टिकट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में जमकर बवाल, भाजपा ग्रामीण में तो शुरू हुए उपवास
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के मुकाबलों का दौर अभी शुरू नहीं हुआ है। इससे पहले दोनों ही पार्टियों में अंदरूनी मुकाबले की अग्नि परीक्षा जारी है। भाजपा में संगठन के अच्छे मैनेजमेंट के चलते यह बाहरी स्तर पर कम दिखाई पड़ता है, मगर कांग्रेस में सबकुछ खुली किताब है। हम इधर उधर के फालतू कयास नहीं लगाएंगे जिससे आप भी बोर हो जाए। बात करते है सीधे मुद्दे की। देर रात कांग्रेस ने शहर से पारस सकलेचा को अपना दावेदार घोषित किया। सबकुछ ठीक चल रहा था मगर अचानक ही अज्ञात लोग आते है और पुतला जलाकर रवाना हो जाते है।
गौरतलब है कि मयंक जाट के मैदान छोड़ने के बाद ही बाकी को अपने अपने टिकट की आस जागी थी। ऐसे में प्रकाश प्रभु राठौड़ अपनी पूरी तैयारी में थे। चुनाव नजदीक आते ही इन्होंने रतलाम के मार्केट में अपनी मार्केटिंग शुरू कर दी। सनातनी झंडा उठाकर प्रभुजी ने धार्मिक कार्यक्रमों को करते हुए अपना चेहरा चमकाया। मगर अंत में कांग्रेस ने इनको दूर प्रणाम करते हुए पारस दादा को अपना दावेदार घोषित किया। अब प्रभु राठौड़ जी के निर्दलीय मैदान में उतरने की भी फुसफुसाहट बाजार में शुरू हो रही है। खेर इतनी बड़ी कांग्रेस में शहर में पारस दादा का पुतला किसने जलाया यह दोनों पार्टियों के लिए जांच का विषय है।
MP के किंग को जावरा में जगह नहीं :
जातीय संगठन करणी सेना से देशभर में चमके जीवनसिंह शेरपुर ने 2023 में राजनीतिक एंट्री की शुरुआत का एलान किया। खेर यह कोई नई बात नहीं है, की कोई सामाजिक संगठन से शुरुआत करते हुए फेम बेस बनाकर राजनीति में आ रहा हो। जीवनसिंह शेरपुर ने भी ठीक वैसा ही किया। मगर राजनीति में आने से पहले से 2018 के चुनाव में जीवनसिंह ने कांग्रेस को अप्रत्यक्ष रूप से पूरा समर्थन दिया। इस बार नगरीय निकाय में भी जीवनसिंह ने यही किया। जिसके बाद जीवनसिंह ने अपनी विधानसभा की तैयारी शुरू की और कांग्रेस से टिकट की लगभग ग्यारंटी भी समझी। मगर समर्थकों में एमपी का किंग कहे जाने वाले जीवनसिंह को कांग्रेस ने जावरा में जगह नहीं दी। जिसके पीछे कारण बेदाग छवि का नहीं होना बताया जा रहा है।
बरहाल जीवनसिंह का कहना है कि वे उनकी मांगों को लेकर अडिग है, इन मांगों को कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में जगह नहीं दी है। जीवनसिंह निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके है। फिलहाल जीवनसिंह शेरपुर 80 के करीब विधानसभा सीटों पर अपनी तैयारी की बात कह रहे है। ऐसे में अब कहीं और तो नहीं मगर जावरा में त्रिकोणीय मुकाबला जरूर देखने में आ सकता है। जीवनसिंह शेरपुर के समर्थकों का मानना है कि राजपूत समाज के अलावा अन्य समाज भी उनके साथ है।
खेर अब भाजपा की सूची का सभी को बेसब्री से इंतजार है। इस सूची में जावरा, आलोट और रतलाम ग्रामीण की स्थिति स्पष्ट होगी। मौजूदा रतलाम ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना दिल्ली-भोपाल दौड़ने में लगे है। वहीं पूर्व विधायक मथुरालाल डामर के समर्थकों का मानना है की त्याग व जनता के बीच रहने वाले “बा” को अवसर दिया जाए। ग्रामीण में मथुरालाल डामर की इस बार हवा तेज है। बात यह भी सामने आ रही है कि कई समर्थक इनके टिकट के लिए उपवास तक रख रहे है। लोग पूजा अनुष्ठान कर रहे है।