रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। MP News: मध्यप्रदेश के रतलाम में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने हेल्थ इंश्योरेंस दावे को अनुचित तरीके से खारिज करने के मामले में बीमा कंपनी के खिलाफ परिवादी के पक्ष में निर्णय सुनाया है। आयोग ने इसे सेवा में कमी मानते हुए बीमा कंपनी को दावे की राशि ब्याज सहित चुकाने और मानसिक संताप के लिए अतिरिक्त मुआवजा प्रदान करने का आदेश दिया है। उक्त आदेश जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष मुकेश कुमार तिवारी व सदस्य श्रीमती जयमाला संघवी की कोर्ट ने दिया।
मामले में पैरवी कर रहे एडवोकेट प्रणय ओझा ने बताया यह फैसला उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। आयोग ने स्पष्ट संदेश दिया है कि बीमा कंपनियां अनुचित तरीके से दावे को खारिज नहीं कर सकतीं। यह निर्णय अन्य उपभोक्ताओं को भी उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करेगा और बीमा कंपनियों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
यह था मामला
परिवादी श्रीमती प्रेमलता पाटीदार, निवासी ग्राम नगरा रतलाम ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ हेल्थ गेन पॉलिसी के तहत चिकित्सा खर्च की प्रतिपूर्ति न करने की शिकायत दर्ज कराई थी। परिवादी ने पॉलिसी के लिए 11,614/- रुपये का प्रीमियम अदा किया था। पॉलिसी अवधि 15 सितंबर 2023 से 14 सितंबर 2024 तक थी।
परिवादी को 18 मार्च 2024 को सिरदर्द, सर्दी-खांसी, बुखार और पेट दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्हें रतलाम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान परिवादी को Acute Febrile Illness और Acute Gastroenteritis का निदान हुआ। 21 मार्च 2024 को डिस्चार्ज होने के बाद, इलाज पर कुल 29,174/- रुपये का खर्च हुआ।
परिवादी ने बीमा कंपनी को ऑनलाइन क्लेम प्रस्तुत किया, लेकिन बीमा कंपनी ने 8 अप्रैल 2024 को क्लेम खारिज करते हुए कहा कि यह मामला पॉलिसी की शर्त 5.1.1 के तहत भुगतान योग्य नहीं है। कंपनी ने दावा किया कि परिवादी को पहले से डायबिटीज और हाईपरटेंशन की बीमारियां थीं, जिनकी जानकारी पॉलिसी लेते समय नहीं दी गई थी।
आयोग का परिवादी के पक्ष में निर्णय
परिवादी ने आयोग में दस्तावेज़ और साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिनमें अस्पताल द्वारा जारी प्रमाण पत्र शामिल था। इसमें स्पष्ट किया गया कि उन्हें भर्ती किए जाने का कारण केवल Acute Febrile Illness और Acute Gastroenteritis था, न कि पूर्व की बीमारियां।
वहीं, बीमा कंपनी यह साबित नहीं कर सकी कि पॉलिसी जारी करने से पहले परिवादी डायबिटीज और हाईपरटेंशन से ग्रसित थीं। कंपनी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों में इस तथ्य का कोई ठोस प्रमाण नहीं था।
आयोग ने पाया कि बीमा कंपनी ने अनुचित आधार पर दावे को खारिज किया और पॉलिसी की शर्तों का गलत उपयोग किया। आदेश में कहा गया कि पॉलिसी दस्तावेज़ में उल्लेखित शर्त 5.1.1 मौजूद ही नहीं है।
आयोग द्वारा पारित आदेश
1. बीमा कंपनी को 29,174/- रुपये की दावे की राशि परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि (18 जुलाई 2024) से अदायगी तक 6% वार्षिक साधारण ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया गया।
2. मानसिक संताप और परिवाद व्यय के लिए 5,000/- रुपये का मुआवजा भी देने का आदेश दिया गया।
3. कंपनी को 60 दिनों के भीतर उक्त राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया। विलंब होने पर यह राशि 8% वार्षिक ब्याज के साथ देय होगी।
MP News: Reliance बीमा कंपनी ने क्लेम देने से किया मना, उपभोक्ता फोरम ने मनमानी पर दिया ये फैसला, जानिए पुरा मामला
Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp
Telegram
यह भी पढ़ें
क्राइम
07/11/2025
No Comments
इंदौर
07/11/2025
No Comments
