नई दिल्ली- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोज़र एक्शन को लेकर एक सख्त टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति के आरोपी या दोषी होने मात्र से उसका घर गिराया नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की कार्रवाई किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है, और अधिकारियों को मनमाने तरीके से काम करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
कोर्ट ने जोर देते हुए कहा, “अफसर जज नहीं बन सकते और यह फैसला नहीं कर सकते कि कौन दोषी है। ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।” इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी अधिकारी को यह अधिकार नहीं है कि वह कानून से ऊपर होकर किसी के खिलाफ कार्रवाई करे।
यह टिप्पणी हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में बुलडोज़र का उपयोग कर संदिग्धों और आरोपियों के घरों पर की जा रही कार्यवाही के संदर्भ में आई है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस तरह की कार्रवाइयों में संतुलन बनाए रखना जरूरी है और सिर्फ अदालत के निर्देशानुसार ही उचित कदम उठाए जा सकते हैं।
जानिए मुख्य बिंदु
सिर्फ इसलिए घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है. राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता.
बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है.
निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
कानून के शासन, कानूनी व्यवस्था में निष्पक्षता पर विचार करना होगा.
कानून का शासन मनमाने विवेक की अनुमति नहीं देता है. चुनिंदा डिमोलेशन से सत्ता के दुरुपयोग का सवाल उठता है.
आरोपी और यहां तक कि दोषियों को भी आपराधिक कानून में सुरक्षा दी गई है. कानून के शासन को खत्म नहीं होने दिया जा सकता है.
संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है.
अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह संविधान कानून का उल्लंघन है.
अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
अधिकारियों को सत्ता का दुरुपयोग करने पर बख्शा नहीं जा सकता.
स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करने वाले घर को गिराने पर विचार करते वक्त यह देखना चाहिए कि नगरपालिका कानून में क्या अनुमति है. अनधिकृत निर्माण समझौता योग्य हो सकता है या घर का केवल कुछ हिस्सा ही गिराया जा सकता है.
अधिकारियों को यह दिखाना होगा कि संरचना अवैध है और अपराध को कम करने या केवल एक हिस्से को ध्वस्त करने की कोई संभावना नहीं है
नोटिस में बुलडोजर चलाने का कारण, सुनवाई की तारीख बताना जरूरी होगी.
डिजिटल पोर्टल 3 महीने में बनाया जाना चाहिए, जिसमें नोटिस की जानकारी और संरचना के पास सार्वजनिक स्थान पर नोटिस प्रदर्शित करने की तारीख बताई गई है.
व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख जरूर दी जानी चाहिए.
आदेश में यह जरूर नोट किया जाना चाहिए कि बुलडोजर एक्शन की जरूरत क्यों है.
केवल तभी इमारत गिराई जा सकती है, जब अनधिकृत संरचना सार्वजनिक सड़क/रेलवे ट्रैक/जल निकाय पर हो. इसके साथ ही प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही इमारत गिराई जा सकती है
केवल वे संरचनाएं ध्वस्त की जाएंगी, जो अनाधिकृत पाई जाएंगी और जिनका निपटान नहीं किया जा सकता.
अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हर्जाना देना होगा.
अनाधिकृत संरचनाओं को गिराते वक्त विस्तृत स्पॉट रिपोर्ट तैयार की जाएगी. पुलिस और अधिकारियों की मौजूदगी में तोड़फोड़ की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. यह रिपोर्ट पोर्टल पर पब्लिश की जाएगी.
अगर घर गिराने का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए.
बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद दृश्य नहीं है
घर के मालिक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा.
नोटिस से 15 दिनों का वक्त नोटिस तामील होने के बाद है.
तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी.
कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे.
प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा, रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा.
आदेश के 15 दिनों के अंदर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का मौका दिया जाएगा.
सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा.
सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए.
