Ratlam News: हजारों की संख्या में आदिवासी भील समाज का भव्य महासम्मेलन संपन्न

रतलाम- पब्लिक वार्ता,

न्यूज़ डेस्क। Ratlam News: आदिवासी भील समाज का विशाल महासम्मेलन 14 जनवरी 2025, मंगलवार को हाई सेकेंडरी स्कूल शिवगढ़ में आयोजित किया गया। सम्मेलन में सैलाना, सरवन, बाजना, रावटी, रतलाम समेत कई क्षेत्रों से हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग एकत्रित हुए।  

कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा क्रांतिकारी महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद समाज के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।  

महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा:  

सम्मेलन में दहेज प्रथा, डीजे, शराब, ढूंढ प्रथा, पाहली, शिक्षा, धर्मांतरण और भील समाज के गौरवशाली इतिहास पर विचार प्रस्तुत किए गए। समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करने के लिए वक्ताओं ने मार्गदर्शन दिया।  

प्रमुख वक्ता और उनके विचार:  

– निर्मल अमलियार ने शिक्षा और संस्कार पर जोर दिया।  

– मोहन राणा ने दहेज प्रथा को समाप्त करने की अपील की।  

– राजेंद्र सिंह ने शादियों में डीजे का उपयोग रोकने की बात कही।  

– मोतीलाल निनामा ने शराबबंदी पर प्रकाश डाला।  

– शंभू सिंह गणावा ने ढूंढ प्रथा को समाप्त करने की बात कही।  

– गोविंद डामर ने समाज में फैली कुरीतियों पर विचार रखे।  

– कैलाश निनामा ने भील समाज के गौरवशाली इतिहास पर चर्चा की।  

– संगीता चारेल ने बाल विवाह रोकने और बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की अपील की।  

– सोनम निनामा ने आदिवासी समाज के क्रांतिकारी इतिहास पर प्रेरणादायक विचार रखे।  

अन्य उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:  

कार्यक्रम में कई समाजसेवी, अधिकारी, वरिष्ठ नागरिक, जनप्रतिनिधि, पंचायत सदस्य और आसपास के क्षेत्र के सरपंचों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।  

निर्णय और संकल्प:  

सम्मेलन में समाज ने शादियों में डीजे का उपयोग, शराब सेवन और अन्य कुरीतियों को समाप्त करने का संकल्प लिया। साथ ही, शिक्षा, बेटियों के अधिकार और समाज को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया।  

आभार प्रदर्शन और संचालन:  

कार्यक्रम का संचालन रतनलाल चरपोटा ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन सुभाष वसुनिया द्वारा किया गया।  

समाज के उत्थान के लिए बड़ा कदम:  

पांच घंटे चले इस महासम्मेलन में समाज के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। यह सम्मेलन आदिवासी भील समाज की एकजुटता और भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ।  

समाज को जागरूक और संगठित करने की पहल:  

आयोजन ने समाज के लोगों को संगठित कर कुरीतियों को समाप्त करने और एक बेहतर भविष्य के निर्माण का संदेश दिया।  


भीलांचल के गांधी : मामा बालेश्वर दयाल स्मारिका का लोकार्पण, पुण्यतिथि पर हुआ भव्य आयोजन

पब्लिक वार्ता – झाबुआ,
जयदीप गुर्जर। वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व राज्यसभा सदस्य समाजवादी चिंतक मामा बालेश्वर दयाल की 25वीं पुण्यतिथि भील आश्रम, बामनिया में मनाई गई। इस अवसर पर मामा बालेश्वर दयाल के लाखों अनुयायियों ने 25 दिसंबर की सुबह से 26 दिसंबर की शाम तक समाधि स्थल पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। बामनिया स्थित आश्रम पर 25 दिसंबर को रात भर सभा के साथ भजन व कीर्तन होता रहा।

