पिछले पांच वर्षों में इंदौर में सर्वाधिक 2301 मामले, झाबुआ में 158% वृद्धि
भोपाल- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। MP News: मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की स्थिति गंभीर होती जा रही है। वर्ष 2024 में प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 20 बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं। वर्ष 2020 में यह संख्या 6134 थी, जो 2024 में बढ़कर 7294 हो गई, यानी पांच वर्षों में बलात्कार के मामलों में 19% की वृद्धि हुई।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह जानकारी विधानसभा में विधायक पंकज उपाध्याय के प्रश्न के उत्तर में दी। मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि 2023-24 के वार्षिक प्रतिवेदन में दर्शाई गई बलात्कार की कुल संख्या 5374 असत्य थी। वास्तविक आंकड़ा 7202 था, जिसमें से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं से जुड़े मामलों की संख्या 3831 थी। जबकि वार्षिक प्रतिवेदन में इसे केवल 883 बताया गया था।
वार्षिक प्रतिवेदन के आंकड़े असत्य
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि महिला सुरक्षा शाखा और अजाक शाखा से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह गड़बड़ी हुई। जिलों से वास्तविक आंकड़े मंगाने पर पता चला कि रिपोर्ट में दी गई संख्या से वास्तविक आंकड़े काफी अधिक हैं।
विधायक पंकज उपाध्याय ने आरोप लगाया कि वार्षिक प्रतिवेदन में वास्तविक संख्या छिपाने का प्रयास किया गया और विधानसभा में गलत आंकड़े पेश कर उसकी अवमानना की गई।
2023 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कुल बलात्कारों की संख्या 5374 थी, जबकि असल में यह 7202 रही। अनुसूचित जाति की महिलाओं से जुड़े मामले 883 बताए गए, लेकिन असल में यह 3831 थे। यानी अनुसूचित जाति व जनजाति की महिलाओं से बलात्कार के मामले 340% अधिक निकले।
जातिगत आधार पर बलात्कार के बढ़ते आंकड़े
मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जाति की महिलाओं से बलात्कार की घटनाओं में 10%, अनुसूचित जनजाति में 26%, पिछड़ा वर्ग में 20% और सामान्य वर्ग में 24% की वृद्धि हुई है।
2020 से 2024 के बीच अनुसूचित जाति की महिलाओं के बलात्कार के मामलों में सरकारी रिपोर्ट और वास्तविक आंकड़ों में भारी अंतर देखा गया।
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में 546, 2021 में 611, 2022 में 593, 2023 में 538 और 2024 में 557 मामले थे, जबकि वास्तविक आंकड़ों के अनुसार 2020 में 1640, 2021 में 1712, 2022 में 1861, 2023 में 1769 और 2024 में 1799 मामले सामने आए।
इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी सरकारी रिपोर्ट में आंकड़े काफी कम बताए गए। वार्षिक रिपोर्ट में 2020 में 395, 2021 में 394, 2022 में 403, 2023 में 345 और 2024 में 359 मामले बताए गए, जबकि वास्तविक आंकड़े 2020 में 1742, 2021 में 1968, 2022 में 2874, 2023 में 2062 और 2024 में 2194 रहे।
जिलावार बलात्कार के आंकड़े
पिछले पांच वर्षों में इंदौर जिला बलात्कार के मामलों में सबसे आगे रहा, जहां 2301 मामले दर्ज हुए। इसके बाद भोपाल में 1949, धार में 1602, खरगोन में 1230, सागर में 1200, जबलपुर में 1056 और रतलाम में 1018 मामले सामने आए।
सबसे अधिक वृद्धि झाबुआ में देखी गई, जहां 158% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। इंदौर शहर में 103% वृद्धि, इंदौर ग्रामीण में 69% वृद्धि, भोपाल शहर में 59% वृद्धि और रतलाम में 46% वृद्धि दर्ज की गई।
वहीं, बालाघाट और जबलपुर में क्रमशः 33% और 15% की कमी आई। गुना, अशोकनगर, भिंड, बुरहानपुर, शाजापुर, कटनी, सिवनी, पन्ना, सतना, अनूपपुर और राजगढ़ में भी मामले घटे। ग्वालियर, दमोह और विदिशा में संख्या स्थिर रही।
न्यायालय में सजा का प्रतिशत कम
विधायक पंकज उपाध्याय ने न्यायालय में बलात्कार के मामलों की सफलता दर पर भी सवाल उठाया। मुख्यमंत्री के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में बलात्कार के मामलों में सजा की दर बेहद कम रही। अनुसूचित जाति के 2739 मामलों में सिर्फ 23% दोषसिद्धि हुई और 77% आरोपी बरी हुए। अनुसूचित जनजाति के 3163 मामलों में 22% दोषसिद्धि हुई और 78% आरोपी बरी हो गए। पिछड़ा वर्ग के 3982 मामलों में 21% दोषसिद्धि और 79% बरी हुए। सामान्य वर्ग के 1222 मामलों में केवल 18% दोषसिद्धि हुई और 82% आरोपी छूट गए।
महिला सुरक्षा पर सवाल
बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि और न्यायिक प्रक्रिया में कम दोषसिद्धि दर ने महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। विधायक पंकज उपाध्याय ने मांग की है कि सरकार को बलात्कार के मामलों में सही आंकड़े प्रस्तुत करने, दोषियों को कड़ी सजा दिलाने और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।