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Dhanteras2024: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और माता लक्ष्मी के लिए भोग रेसिपी
नई दिल्ली – पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Dhanteras2024: धनतेरस का पर्व हर साल दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है, जिससे दीपावली की शुरुआत होती है। इस वर्ष धनतेरस का पर्व मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन को लेकर लोगों के मन में शुभ मुहूर्त और तिथि को लेकर कई सवाल रहते हैं। यहां जानिए धनतेरस की पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और माता लक्ष्मी के भोग के बारे में।
धनतेरस 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत मंगलवार, 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 बजे से होगी और यह बुधवार, 30 अक्टूबर दोपहर 1:15 बजे तक रहेगी। चूंकि धनतेरस की पूजा शाम को होती है, इसलिए धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:31 बजे से 8:13 बजे तक रहेगा।
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन शाम के समय कुबेर देवता के साथ माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर को पूजास्थल पर स्थापित करें। दीप जलाकर उन्हें फल और फूल अर्पित करें और उनका प्रिय भोग लगाएं। पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें और अंत में आरती करें।
धनतेरस के लिए विशेष भोग रेसिपी
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए धनतेरस के दिन मखाने और दूध की खीर का भोग लगाया जा सकता है। इसे बनाने के लिए मखाने, दूध, चीनी, ड्राई फ्रूट्स और इलायची पाउडर का उपयोग करें।
Sanjeev Khanna New Chief Justice: जस्टिस संजीव खन्ना होंगे भारत के नए चीफ जस्टिस, 11 नवंबर को लेंगे शपथ
नई दिल्ली- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Sanjeev Khanna New Chief Justice: जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर, 2024 को भारत के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेंगे। मौजूदा चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर को पदमुक्त होंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने संविधान द्वारा दी गई शक्ति का उपयोग करते हुए उनकी नियुक्ति की है।
जस्टिस संजीव खन्ना का करियर प्रोफाइल
जस्टिस संजीव खन्ना का कानूनी करियर प्रतिष्ठित रहा है। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकरण कराकर अपने करियर की शुरुआत की। शुरुआत में दिल्ली की जिला अदालतों में काम किया और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। उन्होंने संवैधानिक कानून, कंपनी कानून, आपराधिक कानून और मध्यस्थता में अनुभव हासिल किया। 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने और 2006 में स्थायी जज नियुक्त हुए।
मुख्य फैसले जिनसे चर्चा में आए
जस्टिस संजीव खन्ना कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जाने जाते हैं:
– लोकतांत्रिक भागीदारी के समर्थक: उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी।
– पीएमएलए मामलों में विचार: जस्टिस खन्ना ने पीएमएलए कानून के तहत देरी को जमानत का वैध आधार माना। वह इस समय पीएमएलए प्रावधानों की समीक्षा करने वाली पीठ के अध्यक्ष भी हैं।
– ईवीएम और वीवीपैट सत्यापन: अप्रैल 2024 में ईवीएम में 100% वीवीपैट सत्यापन के अनुरोध को उन्होंने अस्वीकार किया था, जिससे भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावों की सटीकता सुनिश्चित करने के कदमों की पुष्टि हुई।
– अनुच्छेद 370 और चुनावी बॉन्ड योजना: इस साल, जस्टिस खन्ना उस पांच-न्यायाधीशीय पीठ का हिस्सा थे, जिसने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा।
जस्टिस खन्ना के ये फैसले उनकी न्यायिक समझ और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
Pushpa Part 2 : इस दिन बॉक्स ऑफिस पर ‘पुष्पा 2’ होगी रिलीज, अल्लू अर्जुन फिर करेंगे धमाका
