रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Navratri Festival: मध्यप्रदेश के रतलाम (Ratlam) में धभाई जी का वास में स्थित भैरव मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमय स्थल है, जहां श्रद्धालु चमत्कारिक घटनाओं का अनुभव करते हैं। इस मंदिर में भगवान भैरव को “पछाड़मल” कहा जाता है, जो मान्यता अनुसार गलती करने वालों को दंड देते हैं। मंदिर में दो प्रमुख प्रतिमाएं विराजमान हैं—काला भैरव और गौरा भैरव। इनमें से एक प्रतिमा को मदिरा और दूसरी को दूध का भोग अर्पित किया जाता है।
पछाड़मल भैरव मंदिर पर सेवा दे रहे रविंद्रसिंह सोनगरा के अनुसार यह मंदिर रतलाम रियासतकाल से आस्था का प्रमुख केंद्र है। नवरात्रि के दौरान यहां नौ दिन तक अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है, और दशहरे पर जवारों (वाड़ी) का विसर्जन विधि-विधान से किया जाता है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालुओं को मन्नत के लिए कोई महंगा चढ़ावा नहीं चढ़ाना पड़ता, बल्कि दूध, नारियल या मदिरा से ही भगवान भैरव को प्रसन्न किया जा सकता है। मंदिर के इतिहास में कई चमत्कारिक घटनाओं का उल्लेख है, जैसे गलती करने पर भैरव महाराज द्वारा व्यक्ति को दंडित किया जाना।
मंदिर से जुड़े कई किस्से लोगों की आस्था को और भी गहरा करते हैं। एक उदाहरण में एक युवक मंदिर में मदिरा चढ़ाने के बाद जब घर के लिए निकला तो रास्ते में चलती साइकिल से अचानक गिर गया था, जिसे भैरव महाराज की सजा के रूप में देखा गया। देश भर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं, और उनका मानना है कि यहां भूत-प्रेत बाधा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। रतलाम का यह धाम आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं और अपनी मन्नतें पूरी करते हैं।
(DISCLAIMER: इस लेख में वर्णित चमत्कारी मंदिर और संबंधित घटनाओं का विवरण भक्तों के अनुभवों और विश्वासों पर आधारित है। इसे किसी धार्मिक या वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव और विश्वास अलग हो सकता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत धारणा और निर्णय के आधार पर मंदिरों और उनकी शक्ति के बारे में सोचें। किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने से पहले उचित सावधानी बरतें और आवश्यक शोध करें।)