रतलाम- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी के शुभ अवसर पर रतलाम के टैगोर कॉलोनी स्थित मनोकामनेश्वर महादेव मंदिर परिसर में एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन संपन्न हुआ। सामाजिक समरसता अभियान के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में बाल्मीकि समाज की सक्रिय भागीदारी और वैदिक यज्ञ तथा भागवत कथा ने समरसता और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।

यह आयोजन गीता शक्तिपीठ केंद्र, कुरुक्षेत्र तथा विरांगना कन्या संस्कार केंद्र, अलकापुरी, रतलाम के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। वैदिक परंपराओं के अनुसार यज्ञ अनुष्ठान में बाल्मीकि समाज के आदर्श दंपति श्री यश चावरे एवं श्रीमती यश चावरे ने आहुति दी। अनुष्ठान का संचालन श्रीमती राज सिंह द्वारा किया गया, जबकि धार्मिक क्रियाओं को गुरु जी के वैदिक मंत्रोच्चार से पूर्णता मिली।
सामाजिक समरसता का संदेश
कार्यक्रम के संयोजक नरेंद्र श्रेष्ठ (विक्रम उपनगर) ने महर्षि वाल्मीकि के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि वे सामाजिक समरसता के सच्चे प्रतीक हैं। उन्होंने रामायण की रचना कर भारतवर्ष को न केवल धार्मिक, बल्कि नैतिक मूल्यों की एक अमूल्य धरोहर दी है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि समाज के हर वर्ग को समान सम्मान और अवसर मिलना चाहिए।
इस आयोजन में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक, समाजसेवी, संतगण और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी ने सामाजिक समरसता, भाईचारे और सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया।
सांस्कृतिक एकता की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
श्रीमद्भागवत कथा और वैदिक यज्ञ जैसे धार्मिक आयोजनों के माध्यम से रतलाम में न केवल धार्मिक आस्था को बल मिला, बल्कि विभिन्न समाजों के बीच आपसी सद्भाव और समरसता को भी नई दिशा मिली। बाल्मीकि समाज की भागीदारी ने यह सिद्ध किया कि समरसता की भावना सभी जातियों और वर्गों को एक सूत्र में बांध सकती है।