मुंबई – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Pushpa Part 2 : भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक, “पुष्पा 2: द रूल” (Pushpa 2 : The Rule) 5 दिसंबर को बड़े पर्दे पर धमाल मचाने के लिए तैयार है। टॉलीवुड के आइकॉन स्टार अल्लू अर्जुन एक बार फिर अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने आ रहे हैं। फिल्म निर्माताओं ने इसकी रिलीज़ डेट की आधिकारिक घोषणा कर दी है, और देशभर में इसे रिकॉर्ड संख्या में सिनेमाघरों में रिलीज़ करने की योजना बनाई जा रही है।
पुष्पा 2: द रूल से उम्मीदें काफी ऊंची हैं, क्योंकि फिल्म का पहला भाग, पुष्पा: द राइज़’ (Pushpa : The Rise), जबरदस्त हिट साबित हुआ था और बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक कलेक्शन किया था। अल्लू अर्जुन की पावर-पैक परफॉर्मेंस और फिल्म के डायलॉग्स ने दर्शकों के बीच जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की थी।
फिल्म को लेकर जबरदस्त बज
अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) की स्टारडम और फिल्म के धमाकेदार ट्रेलर ने पहले ही दर्शकों के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर फिल्म के प्रति उत्सुकता और ‘पुष्पा 2’ के गानों ने ट्रेंड सेट कर दिया है। फ़िल्म निर्माता इसे भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी रिलीज़ बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।
अल्लू अर्जुन का दमदार अवतार
इस बार अल्लू अर्जुन पहले से भी ज्यादा पावरफुल अंदाज़ में नजर आएंगे। फिल्म में उनके एक्शन सीक्वेंस, स्टाइल और दमदार डायलॉग्स पहले ही चर्चा का विषय बन चुके हैं। अल्लू अर्जुन के फैंस बेसब्री से उनके इस नए अवतार को देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं। पुष्पा 2: द रूल’ का धमाका 5 दिसंबर से बॉक्स ऑफिस पर होगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म कितने रिकॉर्ड्स तोड़ने में सफल होती है।
बॉक्स ऑफिस पर टूट सकते हैं रिकॉर्ड
फिल्म इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि ‘पुष्पा 2: द रूल’ के साथ बॉक्स ऑफिस पर नए रिकॉर्ड स्थापित हो सकते हैं। ट्रेंड्स के अनुसार, यह फिल्म देश के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े पैमाने पर रिलीज़ की जाएगी। फिल्म की एडवांस बुकिंग को लेकर भी दर्शकों में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
Rail Waiting Ticket: GNWL या PQWL, कौन सी टिकट होती है पहले कंफर्म, समझें ट्रेन की वेटिंग टिकटों का पूरा फंडा
नई दिल्ली- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क : Rail Waiting Ticket: भारत में ट्रेन यात्रा सबसे सस्ती और पसंदीदा साधन है, लेकिन सीटों की मांग हमेशा बनी रहती है। खासकर त्योहारों जैसे दिवाली और छठ के दौरान टिकट की मांग अपने चरम पर होती है। इस दौरान, बहुत से यात्रियों को कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता और वे वेटिंग लिस्ट में शामिल हो जाते हैं। कई यात्री वेटिंग टिकट से परिचित होते हैं, परंतु कम ही लोग जानते हैं कि ये कितने प्रकार की होती हैं और किस वेटिंग लिस्ट से कंफर्म टिकट मिलने के चांस ज्यादा होते हैं।
जब ट्रेन की सभी सीटें बुक हो जाती हैं, तब रेलवे वेटिंग टिकट जारी करता है, ताकि कोई यात्री टिकट कैंसिल करता है तो वह सीट वेटिंग लिस्ट में शामिल किसी अन्य यात्री को मिल सके। वेटिंग टिकट मुख्य रूप से चार प्रकार की होती हैं—जनरल वेटिंग लिस्ट (GNWL), रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट (RLWL), पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट (PQWL), और तत्काल कोटा वेटिंग लिस्ट (TQWL)। आइए, जानते हैं किस वेटिंग लिस्ट के कंफर्म होने की कितनी संभावना होती है।
जनरल वेटिंग लिस्ट (GNWL)
