत, भूरी बाई गुर्जर सहित बड़ी संख्या में समाज की महिलाएं उपस्थित रहीं।
