रतलाम- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: पुरोहित जी का बास स्थित श्री बड़ा रामद्वारा में भगवान धन्वंतरि पूजन बड़े हर्षोल्लास और परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्री आत्म कल्याण रामविलास ट्रस्ट के तत्वावधान में डॉक्टर सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया, जिसमें शहर के प्रमुख आयुर्वेद चिकित्सकों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में रामद्वारा महंत पुष्पराज महाराज के पावन सानिध्य में भगवान धन्वंतरि का पूजन किया गया। यह पूजन परंपरा पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से निरंतर रूप से आयोजित की जा रही है। बताया गया कि रामद्वारा के सप्तम महंत वैद्य रामविलास शास्त्री स्वतंत्रता से पूर्व रतलाम रियासत के राजवैद्य थे, जो आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी असाध्य रोगों की चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध थे।
रामविलास शास्त्री द्वारा सन 1965 में “श्री आत्म कल्याण रामविलास ट्रस्ट” का पंजीयन कराया गया, ताकि सामान्य जन तक सुलभ और सस्ती चिकित्सा पहुंच सके। आज भी यह ट्रस्ट अपने उद्देश्य पर कायम है और सैकड़ों मरीजों को आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ प्रदान कर रहा है।
इस अवसर पर डॉ. के.सी. पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि—
“आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ही भारत की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक प्रणाली है, जिसका आज पूरा विश्व अनुसरण कर रहा है। मिलावट और कृत्रिम जीवनशैली के इस युग में जैविक पद्धति और वन संपदा संरक्षण ही स्वास्थ्य का आधार हैं।”
समारोह में डॉ. नंदु शेखर, डॉ. मनीष गुप्ता, डॉ. सुशील शर्मा, डॉ. दिनेश राव, डॉ. अरविंद उपाध्याय, डॉ. अरविंद शर्मा, सहित के.एन. जोशी, गोविंद काकानी, तुषार कोठारी, ध्यानदास रामस्नेही जैसे गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन आयुर्वेद चिकित्सा की प्रासंगिकता और भारतीय परंपरा की समृद्धि पर सार्थक चर्चा के साथ हुआ।