Ratlam News: परशुराम कल्याण बोर्ड ब्राह्मणों के माध्यम से सनातन की परंपरा को समाज में व्याप्त करेगा – पं. विष्णु राजोरिया  

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रतलाम में परशुराम कल्याण बोर्ड का वसंतोत्सव संपन्न, सनातन संस्कृति, वसंत महोत्सव और रतलाम राज्य के इतिहास पर डाला प्रकाश  

रतलाम- पब्लिक वार्ता,

न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: मध्यप्रदेश परशुराम कल्याण बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष पं. विष्णु राजोरिया ने कहा कि सनातन धर्म की परंपराओं को समाज में पुनः स्थापित करने का दायित्व सबसे पहले ब्राह्मणों का है। परशुराम कल्याण बोर्ड ब्राह्मणों के माध्यम से समाज में सनातन संस्कृति को विस्तारित करने का कार्य करेगा। जातियां कालांतर में अस्तित्व में आईं, लेकिन मूल रूप से समाज कर्म आधारित व्यवस्था थी। यह बात उन्होंने परशुराम कल्याण बोर्ड रतलाम इकाई द्वारा डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय में आयोजित वसंतोत्सव 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में कही।  

ब्राह्मणों को वेदपाठी संतानों को बढ़ावा देना होगा  

प्रदेश अध्यक्ष पं. विष्णु राजोरिया ने कहा कि प्रत्येक पर्व को केवल घर में नहीं बल्कि सामूहिक रूप से भी मनाया जाना चाहिए। उन्होंने ब्राह्मण परिवारों से अपील की कि वे कम से कम एक संतान को वेदपाठी अवश्य बनाएं, भले ही वह कर्मकांड न करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि सनातन के बिना भारत की कल्पना संभव नहीं।  

अक्षय तृतीया पर होगा सामूहिक विवाह आयोजन  

उन्होंने बताया कि परशुराम कल्याण बोर्ड के कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में जनजागरण कर अक्षय तृतीया पर सनातन समाज की कन्याओं का सामूहिक विवाह कराएंगे। साथ ही, रतलाम जिले के प्रत्येक ब्राह्मण परिवार की डायरेक्ट्री तैयार करने का सुझाव दिया, जिसमें उनकी पारिवारिक स्थिति का भी उल्लेख होगा।  

सनातन को समझना है तो वेदों की ओर लौटें – डॉ. मुरलीधर चांदनीवाल  

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता शिक्षाविद् एवं वेदों के अनुवादक डॉ. मुरलीधर चांदनीवाल ने कहा कि सनातन धर्म को समझने के लिए वेदों का अध्ययन आवश्यक है। उन्होंने बताया कि वसंत का महत्व यज्ञों में विशेष रूप से वर्णित है। परशुराम को अग्नि की लपटों और समुद्र की तरंगों में देखें, वे ही पहले राम हैं।  

रतलाम राज्य का गौरवशाली इतिहास – कैलाश व्यास  

रंगकर्मी एवं पूर्व उप संचालक अभियोजन कैलाश व्यास (एडवोकेट) ने रतलाम राज्य के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रतलाम राज्य की स्थापना प्रयाग से जुड़ी हुई है। उन्होंने 22 जनवरी 1641 को लाहौर में शाहजहां द्वारा आयोजित एक समारोह का जिक्र किया, जिसमें जालोर के राजा महेशदास के पुत्र रतनसिंह ने एक उग्र हाथी को काबू में कर लोगों की जान बचाई थी, जिसके उपहार स्वरूप उन्हें रतलाम परगना प्रदान किया गया था।  

उन्होंने यह भी बताया कि रतलाम में सती प्रथा 1743 में ही समाप्त हो गई थी, जबकि देश में सती प्रथा को कानूनी रूप से 1829 में प्रतिबंधित किया गया था।  

तीन शख्सियतों का सम्मान  

समारोह में चिकित्सा, शिक्षा और संगीत शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वाली तीन विभूतियों को सम्मानित किया गया  

डॉ. अनुराधा गोखले – चिकित्सा क्षेत्र में योगदान  

डॉ. सुलोचना शर्मा – शिक्षा क्षेत्र में योगदान  

डॉ. स्नेहा पंडित – संगीत शिक्षा में योगदान  

कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन  

कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री डॉ. लीला जोशी ने की। इस अवसर पर सनाढ्य ब्राह्मण समाज के श्याम उपाध्याय, परशुराम कल्याण बोर्ड के जिला अध्यक्ष अनुराग लोखंडे, डॉ. अनुराधा गोखले, डॉ. सुलोचना शर्मा, डॉ. स्नेहा पंडित सहित कई गणमान्य व्यक्ति मंचासीन रहे।  

शुभारंभ वेदपाठ से हुआ, जिसे महर्षि पं. संजय दवे और वेदपाठी बटुकों ने प्रस्तुत किया। सरस्वती वंदना सुहाष चितलने ने प्रस्तुत की। समारोह का संचालन लगन शर्मा ने किया और आभार प्रदर्शन नीरज कुमार शुक्ला ने व्यक्त किया।  

उपस्थित गणमान्य अतिथि  

इस अवसर पर जिला पंचायत के एसीईओ निर्देशक शर्मा, त्रिवेदी आर्ट के ओमप्रकाश त्रिवेदी, सत्येंद्र जोशी, अशोक पांडेय, सुनील दुबे, शरद चतुर्वेदी, राकेश आचार्य, श्याम लालवानी, मनमीत कटारिया, महेंद्र भंडारी, नितेश कटारिया, राजेंद्र चतुर्वेदी, अजय तिवारी, पत्रकार शरद जोशी, डॉ. खुशालसिंह पुरोहित, गोपाल शर्मा टंच, गोपाल जोशी, गीता दुबे, विनीता ओझा, नीलू चंडालिया, देवशंकर पांडेय, लक्ष्मण पाठक, पं. मुस्तफा आरिफ, प्रकाश शुक्ला, प्रशांत शौचे, राजेंद्र गोयल, जलज शर्मा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।  

– विशेष संवाददाता

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