न्यूज़ डेस्क। MP News: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर देशभर में चल रही बहस के बीच मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सूफी शाह मलंग प्रकोष्ठ के सह-संयोजक और सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूफी शाह सैय्यद जियारत अली मलंग हक्कानी मदारी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मुजावर सेना द्वारा चलाए जा रहे वक्फ संशोधन 2025 जन जागृति अभियान की सराहना करते हुए इसे देशहित में जरूरी बताया और इस अभियान को अपना संरक्षण देने की बात कही।
सूफी हक्कानी मदारी ने कहा कि विरोध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन किसी भी कानून का विरोध करने से पहले उसे पढ़ना, समझना और जानना जरूरी है। उन्होंने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि वे किसी भी देशविरोधी साजिश का हिस्सा न बनें। जो लोग मुसलमानों से इस कानून का विरोध करने को कह रहे हैं, वे पहले अपने बच्चों को आंदोलन में भेजें, फिर हमारे बच्चों की मांग करें।
इस मुद्दे पर वक्फ कानून विवाद को लेकर साफ रुख अपनाते हुए सूफी समुदाय की प्रतिक्रिया अब सामने आ रही है, जिसमें कड़ी चेतावनी दी जा रही है कि वक्फ माफिया की सच्चाई जनता के सामने लाई जाएगी।
वहीं, मुजावर सेना के अध्यक्ष शेर मोहम्मद शाह ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 से न तो कब्रिस्तान, न दरगाह, न मस्जिद और न ही इमाम बारगाह को कोई खतरा है। अगर किसी को खतरा है तो वह वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाए बैठे वक्फ माफिया को है। उन्होंने कहा कि देश को आजादी 1947 में मिल गई थी, लेकिन हमारी कौम को वक्फ माफिया से आजादी इस कानून के माध्यम से मिलेगी।
शेर मोहम्मद शाह ने कहा कि हम सूफी शाह सैय्यद जियारत अली मलंग हक्कानी मदारी के नेतृत्व में वक्फ माफिया को कानूनी हथियारों से उखाड़ फेंकेंगे और वक्फ संपत्तियों की रक्षा करेंगे।
इस जन जागरूकता कार्यक्रम और परिचर्चा में पत्रकार किशन साहू, सादिक अली शाह, बडोद गादी सदर इसमाईल शाह आलोट, चंगेज अंसारी, छीका मुल्तानी, फिरोज उलह, शकील उल्ला, साजिद मुल्तानी, हाफिज गुलाम वारिस सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
करीब 12 घंटे तक चली लंबी बहस के बाद इसे मंजूरी दी गई। विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया, जबकि सरकार ने इसे वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी और निष्पक्ष प्रबंधन के लिए एक बड़ा सुधारात्मक कदम करार दिया
नई दिल्ली – पब्लिक वार्ता, न्यूज डेस्क। Waqf Amendment Bill 2024:वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 बुधवार देर रात लोकसभा में बहुमत से पारित हो गया। इस विधेयक के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 232 सांसदों ने मतदान किया। करीब 12 घंटे तक चली लंबी बहस के बाद इसे मंजूरी दी गई। विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया, जबकि सरकार ने इसे वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी और निष्पक्ष प्रबंधन के लिए एक बड़ा सुधारात्मक कदम करार दिया। इस दौरान संसद में गहमागहमी का माहौल रहा। विपक्षी सांसदों ने विधेयक को लेकर भारी हंगामा किया और इसे संविधान विरोधी बताते हुए कई संशोधन पेश किए, जिन्हें सदन में ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान • वक्फ संपत्तियों की पारदर्शी निगरानी – अब सरकार वक्फ बोर्डों की संपत्तियों की अधिक सख्ती से निगरानी कर सकेगी और गैरकानूनी कब्जे को रोकने के लिए कड़े प्रावधान लागू होंगे। • गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी – राज्य वक्फ बोर्डों में अब गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति अनिवार्य होगी, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी। • सरकार की सीधी भूमिका – विधेयक सरकार को यह अधिकार देता है कि वह वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व को सत्यापित करे और विवादित मामलों की जांच कर सके। • संशोधन प्रस्ताव खारिज – विपक्ष द्वारा पेश किए गए अधिकांश संशोधन प्रस्तावों को ध्वनिमत से अस्वीकृत कर दिया गया, जिससे एनडीए सरकार की मजबूती साबित हुई। • विपक्ष का कड़ा विरोध – कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP) और AIMIM सहित कई विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक आजादी के खिलाफ बताया और विधेयक को संविधान विरोधी करार दिया।
लोकसभा में हंगामे के प्रमुख क्षण • गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “वक्फ संपत्तियों का भ्रष्टाचार से बचाव और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए यह कानून आवश्यक था।” • अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि7 “यूपीए सरकार के दौरान वक्फ कानूनों को अन्य कानूनों से ऊपर रख दिया गया था, जिसे संतुलित करने के लिए यह संशोधन आवश्यक था।” • कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर मुस्लिमों को हाशिए पर धकेलने का आरोप लगाया। • स्पीकर ओम बिड़ला को कई बार सदन को शांत करना पड़ा, क्योंकि विपक्षी दल लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
संशोधन प्रस्ताव जो खारिज हुए • TMC सांसद सौगत रॉय का संशोधन ध्वनिमत से अस्वीकृत। • कांग्रेस नेता गौरव गोगोई और इमरान मसूद द्वारा पेश संशोधन बहुमत न मिलने के कारण खारिज। • एन.के. प्रेमचंद्रन के संशोधन प्रस्ताव को 231 सांसदों ने समर्थन दिया, लेकिन 288 के विरोध में होने के कारण यह भी गिर गया।
भारत सरकार का पक्ष सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह कानून किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि इससे वक्फ संपत्तियों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
ग्रह मंत्री अमित शाह का बयान • “यह विधेयक देश के कानूनी संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।” • “हम किसी भी धार्मिक समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि बेहतर प्रशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है।” • “विपक्ष जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है, जबकि यह विधेयक देश के हित में लाया गया है।”
विपक्ष का विरोध और आरोप विपक्ष ने इस विधेयक को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला करार दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “यह कानून संविधान की भावना के खिलाफ है। सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।” AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी: “सरकार वक्फ संपत्तियों को हड़पने की कोशिश कर रही है। यह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी है।”
अब आगे क्या होगा? • राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा होगी। • विपक्ष इसे राज्यसभा में रोकने के लिए रणनीति बना रहा है। • संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी जा सकती है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के पारित होने के साथ ही राजनीतिक संग्राम तेज हो गया है। जहां सरकार इसे पारदर्शिता और निष्पक्षता का प्रतीक मान रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान विरोधी और मुस्लिम विरोधी करार दे रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक राज्यसभा में भी इसी बहुमत से पारित हो पाता है या नहीं।