
रतलाम- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: चिकित्सा के क्षेत्र में जिला चिकित्सालय रतलाम ने एक और मिसाल कायम की है। सुवासरा, उज्जैन निवासी बेबी ऑफ भावना/नवीन (ध्रुव), उम्र 6 माह को गंभीर स्थिति में 13 फरवरी को मातृ एवं शिशु चिकित्सालय यूनिट, जिला चिकित्सालय रतलाम में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने बताया कि इससे पहले बच्चे का नागदा और एक निजी अस्पताल में इलाज हुआ, लेकिन सुधार न होने पर वे उसे रतलाम लेकर आए।
गंभीर अवस्था में भर्ती, विशेषज्ञों ने किया सफल उपचार
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.एस. सागर के अनुसार, भर्ती के समय बच्चे को सीवियर निमोनिया विथ सेप्सिस विथ जीडीडी डायग्नोस किया गया था। शिशु झटकों, तेज सांस, 105 डिग्री फारेनहाइट तापमान और सेप्टिक शॉक की स्थिति में था। विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तत्काल सी-पैप मशीन से ऑक्सीजन देना शुरू किया और झटकों, तापमान और शॉक का प्रभावी प्रबंधन किया।
लगातार पांच दिन तक बनी रही गंभीर स्थिति
शिशु की हालत पांच दिन तक नाजुक बनी रही। डॉक्टरों की टीम ने सी-पैप, एंटी-कंवलजेंट, आयनोट्रॉप्स और अन्य आवश्यक उपचारों के माध्यम से उसकी स्थिति को नियंत्रित किया। इसके बाद धीरे-धीरे सुधार दिखने लगा।
इलाज के आठवें दिन हुआ ब्लड ट्रांसफ्यूजन
शिशु की स्थिति में सुधार के बावजूद, खून की कमी के चलते आठवें दिन ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। दसवें दिन से आईवी इलाज बंद कर ओरल फीडिंग शुरू की गई। ग्यारहवें दिन से बच्चे को कटोरी-चम्मच से फीडिंग सिखाई गई।
बारहवें दिन मिली नई जिंदगी, स्वस्थ होकर डिस्चार्ज
लगातार बारह दिनों तक चले उपचार और देखभाल के बाद शिशु को स्वस्थ घोषित कर डिस्चार्ज कर दिया गया। परिजनों ने डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का आभार व्यक्त किया और जिला चिकित्सालय में उपलब्ध उन्नत चिकित्सा सुविधाओं की सराहना की।
जिला चिकित्सालय रतलाम में पीआईसीयू की बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं गंभीर स्थिति में आए नवजातों को नया जीवन दे रही हैं। यह सफलता एक बार फिर रतलाम के स्वास्थ्य तंत्र की सुदृढ़ता को दर्शाती है।