
पेटलावद- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। MP News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रांत द्वारा आयोजित संघ शिक्षा वर्ग (व्यवसायी) का समापन समारोह रविवार को पेटलावद में बड़े उत्साह और जनसमुदाय की उपस्थिति के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर 227 शिक्षार्थियों ने सहभाग लिया।

समारोह के दौरान आयोजित प्रकट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने समता, योग, घोष व दंड संचालन जैसी शारीरिक गतिविधियों का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में जिलेभर से हजारों की संख्या में समाजजन पहुंचे और स्वयंसेवकों के अनुशासित प्रदर्शन को देखा। आयोजन स्थल पर भगवान बिरसा मुंडा, श्रीकृष्ण, गौशाला तथा वेस्ट से बेस्ट की झांकियां भी आकर्षण का केंद्र रहीं।

मुख्य वक्ता विनीत नवाथे, मालवा प्रांत कार्यवाह ने अपने बौद्धिक में कहा कि “डॉ. हेडगेवार ने हिंदू गौरव की पुनः स्थापना हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी। संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगे, लेकिन हर बार संघ और अधिक शक्ति के साथ उभरा। आज समाज व राष्ट्र जीवन के हर क्षेत्र में धर्मयुक्त संरचना का निर्माण आवश्यक है।”

उन्होंने आगे कहा कि “वामपंथी विचारधारा, जिहादी शक्तियां और धर्मांतरण में लिप्त मिशनरियां राष्ट्र के लिए खतरा हैं। इनकी गतिविधियों को निस्तेज करना हम सभी की जिम्मेदारी है। हमारे वेद हमें प्रकृति की पूजा सिखाते हैं और जनजातीय समाज आज भी इन परंपराओं को जीवित रखे हुए है।”
विनीत नवाथे ने बताया कि संघ के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए पांच विषयों पर विशेष कार्य हो रहा है—
- समरसता
- कुटुंब प्रबोधन
- पर्यावरण
- स्वदेशी जीवन शैली
- नागरिक अनुशासन
उन्होंने कहा कि “इन्हीं पंच परिवर्तनों से राष्ट्र में धर्म व्यवस्था की स्थापना संभव है।”
समारोह में मंचासीन रहे:
- सर्वाधिकारी सुरजीतसिंह जुनेजा
- जिला संघचालक मानसिंह भूरिया
- 1008 महामंडलेश्वर स्वामी जितेंद्रानंद महाराज, नरसिंहानंद सेवा आश्रम, रायपुरिया
संघ शिक्षा वर्ग की जानकारी:
संघ शिक्षा वर्ग कुल चार प्रकार के होते हैं:
- प्राथमिक वर्ग (1 सप्ताह) – जिला स्तर पर
- संघ शिक्षा वर्ग (20 दिन) – प्रांत स्तर पर
- कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 (20 दिन) – क्षेत्र स्तर पर
- कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 (25 दिन) – नागपुर में अनिवार्य रूप से
ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के दौरान जब लोग आमतौर पर पर्यटन स्थलों की ओर रुख करते हैं, तब इन स्वयंसेवकों ने कठोर अभ्यास, अनुशासन व राष्ट्र चिंतन के साथ वर्ग में सहभागिता निभाई। प्रशिक्षण स्थल एक गुरुकुल जैसा वातावरण प्रस्तुत कर रहा था, जहां स्वयंसेवक आत्मिक, मानसिक व शारीरिक रूप से मजबूत बनकर निकले।
संघ का मूल उद्देश्य “वसुधैव कुटुंबकम्” और “सर्वे भवन्तु सुखिनः” जैसे व्यापक वैचारिक मूल्यों को व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में स्थापित करना है — और यही इस वर्ग का सबसे बड़ा योगदान भी रहा।