GNWL उस स्थिति में जारी की जाती है, जब यात्री ट्रेन के ओरिजिन स्टेशन से यात्रा कर रहा हो। उदाहरण के लिए, अगर आप दिल्ली से मुंबई जाने वाली ट्रेन का टिकट दिल्ली से बुक करते हैं, तो आपको GNWL मिलेगा। इस वेटिंग लिस्ट के कंफर्म होने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं, क्योंकि इसमें ओरिजिन और डेस्टिनेशन स्टेशनों के लिए सीटों की संख्या अधिक होती है।
रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट (RLWL)
RLWL वेटिंग लिस्ट उन यात्रियों के लिए होती है जो बीच के महत्वपूर्ण स्टेशनों से टिकट बुक करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति हावड़ा से दिल्ली जाने वाली ट्रेन में पटना से यात्रा करता है, तो उसे RLWL मिलेगा। इस लिस्ट के कंफर्म होने के चांस GNWL के मुकाबले कम होते हैं।
पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट (PQWL)
PQWL उन यात्रियों के लिए होती है, जो ट्रेन के शुरू और अंत के बीच के स्टेशनों से यात्रा करते हैं। यह वेटिंग टिकट छोटे स्टेशनों से बुक की जाती है, और इसके कंफर्म होने की संभावना भी काफी कम होती है।
तत्काल कोटा वेटिंग लिस्ट (TQWL)
तत्काल कोटा में वेटिंग टिकट तब जारी की जाती है, जब तत्काल टिकट बुक करते समय कंफर्म सीट नहीं मिलती। यह सबसे कम संभावनाओं वाली वेटिंग लिस्ट होती है, क्योंकि इसके लिए कोई अलग कोटा नहीं होता।
lawrance bishnoi: लॉरेंस बिश्नोई का एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मी को मिलेगा 1 करोड़ 11 लाख का इनाम, क्षत्रिय करणी सेना का ऐलान
नई दिल्ली- पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क : lawrance bishnoi: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के एनकाउंटर पर इनाम की घोषणा करते हुए क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने एक बड़ा ऐलान किया है। शेखावत ने कहा कि यदि कोई पुलिसकर्मी लॉरेंस बिश्नोई का एनकाउंटर करता है, तो उसे 1 करोड़ 11 लाख, 11 हजार 1 सौ 11 रुपए का इनाम दिया जाएगा। यह घोषणा उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो के माध्यम से की है।
गोगामेड़ी की हत्या का आरोप
शेखावत ने इस इनाम की घोषणा करते हुए कहा कि बिश्नोई पर क्षत्रिय करणी सेना के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या कराने का आरोप है। पिछले साल 5 दिसंबर 2023 को राजस्थान के जयपुर में गोगामेड़ी की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली थी। गैंग के सदस्य गोल्डी बराड़ ने दावा किया था कि गोगामेड़ी उनके कामकाज में अड़चन डाल रहे थे और उन्हें चेतावनी देने के बाद उनकी हत्या कराई गई।
शेखावत ने अपने बयान में कहा, “हमारे आदरणीय सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या लॉरेंस बिश्नोई द्वारा कराई गई थी। अब हमें भयभीत नहीं, भयमुक्त भारत चाहिए। जो भी पुलिसकर्मी लॉरेंस बिश्नोई का एनकाउंटर करेगा, उसे करणी सेना की ओर से 1 करोड़ 11 लाख, 11 हजार 1 सौ 11 रुपए का इनाम दिया जाएगा।”
करणी सेना की केंद्र सरकार से मांग
करणी सेना ने केंद्र सरकार से भी यह मांग की है कि जल्द से जल्द लॉरेंस बिश्नोई का एनकाउंटर किया जाए, ताकि देश को गैंगस्टर के आतंक से मुक्ति मिल सके। इस संबंध में शेखावत ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर भी एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है।
गुजरात की जेल में बंद है बिश्नोई
लॉरेंस बिश्नोई फिलहाल गुजरात की जेल में बंद है और उस पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। बिश्नोई का नाम कई हाई-प्रोफाइल मामलों में भी सामने आया है, जिसमें सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मामला प्रमुख है।
करणी सेना द्वारा किए गए इस इनाम के ऐलान के बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है और देखना होगा कि इस पर केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियां क्या कदम उठाती हैं।
Blast In Delhi: धमाके से दहल उठी दिल्ली, आतंकी साजिश की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियां
