अहमदाबाद– पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Gujrat News: अहमदाबाद सिटी पुलिस कंट्रोल रूम में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर वनराज मंझरिया की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इंस्पेक्टर की मौत किसी हादसे से नहीं, बल्कि पालतू कुत्ते के नाखून से हुए मामूली जख्म से हुई। इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह चेतावनी दे दी है कि चाहे कुत्ता काटे या सिर्फ खरोंच ही क्यों न लगाए, रेबीज से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है।
क्या हुआ था इंस्पेक्टर वनराज मंझरिया के साथ?
करीब पांच दिन पहले इंस्पेक्टर वनराज को उनके पालतू जर्मन शेफर्ड डॉगी के नाखून से खरोंच लग गई थी। चूंकि कुत्ते का नियमित रेबीज वैक्सीनेशन हुआ था, इसलिए उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन यही लापरवाही उनकी जिंदगी पर भारी पड़ गई।
कुछ ही दिनों में वह रेबीज वायरस की चपेट में आ गए। अहमदाबाद के मशहूर केडी हॉस्पिटल में 5 दिन इलाज चला लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
रेबीज के आखिरी लक्षण – बेड से बांधना पड़ा
डॉक्टरों के मुताबिक, रेबीज के आखिरी स्टेज में इंसान का दिमाग वायरस के कंट्रोल में आ जाता है। मरीज आक्रामक और असामान्य व्यवहार करने लगता है। यही कारण रहा कि इंस्पेक्टर वनराज को अंतिम समय में बेड से बांधकर रखना पड़ा।
एक्सपर्ट्स की चेतावनी
विशेषज्ञ लगातार आगाह कर रहे हैं कि –
- कुत्ता काटे या नाखून लगे, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- भले ही कुत्ते को रेबीज वैक्सीन लगा हो, आपको इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए।
- छोटी सी खरोंच या खून निकलने पर भी लापरवाही न करें।
भारत में हर साल 6000 मौतें
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में रेबीज से जुड़ी मौतों की संख्या भले 75% कम हुई हो, लेकिन अब भी हर साल करीब 6000 लोग इसकी चपेट में आकर दम तोड़ देते हैं।
देश में हर साल 90 लाख एनिमल बाइट केस दर्ज होते हैं, जिनमें से दो-तिहाई कुत्ते से जुड़े होते हैं।
क्या है रेबीज?
रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो लिसावायरस फैमिली के वायरस से फैलती है। यह संक्रमित कुत्ते या अन्य जानवर के काटने, खरोंचने या लार के संपर्क से इंसान में फैलता है।
लक्षणों में बुखार, बेचैनी, निगलने में कठिनाई, भ्रम और दौरे शामिल हैं।