Ratlam News: बालम ककड़ी खाने से परिवार हुआ फूड प्वाइजनिंग का शिकार, 5 वर्षीय बालक की मौत, रखे ये सावधानियां

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रात में सभी की तबीयत अचानक खराब हो गई और उल्टियां होने लगीं, रतलाम के सैलाना में सबसे ज्यादा होता है उत्पादन, खाने से पहले सावधानियां रखनी जरूरी

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Ratlam News: रतलाम के जड़वासा कलां गांव में कथित तौर पर बालम ककड़ी खाने से एक ही परिवार के पांच लोग फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गए, जिसमें 5 वर्षीय बालक की इलाज के दौरान मौत हो गई। माता-पिता और दो बेटियां मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों का कहना है कि यह मामला फूड प्वाइजनिंग का दिखाई दे रहा है, जिसकी वजह से पूरे परिवार की तबीयत बिगड़ी।

जानकारी के अनुसार परिवार ने बालम ककड़ी खाई थी, जो सीजन में मिलने वाला एक स्थानीय फल है। परिवार के सदस्य  मांगीलाल पाटीदार ने अपनी पत्नी कविता, बेटियां दक्षिता, साक्षी और बेटे क्रियांश के साथ बालम ककड़ी खाई थी। रात में सभी की तबीयत अचानक खराब हो गई और उल्टियां होने लगीं। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए रतलाम के मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां 5 वर्षीय क्रियांश की मौत हो गई, जबकि अन्य सदस्यों का इलाज जारी है।

मृतक बालक के चाचा रवि पाटीदार ने बताया कि मांगीलाल तीन दिन पहले सैलाना-धामनोद रोड से बालम ककड़ी खरीदकर लाए थे। परिवार के सभी सदस्यों ने इसे एक साथ खाया, जिसके बाद यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। परिवार के इंकार के बाद मृतक बालक का पोस्टमार्टम नहीं हो सका, इसलिए मृत्यु की असल वजह स्पष्ट नहीं हो पाई, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि यह फूड प्वाइजनिंग का मामला हो सकता है। फिलहाल, पिता की हालत में सुधार होने पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है, जबकि मां और दोनों बेटियों का इलाज मेडिकल कॉलेज में जारी है।

कीटनाशक भी हो सकती है वजह
रतलाम मेडिकल कॉलेज के ऐपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव बोरीवाल ने बताया कि पांचों मरीज फूड पॉइजनंग के कारण बीमार होकर आए थे। सही इलाज मिलने में लंबा गैप होने से भी स्थिति बिगड़ी। क्रियांश का ब्लड सैम्पल लिया है, जांच करवाई जाएगी। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. विनय शर्मा ने कहा कि प्रथम दृष्टया बच्चे की मौत फूड पॉइजनिंग से हुई है। मां और दो बेटियों को इलाज किया जा रहा है। पुलिस चौकी को इन्वेस्टिगेशन के लिए लिखकर दिया था। वहीं, पुलिस चौकी प्रभारी सुनील राघव ने बताया कि फिलहाल इस तरह का मामला नहीं आया है। जानकारी आएगी तो पड़ताल की जाएगी। विशेषज्ञों की माने तो बच्चे की मौत को सीधे तौर पर बालम ककड़ी का इफेक्ट नहीं मान सकते। इसकी पैदावार में पेस्टीसाइट्स का उपयोग किया जाता है। हो सकता है कि परिवार ने खाने से पहले ककड़ी को अच्छी तरह धोया नहीं होगा। उल्टी-दस्त के कारण बच्चों के शरीर में पानी की कमी आ जाती है, इससे भी मौत हो सकती है।

रखे ये सावधानी
बालम ककड़ी या साधारण ककड़ी/खीरा खाने से पहले सावधानियां रखनी जरूरी है। ककड़ी का कच्चा फल जहरीला होता है, खाने से बीमार हो सकते हैं। ककड़ी को बेल से तोड़कर सीधे नहीं खाना चाहिए। ककड़ी पर कीट से बचाने के लिए जिन कीटनाशक का प्रयोग होता है, उनका असर 5 से 6 दिनों तक नहीं जाता है, ऐसे में किसान कीटनाशक का छिडकाव करने के 1 से 2 दिन में अगर फसल बेचते है तो यह खतरनाक साबित हो सकता है। जब भी आप ककड़ी ले उसे पानी से अच्छे से साफ कर ले और उसके छिलके उतार कर ही खाएं। गर्म पानी में नमक डालकर उसमें भी कुछ देर रख सकते है।
रात में ककड़ी नहीं खानी चाहिए। इससे पाचन संबंधी समस्या हो सकती है। ककड़ी के सेवन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। ककड़ी को पकाने की सलाह नही ं दी जाती क्योंकि इसमें पानी ज्यादा मात्रा में होता है। भोजन के साथ ककड़ी खा रहे हैं तो ज्यादा मात्रा में न खाएं।

बालम ककड़ी क्या है?
बालम ककड़ी एक फल है। यह लौकी जैसी दिखती है। पकने पर अंदर से केसरिया रंग की हो जाती है। इसलिए इसे केसरिया बालम ककड़ी भी कहते हैं। यह स्वाद में हल्की मीठी होती है। इसमें पानी की भरपूर मात्रा होती है। रतलाम के सैलाना में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। इसके अलावा बालम ककड़ी की पैदावार सबसे ज्यादा झाबुआ और धार जिलों में होती है। सैलाना क्षेत्र में उगने वाली बालम ककड़ी का स्वाद और आकार सबसे अच्छा होता है। इसकी मांग देश में दूर – दूर तक है।

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