नई दिल्ली – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Blast In Delhi: राजधानी दिल्ली के प्रशांत विहार इलाके में सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए जोरदार धमाके ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। दिवाली से ठीक पहले हुए इस धमाके की जांच दिल्ली पुलिस के साथ केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां कर रही हैं। घटना स्थल से सबूत इकट्ठे किए जा रहे हैं और आसपास के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह धमाका किसी आतंकी साजिश का हिस्सा है या किसी और कारण से हुआ है। लेकिन त्योहारों के इस मौसम में हुए इस धमाके ने एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं।
सुरक्षा कड़ी, दिल्ली में हाई अलर्ट घोषित
रोहिणी के प्रशांत विहार इलाके में सुबह करीब 7.47 बजे हुए हुए इस धमाके के बाद दिल्ली पुलिस ने पूरे शहर में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। विशेष रूप से प्रमुख बाजार क्षेत्रों जैसे चांदनी चौक, लाजपत नगर, कमला मार्केट, सरोजिनी नगर, सदर बाजार में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इन इलाकों में पुलिस की पैनी नजर संदिग्ध गतिविधियों पर बनी हुई है और सादी वर्दी में भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि अगर कोई संदिग्ध वस्तु दिखाई दे, तो तुरंत पुलिस को सूचना दी जाए।
13 साल बाद दिल्ली में बड़ा धमाका
यह धमाका दिल्ली में लगभग 13 साल बाद हुआ है। इससे पहले, 2011 के बाद राजधानी में कोई बड़ा विस्फोट नहीं हुआ था। हालांकि, 14 जनवरी 2022 को गाजीपुर फूल मंडी के गेट पर एक बैग में आईईडी विस्फोटक मिला था, जिसे एनएसजी की टीम ने निष्क्रिय किया था। उस विस्फोटक में आरडीएक्स और अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। अब, इस हालिया धमाके ने एक बार फिर दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
NIA और NSG की टीम जुटी जांच में
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, त्योहारों के दौरान राजधानी में आतंकी साजिश के इनपुट्स पहले से ही मिले थे, जिसके बाद से दिल्ली में अलर्ट जारी किया गया था। घटना के बाद घटनास्थल पर डॉग स्क्वाड, बम स्क्वाड, IGL, NIA और NSG की टीमों ने जांच शुरू कर दी है। एनएसजी कमांडो ने सीआरपीएफ स्कूल के पास के इलाके में तलाशी अभियान भी चलाया है।
विशेषज्ञों की जांच जारी
रोहिणी के डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि धमाके की असल वजह का पता लगाने के लिए एक्सपर्ट्स को बुलाया गया है। शुरुआती जांच में क्रूड बम जैसा मटेरियल मिलने की बात सामने आई है, लेकिन विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जा रहा है ताकि धमाके के सोर्स का पता लगाया जा सके।
आतंकी साजिश की जांच
दिल्ली पुलिस की एटीएस घटना की जांच आतंकी हमले के एंगल से भी कर रही है। आस-पास के पुलिस थानों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं और बाजारों में पैदल गश्त बढ़ा दी गई है। लोगों से अनुरोध किया गया है कि कोई भी संदिग्ध वस्तु या गतिविधि दिखने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) की टीम को भी मौके पर बुला लिया गया है।
स्थानीय लोगों में दहशत
विस्फोट की आवाज सुनते ही स्थानीय लोग अपने घरों और दुकानों से बाहर निकल आए। घटनास्थल के पास चश्मे की दुकान चलाने वाले सुमित ने कहा, “धमाका इतना जोरदार था कि मेरी दुकान के खिड़की के शीशे टूट गए और सारा सामान जमीन पर गिर गया।” वहीं, स्थानीय निवासी राकेश गुप्ता ने बताया, “सुबह करीब 7.30 बजे हमने बहुत तेज धमाके की आवाज सुनी। हमें लगा कि पास में कोई एलपीजी सिलेंडर फट गया है। कई दुकानों के शीशे टूट गए हैं।” इस धमाके ने एक बार फिर दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है, और इस मामले में आतंकी साजिश की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जांच जारी है, और जल्द ही सच्चाई सामने आने की उम्मीद है।
Train Cancelled : यात्री ध्यान दे! दिवाली के पहले कई ट्रेनें निरस्त, इन ट्रेनों के मार्ग और समय में किया परिवर्तन
रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Train Cancelled: उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल द्वारा प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर यार्ड रिमॉडलिंग और अन्य कार्यों के कारण रतलाम मंडल से गुजरने वाली कई ट्रेनों पर प्रभाव पड़ेगा। इनमें से कई ट्रेनें रद्द की गई हैं, जबकि अन्य के रूट बदल दिए गए हैं। ऐसे में दिवाली के लिए पहले से टिकट बुक कर चुके यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। त्योहार के दौरान यात्रा में आए इस व्यवधान से यात्रियों की कठिनाइयां बढ़ने की संभावना है।
निरस्त होने वाली ट्रेनें
– 16 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09061 उधना-ग़ाज़ीपुर सिटी स्पेशल
– 18 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09062 गाज़ीपुर सिटी-उधना स्पेशल
-17 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09525 हापा-नाहरलगुन स्पेशल
– 19 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09526 नाहरलगुन-हापा स्पेशल
परिवर्तित मार्ग से चलने वाली ट्रेन
– 18 एवं 20 अक्टूबर ट्रेन नंबर 20941 बांद्रा टर्मिनस-गाजीपुर सिटी एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग कानपुर सेंट्रल-उन्नाव-मां बेल्हादेवी धाम प्रतापगढ़-जंघई के रास्ते चलाई जाएगी।
– 20 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 20942 गाजीपुर सिटी-बांद्रा टर्मिनस एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग जंघई-मां बेल्हादेवी धाम प्रतापगढ़ -उन्नाव-कानपुर सेंट्रल के रास्ते चलाई जाएगी।
– 16 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09447 अहमदाबाद – पटना स्पेशल परिवर्तित मार्ग कानपुर सेंट्रल- लखनऊ- पं.दीनदयाल उपाध्याय जं के रास्ते चलाई जाएगी।
– 18 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09448 पटना-अहमदाबाद स्पेशल परिवर्तित मार्ग कानपुर सेंट्रल- लखनऊ- पं.दीनदयाल उपाध्याय जं के रास्ते चलाई जाएगी।
– 17 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 22468 गांधीनगर कैपिटल – वाराणसी एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग वाराणसी – लखनऊ -कानपुर सेंट्रल- गोविंदपुरी – भीमसेन के रास्ते चलाई जाएगी।
– 21 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 20416 इंदौर – वाराणसी सुपर-फास्ट एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग वाराणसी – लखनऊ – कानपुर सेंट्रल- गोविंदपुरी – भीमसेन के रास्ते चलाई जाएगी।
– 20 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 20415 वाराणसी – इंदौर सुपर-फास्ट एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग वाराणसी – लखनऊ – कानपुर सेंट्रल- गोविंदपुरी – भीमसेन के रास्ते चलाई जाएगी।
– 17 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 22969 ओखा – बनारस सुपरफास्ट एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग जंघई – लखनऊ – कानपुर सेंट्रल के रास्ते चलाई जाएगी।
– 19 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 22970 बनारस – ओखा सुपरफास्ट एक्सप्रेस परिवर्तित मार्ग जंघई – लखनऊ – कानपुर सेंट्रल के रास्ते चलाई जाएगी।
शॉर्ट टर्मिनेट होने वाली ट्रेनें
– 17 से 20 अक्टूबर तक ट्रेन नंबर 14115 डॉ. आंबेडकर नगर- प्रयागराज एक्सप्रेस खजुराहो स्टेशन तक चलेगी।
– 18 से 21 अक्टूबर ट्रेन नंबर 14116 प्रयागराज -डॉ. अंबेडकरनगर एक्सप्रेस खजुराहो से चलगी।
– 18 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09117 सूरत-सूबेदारगंज साप्ताहिक स्पेशल फ़तेहपुर तक चलेगी।
– 19 अक्टूबर को ट्रेन नंबर 09118 सूबेदारगंज – सूरत साप्ताहिक स्पेशल फ़तेहपुर से चलेगी।
इन ट्रेन के आने – जाने के समय में किया परिवर्तन
1. वेरावल-जबलपुर एक्सप्रेस (11463/11465):
– वेरावल से 17 अक्टूबर 2024 से:
– नागदा आगमन: 01:32 बजे, प्रस्थान: 01:35 बजे
– उज्जैन आगमन: 02:30 बजे, प्रस्थान: 02:40 बजे
