पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। भारतीय रेल प्रशासन यात्री सुविधा के चाहे कितने ही दावे करता हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। ऐसा ही एक मामला पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल का सामने आया है। जहां एक यात्री ने रेल में सफर के दौरान अटेंडर से बेडरोल, चादर व तकिया मांगा लेकिन उसे नहीं दिया गया। इसकी शिकायत उसने टीसी व रेलवे के हेल्पलाईन पर भी की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद यात्री ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में परिवाद दायर किया। परिवाद पश्चिम रेलवे के रतलाम और अहमदबाद मंडल के प्रबंधक यानी डीआरएम के खिलाफ दायर किया गया था। जिस पर आयोग ने परिवादी को 10 हजार रुपये का मुआवजा और 2 हजार रुपये परिवाद व्यय 1 महिने में देने का आदेश जारी किया। 3 जुलाई बुधवार को आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार तिवारी व सदस्य श्रीमती जयमाला संघवी ने तथ्यों के आधार पर परिवादी के पक्ष में यह फेसला सुनाया। 17 माह बाद आए परिवाद के फेसले ने रेलवे के यात्री सुविधाओं की तमाम बातों और कोशिशो को शिगुफा साबित कर दिया है।
परिवादी मंथन मुसले ने बताया में अपने मित्रों के साथ रतलाम से पालीताना तीर्थ यात्रा पर गया था। दिनांक 2 जनवरी 2023 को अहमदाबाद से रतलाम लोटने के लिए ट्रेन संख्या 20935 गांधीधाम-इंदौर सुपरफास्ट के थर्ड एसी में कंफर्म टिकट लिया। यात्रा के दौरान मिलने वाले बेडशीट, तकिया व चादर अटेंडर से मांगने पर भी उसने नहीं दी। ट्रेन में मौजूद टीसी को शिकायत की गई लेकीन कोई निराकरण नहीं हुआ। टीसी के कहने पर रेल हेल्पलाईन नंबर 139 पर कॉल किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। रेलवे के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण सर्दी का मौसम होने से मेरी तबीयत भी बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। रेलवे में पसरी अव्यवस्था के खिलाफ 18 जनवरी 2023 को उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया था। पब्लिक वार्ता ने डीआरएम रजनीश कुमार से जब पक्ष जानना तो उन्होने ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं होने का हवाला देते हुए अनभिज्ञता जाहिर की।