Ratlam News: श्री गुरु तेग बहादुर शैक्षणिक विकास समिति ने मनाया वीर बाल दिवस, सिख शहादत का हुआ स्मरण

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रतलाम- पब्लिक वार्ता,

न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: श्री गुरु तेग बहादुर शैक्षणिक विकास समिति द्वारा संचालित श्री गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल न्यू रोड और शास्त्री नगर में वीर बाल दिवस धूमधाम से मनाया गया। समिति प्रवक्ता सरदार सुरेंद्र सिंह भामरा ने बताया कि इस अवसर पर सिख गुरुओं, साहिबजादों और माता गुजरी की वीरता एवं शहादत को याद करते हुए विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।  

प्रदर्शनियों और आयोजनों के माध्यम से बच्चों को कराया गया इतिहास से परिचित

न्यू रोड और शास्त्री नगर के विद्यालयों में शहीद सिख गुरुओं की जीवन गाथा और बलिदान को प्रदर्शित करने वाली विशेष प्रदर्शनी लगाई गई। इसके अलावा, साहिबजादों की शहादत को दर्शाने वाले कार्यक्रम भी हुए। इन आयोजनों का उद्देश्य बच्चों को सिख इतिहास और उनकी शौर्य गाथाओं से अवगत कराना था।  

समिति अध्यक्ष ने दिया प्रेरणादायक संदेश

कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि सिखों का इतिहास वीरता, धर्म की रक्षा और बलिदान के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी को हिंद की चादर कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने हिंदुस्तान के धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। दसवें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने भी धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, इसलिए उन्हें सरवंशदानी कहा जाता है।  

गुरनाम सिंह ने कहा कि जब मुगलों ने कश्मीरी पंडितों पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला, तब सिखों ने सबसे पहले उनकी रक्षा के लिए कदम उठाया। साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी वीरता और बलिदान आज भी प्रेरणादायक है।  

बच्चों को किया सम्मानित, वितरित हुआ दूध का प्रसाद

कार्यक्रम में भाग लेने वाले बच्चों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शहीद भाई मोती महरा की स्मृति में बच्चों को दूध का प्रसाद वितरित किया गया।  

इस आयोजन में समिति के उपाध्यक्ष हरजीत चावला, सचिव अजीत छाबड़ा, कोषाध्यक्ष देवेंद्र सिंह वाधवा, प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह भामरा, समिति सदस्य सतपाल सिंह डंग, धर्मेंद्र गुरु दत्ता, प्राचार्य मेघा वैष्णव, प्रधान अध्यापिका सरला माहेश्वरी, इंचार्ज मनीषा ठक्कर सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी और समाजजन उपस्थित रहे।  

वीरता और शहादत की प्रेरणा देने वाले ये आयोजन न केवल बच्चों को सिख इतिहास से जोड़ते हैं, बल्कि उनके चरित्र निर्माण में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

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