– 19 अक्टूबर 2024 से इसी समय के अनुसार चलेगी।
2. जयपुर-हैदराबाद एक्सप्रेस (12719):
– 18 अक्टूबर 2024 से जयपुर से:
– उज्जैन आगमन: 02:15 बजे, प्रस्थान: 02:20 बजे
3. हिसार-हैदराबाद एक्सप्रेस (17019):
– 22 अक्टूबर 2024 से जयपुर से:
– नागदा आगमन: 01:19 बजे, प्रस्थान: 01:21 बजे
– उज्जैन आगमन: 02:15 बजे, प्रस्थान: 02:20 बजे
4. जब्बलपुर-वेरावल एक्सप्रेस (11464):
– 17 अक्टूबर 2024 से जबलपुर से:
– उज्जैन आगमन: 23:50 बजे, प्रस्थान: 00:00 बजे
5. जबलपुर-वेरावल एक्सप्रेस (11466):
– 17 अक्टूबर 2024 से जबलपुर से:
– उज्जैन आगमन: 23:50 बजे, प्रस्थान: 00:00 बजे
जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे उपरोक्त परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं। विस्तृत जानकारी के लिए यात्री [Indian Railways की वेबसाइट] (http://www.enquiry.indianrail.gov.in) पर जा सकते हैं।
Godess Worship In India : भारतीय संस्कृति में मातृपूजा का गहरा इतिहास, पांच हजार वर्ष पुरानी है परंपरा
हड़प्पा सभ्यता के एक पुरास्थल से प्राप्त एक पट्टिका पर महिषासुर का मर्दन करती हुई देवी का अंकन मिलता है, जिसे महिषासुरमर्दिनी की कहानी का प्रथम चित्रण माना जाता है – प्रोफेसर शुभम केवलिया
पब्लिक वार्ता,
प्रोफेसर शुभम केवलिया। Godess Worship In India: मातृपूजा भारतीय संस्कृति की एक अत्यंत प्राचीन परंपरा है, जिसकी जड़ें लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व की सरस्वती और सिंधु नदी की घाटियों में मिलती हैं। यहां से शुरू हुई मातृदेवी की आराधना भारतीय समाज में गहराई तक व्याप्त है, जो आज भी विभिन्न पर्वों में जीवंत दिखाई देती है। पुरातात्विक उत्खननों से प्राप्त सामग्री इस बात का प्रमाण देती है कि भारतीय सभ्यता का आरंभिक स्वरूप मातृदेवियों के पूजन पर आधारित था। विशेषकर हड़प्पा (Hadappa) और मोहनजोदड़ो (Mohanajodado) से मिली मातृदेवियों की मूर्तियां इस तथ्य को और भी स्पष्ट करती हैं कि भारतीय समाज ने देवी-पूजन को अपने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बना रखा था।
प्राचीन सभ्यताओं में मातृदेवी की आराधना
पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार, सिंधु-सरस्वती सभ्यता से पकी मिट्टी से बनी मातृदेवी की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इन मूर्तियों में देवी के सौम्य और रौद्र दोनों रूपों को दर्शाया गया है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित कुल्ली पुरास्थल से मातृदेवी के चंडी स्वरूप की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं, जो देवी के शक्तिशाली और उग्र रूप की ओर इंगित करती हैं। बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज शक्तिपीठ, जो 52 शक्तिपीठों में से एक है, भी मातृदेवी की आराधना की प्राचीनता को दर्शाता है।
हड़प्पा सभ्यता के एक पुरास्थल से प्राप्त एक पट्टिका पर महिषासुर का मर्दन करती हुई देवी का अंकन मिलता है, जिसे महिषासुरमर्दिनी की कहानी का प्रथम चित्रण माना जाता है। बलूचिस्तान के नौशारो क्षेत्र से मातृदेवी की मूर्तियां मिली हैं, जिनके मस्तक पर सिंदूर के प्रमाण मिले हैं। यह भारतीय संस्कृति में विवाहित स्त्रियों द्वारा सिंदूर लगाने की परंपरा को पांच हजार वर्षों पूर्व तक ले जाता है।
मातृदेवियों के प्रतीक और अर्थ
भारतीय संस्कृति में मातृदेवियों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। पुरातात्विक साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय समाज ने धरती को सृजनकर्ता के रूप में देखा और धरती को मां का स्वरूप दिया। हड़प्पा से प्राप्त एक पट्टिका पर एक स्त्री के गर्भ से एक पौधे के अंकुरण का चित्रण हुआ है, जो मातृदेवी के सृजनात्मक स्वरूप को दर्शाता है। इसी सभ्यता में सप्तमातृकाओं का भी महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुद्रिका पर खड़ी सात मानव आकृतियों को कुछ विद्वान सप्तमातृकाओं का चित्रण मानते हैं, जो भारतीय देवी-पूजा के एक और पहलू को उजागर करती है।