मामा बालेश्वर दयाल

समाधि स्थल पर इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार रामस्वरूप मंत्री द्वारा संपादित स्मारिका “भीलांचल के गांधी : मामा बालेश्वर दयाल” का लोकार्पण पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम, वरिष्ठ पत्रकार क्रांति कुमार वैद्य, पर्यावरणविद् डॉ खुशालसिंह पुरोहित, गोविंद यादव, जयस संरक्षक डॉ अभय ओहरी, समाजवादी नेता राजू अग्रवाल, मास्टर रामलाल निनामा, पत्रकार सत्यनारायण शर्मा, दिनेश सिंह कुशवाह, लीलाधर चौधरी, डॉ सोमेश्वर सिंह एवं इंद्रसेन निमोनकर द्वारा किया गया।

इस अवसर पर समाजवादी विचारक व पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि मामा जी की पुण्यतिथि पर बड़ी संख्या में अनुयायी बामनिया पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा अनुयायियों के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नही की जाती है बल्कि परेशानियां पैदा की जाती है। सरकार मामाजी को भारत रत्न देने की बजाए उन्हें तिरस्कृत कर रही है। डॉ सुनीलम ने कहा कि गुजरात मॉडल की नहीं मामाजी के सामाजिक आर्थिक मॉडल की देश को जरूरत है।    

जयस संरक्षक डॉ अभय ओहरी ने कहा कि समाधि स्थल का  विकास एक शिक्षण केंद्र के तौर पर किया जाना चाहिए तथा मामाजी का संग्रहालय स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा जयस मामाजी के सपनों को साकार करेगा।


  
डॉ खुशाल सिंह पुरोहित ने कहा कि समाज परिवर्तन हेतु मामा जी ने अपना पूरा जीवन लगाया था। इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को मामा बालेश्वर दयाल शोध पीठ की स्थापना करनी चाहिए। जिससे नई पीढ़ी मामा जी के विचारों से जुड़ सके।
    वरिष्ठ पत्रकार रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि मामा बालेश्वर दयाल के विचारों के प्रचार प्रसार को लेकर हमने क्रांति कुमार वैद्य एवं डॉ सुनीलम के साथ मिलकर अब तक 20 पुस्तिकाएं एवं स्मारिकाएं प्रकाशित की है, प्रकाशन का कार्य आगे भी जारी रहेगा।
    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजवादी चिंतक कांति कुमार वैद्य ने कहा कि मामा बालेश्वर दयाल का मूल्यांकन होना अभी बाकी है। ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा है त्यों त्यों मामा जी के विचारों की प्रासंगिकता लगातार बढ़ती जा रही है। युवा पीढ़ी भी मामाजी के प्रति आकर्षित हो रही है।
     सुशीला बहन ने कहा कि मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मामाजी के जीवनकाल में  उनकी सेवा करने का मौका मिला तथा अब मेरा जीवन मामा जी के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित है।
    मास्टर रामलाल निनामा ने बताया कि हर वर्ष की तरह  इस वर्ष भी राजस्थान के हजारों अनुयायियों ने 21 दिसंबर को पदयात्रा शुरू की थी। उन्होंने बताया कि मेरी आठ पीढ़ियां मामा जी के विचारों से प्रभावित रही है। हम मामाजी को देवताओं का देवता मानते हैं। उन्होंने कहा की नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए साहित्य प्रकाशन और उसका वितरण जरूरी है।

    समाजवादी नेता गोविंद यादव ने कहा कि वर्तमान समय में पूंजीवाद का मुकाबला मामा जी द्वारा प्रतिपादित प्रकृतिवाद एवं समाजवाद से चल रहा है।उन्होंने कहा मामा जी के विचारों पर चलकर ही मानवता के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।
बामनिया कार्यक्रम राजस्थान की वयोवृद्ध समाजवादी नेत्री मालती बहन की उपस्थिति एवं संरक्षण में संपन्न हुआ।