पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गाय को ‘गौ माता’ का दर्जा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में इस महत्वपूर्ण निर्णय पर चर्चा की गई और इसे सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई। यह निर्णय भारतीय संस्कृति में गाय के महत्व को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
शिंदे सरकार की बड़ी घोषणा
महायुती सरकार ने आदेश जारी करते हुए गाय को ‘राज्यमाता गौ माता’ का दर्जा देने का निर्णय लिया। सरकार ने कहा कि वैदिक काल से ही गाय का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। गाय के दूध, गोबर और गोमूत्र का उपयोग न केवल मानव आहार में, बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा, पंचगव्य उपचार और जैविक खेती में भी होता है। इसी के मद्देनज़र महाराष्ट्र सरकार ने देशी गाय को ‘गौ माता’ का दर्जा देकर उसे एक विशेष सम्मान प्रदान किया है।
गाय के दूध और उत्पादों का महत्व
कैबिनेट बैठक में चर्चा के दौरान यह कहा गया कि देशी गाय के दूध को स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा पंचगव्य चिकित्सा और जैविक कृषि में गाय के गोबर और गोमूत्र का प्रमुख स्थान है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गाय को विशेष दर्जा देने का निर्णय लिया है, जो वैदिक काल से चली आ रही परंपराओं का समर्थन करता है।
आयुर्वेद और जैविक खेती में गाय का योगदान
सरकार ने कहा कि आयुर्वेद और पंचगव्य चिकित्सा पद्धति में गाय से प्राप्त उत्पादों का विशेष महत्व है। गोबर और गोमूत्र का उपयोग जैविक खेती में किया जाता है, जिससे पर्यावरण को भी संरक्षण मिलता है। इस फैसले से न केवल भारतीय कृषि और चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि गाय के संरक्षण और उसकी देखभाल में भी सुधार होगा।
गौ माता का दर्जा: एक ऐतिहासिक कदम
यह फैसला महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के साथ-साथ गायों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इस निर्णय के बाद राज्यभर में गायों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं भी शुरू की जा सकती हैं।