मथुरा और वैदिक काल की देवी-पूजा
मातृदेवी की मूर्तिकला में आगे का विकास लगभग दो हजार वर्ष पूर्व मथुरा में देखा गया। मथुरा के उत्खननों से दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी और सप्तमातृकाओं जैसे देवी स्वरूपों की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। मथुरा से प्राप्त देवी की मूर्तियों ने बाद में बनने वाली मातृदेवियों की मूर्तिकला की दिशा निर्धारित की। इन मूर्तियों के माध्यम से देवी-पूजा की परंपरा पुनः प्रारंभ हुई और यह भारतीय समाज का एक स्थायी हिस्सा बनी रही।
मातृपूजा: भारतीय संस्कृति की स्थायी परंपरा
मातृपूजा की परंपरा भारतीय जनमानस में गहराई से रची-बसी है। यह परंपरा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की आदिकाल से चली आ रही सामाजिक संरचना का भी प्रतीक है। भारतीय समाज में मातृदेवी को धरती, शक्ति और सृजन का प्रतीक माना गया है। यह भारतीय संस्कृति की सबसे प्राचीन परंपराओं में से एक है, जिसे आज भी नवरात्रि और अन्य धार्मिक पर्वों में पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति की यह अनूठी परंपरा हमें यह समझने का अवसर देती है कि देवी-पूजा की जड़ें कितनी गहरी हैं और यह कैसे हजारों वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखी हैं। भारतीय समाज के लिए मातृदेवी की पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखती है। यह परंपरा आज भी नवरात्रि, दुर्गापूजा और अन्य उत्सवों के माध्यम से जीवित और प्रासंगिक बनी हुई है।
(Disclaimer: यह लेख पुरातत्वविद व इतिहासकार प्रो. शुभम केवलिया द्वारा अद्यतन किया गया है। इस लेख में लेखक के अपने विचार और शोध है।)
Ratan Tata Died: उद्योग जगत के “रतन” ने कहा अलविदा, मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने86 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस
मुंबई – पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क| Ratan Tata Died: मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बुधवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। कुछ दिनों पहले ही उन्हें तबीयत बिगड़ने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वे आईसीयू में थे। इससे तीन दिन पहले उनके निधन की अफवाहें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं, जिन्हें खुद रतन टाटा ने खारिज करते हुए कहा था कि वे पूरी तरह स्वस्थ हैं।
रतन टाटा, जो टाटा संस के चेयरमैन थे, का पूरा नाम रतन नवल टाटा था। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे नवल टाटा और सूनी कमिसारीट के पुत्र थे। बचपन में माता-पिता के अलग होने के बाद, उनकी देखभाल उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की और उन्हें औपचारिक रूप से गोद ले लिया। रतन टाटा की परवरिश उनके सौतेले भाई नोएल टाटा के साथ हुई।
रतन टाटा न सिर्फ एक सफल उद्योगपति थे, बल्कि अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी विख्यात थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अद्भुत ऊंचाइयों को छुआ और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। चाय से लेकर जैगुआर लैंड रोवर तक, नमक बनाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने और होटलों के ग्रुप तक, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में टाटा समूह की उपस्थिति महत्वपूर्ण है।
पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा का जीवन प्रेरणादायक था। उनकी सोच और उनके निर्णय लेने की क्षमता उन्हें सबसे अलग बनाती थी। उन्होंने एक बार कहा था, “मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता, मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित करता हूं।” उनका कहना था कि शक्ति और धन उनके लिए प्राथमिकता नहीं हैं, बल्कि उनका उद्देश्य समाज की भलाई करना था।
रतन टाटा का जाना उद्योग जगत और देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान और उनकी विरासत सदैव याद की जाएगी।