Top School In World: कैसे एक टीचर ने MP के सरकारी स्कूल को झुग्गियों से निकाल इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचाया, आज देशभर में नाम

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सेंव, साड़ी और सोने की प्रसिद्धि से ट्रिपल S नगरी कहे जाने वाले रतलाम में एक और S जुड़ा, वो S है STUDY यानी शिक्षा!, विज्ञान के शिक्षक गजेन्द्रसिंह राठौर के प्रयासों ने बनाया अव्वल…

मध्यप्रदेश – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Top School In World: मध्यप्रदेश के  रतलाम का सीएम राइज विनोबा स्कूल (CM RISE SCHOOL RATLAM) न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित कर चुका है। इस सरकारी स्कूल को T4 अंतर्राष्ट्रीय संस्था (T4 Education :World’s Best School Prizes 2024) द्वारा नवाचार श्रेणी में विश्वभर के टॉप 10 स्कूलों में शामिल किया गया और अंततः इसने तीसरा स्थान हासिल किया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद से स्कूल के छात्रों, शिक्षकों और परिजनों में गर्व है। इस स्कूल को 1991 में रतलाम की शहरी झुग्गियों में स्थापित किया गया था। इस स्कूल ने अपनी शुरुआती चुनौतियों के बावजूद, नवाचारी प्रक्रियाओं और सामुदायिक जुड़ाव के माध्यम से आज यह मुकाम हासिल किया है। 

विज्ञान की कक्षा में प्रेक्टिकल कर विद्यार्थियों को पढ़ाते शिक्षक राठौर

सरकारी स्कूल के एडमिशन में अब प्रवेश के लिए होड़ मची हुई है। इसके यहां तक पहुंचने के पीछे की कहानी में एक शिक्षक गजेन्द्रसिंह सिंह राठौर की भूमिका बहुत मायने रखती है। राठौर स्कूल के वाईस प्रिंसीपल भी है। साइंस टीचर गजेन्द्रसिंह राठौर (Science Teacher Gajendra Singh Rathore) के पढाने का तरीका बहुत अलग है। उनका कहना है विज्ञान रट्टा मारने का नहीं बल्कि समझने का विषय है। किताब में छपे विषयों को राठौर प्रेक्टिकल कर बच्चों को समझाते है। रॉकेट उड़ता कैसे है, घर्षण होता क्या है, भूकंप आता क्यो है ऐसे कई रहस्यों को पढ़ाने की बजाय उन्हें प्रेक्टिकल से समझाते है। राठौर ऑनलाइन भी बच्चों को विज्ञान को समझने के लिए प्रेरित करते है।

नहीं बदला अंदाज, राठौर से पढ़ने का क्रेज
विद्यार्थियों में राठौर से पढ़ने का अलग ही क्रेज है। जहां भी शिक्षक रहे उन्होंने अपने पढ़ाने के अंदाज नहीं बदले। पढ़ाने में इनोवेशन के तरीकों को उन्होंने यहां भी लागू रखा। उनके साथ अन्य स्टाफ ने भी सहभागिता की और गजेन्द्रसिंह के तरीकों को अपनाया। जिसकी बदौलत आज पूरे विश्व में MP का सरकारी स्कूल चमक रहा है। आपको बता दे साल 2016 में राठौर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके है। आज भी राठौर अपने पढ़ाए विद्यार्थियों के साथ जीवंत संपर्क में रहते है। विद्यार्थी भी उनसे जीवन की कठिनाइयों से निकलने के टिप्स लेते है। परेशानियों में उनसे सलाह लेते है।अवार्ड की घोषणा के समय कार्यक्रम के दौरान राठौर भावुक हो उठे थे और उनके आंसू निकल आए थे।

File Photo

राठौर ने बनाई योजना, नवाचार किए लागू
दो साल पहले विनोबा स्कूल में उप प्राचार्य गजेंद्र सिंह राठौर ने स्कूल में विद्यार्थियों की कम उपस्थिति को सुधारने के लिए वरिष्ठ शिक्षकों के साथ मिलकर “साइकिल ऑफ ग्रोथ मेकैनिज्म” योजना बनाई। इस योजना का उद्देश्य शिक्षकों के पेशेवर विकास के साथ-साथ छात्रों की भागीदारी बढ़ाना था। इसमें टीचर्स के लिए टीम हर्डल, कैप्सूल ट्रेनिंग, क्लासरूम मॉनिटरिंग, वन-ऑन-वन फीडबैक, और रीवार्ड एवं रिकग्निशन जैसी गतिविधियाँ शामिल की गईं।
इसके अलावा, “विनोबा मॉडल ऑफ पैरेंटल एंगेजमेंट”, “कम्युनिटी एज ए लर्निंग रिसोर्स”, और “ट्रैकिंग डाटा के इनोवेटिव आइडिया” जैसी पहलें भी जुड़ती गईं। इन सब नवाचारों ने स्कूल में एक उत्साही और सकारात्मक वातावरण तैयार किया, जहाँ बच्चे आसानी से सीखने लगे। इस योजना को सफल बनाने में प्राचार्य संध्या वोरा, उप प्राचार्य गजेंद्र सिंह राठौर, प्रधान अध्यापक अनिल मिश्रा, सीमा चौहान, हीना शाह और अन्य शिक्षकों ने नियमित रूप से योगदान दिया।

इस प्रकार हुआ चयन
टी फॉर एजुकेशन ने दुनिया भर के स्कूलों से फरवरी 2024 तक विभिन्न श्रेणियों में आवेदन मांगे थे। हजारों आवेदनों में से विनोबा स्कूल को “इनोवेशन” श्रेणी में चुना गया, जहाँ उप प्राचार्य और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक गजेंद्र सिंह राठौर को स्कूल लीडर के रूप में नामित किया गया। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों द्वारा एक घंटे का ऑनलाइन इंटरव्यू लिया गया। इंटरव्यू के बाद दस्तावेजों के आधार पर मूल्यांकन किया गया।
शिक्षकों की ऑनलाइन मीटिंग और विभिन्न स्तरों के परीक्षण के बाद, 13 जून को पहले चरण में स्कूल टॉप 10 में आया और गुरुवार को टॉप 3 में जगह बनाई। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा संजय गोयल, आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता, और संचालक लोक शिक्षण डीएस कुशवाह ने उन्हें इस सफलता पर बधाई दी।

विद्यालय परिवार के साथ खुशियां मनाते राठौर

इनोवेशन कैटेगरी में ऐतिहासिक उपलब्धि
रतलाम का यह शासकीय स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक और प्रयोगात्मक तरीकों का उपयोग कर रहा है, जिससे छात्रों को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ शिक्षा दी जा रही है। गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि विद्यालय में कुल 577 छात्र अध्ययनरत हैं, जिनमें से 525 छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इस सफलता के पीछे स्कूल के सामूहिक प्रयास और शिक्षकों की कड़ी मेहनत है।

मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्कूल की उपलब्धि पर बधाई दी। शहर विधायक व मंत्री चैतन्य काश्यप ने स्कूल का दौरा कर छात्रों और शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने इस अवसर पर स्कूल की प्राचार्य संध्या वोहरा और उप प्राचार्य गजेंद्र सिंह को विशेष रूप से सम्मानित किया। काश्यप ने कहा कि यह स्कूल प्रदेश के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा और भविष्य में अन्य शासकीय स्कूलों को भी इसी प्रकार से ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम करेगा।

सीएम राइज स्कूल: एक ड्रीम प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि सीएम राइज स्कूल योजना मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के शासकीय स्कूलों को उन्नत और आधुनिक सुविधाओं से लैस कर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास किया गया। आज रतलाम के विनोबा स्कूल ने इस पहल की सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिद्ध कर दिया है।

लाइटहाउस स्कूल का दर्जा
अब इस स्कूल को “लाइटहाउस” का दर्जा दिया गया है, जिसका मतलब है कि अन्य स्कूल भी इसके नवाचार और सफलता से प्रेरणा लेकर अपने छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा प्रणाली विकसित करेंगे। गजेंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार, स्कूल की यह सफलता अभिभावकों के लिए एक संकेत है कि अब उन्हें महंगे निजी स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सरकारी स्कूल भी उन्हें उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। रतलाम के इस स्कूल ने साबित कर दिया है कि सही दिशा में मेहनत और दृढ़ संकल्प से सरकारी स्कूल भी विश्व स्तरीय उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।

टीम विनोबा
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