हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: भाजपा का दबदबा बरकरार, विपक्ष की चुनौतियाँ बढ़ीं

हरियाणा पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क| हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के परिणाम घोषित हो गए हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर अपनी स्थिति को मजबूत किया है। वर्तमान में भाजपा 45 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 30 से अधिक सीटें जीतने में सफल रही है। अन्य क्षेत्रीय दलों, जैसे इंडियन नेशनल लोक दल (INLD), ने भी कुछ सीटों पर जीत दर्ज की है।

भाजपा की सफलता: विकास और सुशासन की जीत
भाजपा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में विकास और सुशासन के मुद्दों को प्राथमिकता दी। पार्टी ने ग्रामीण विकास, औद्योगिक प्रगति और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों पर जोर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उसे युवाओं का समर्थन मिला। इसके प्रभावी संगठन और जमीनी स्तर पर काम ने भाजपा को व्यापक सफलता दिलाई।

कांग्रेस और विपक्ष की चुनौतियाँ
विपक्षी कांग्रेस ने बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाया, लेकिन भाजपा की विकासात्मक नीतियों के खिलाफ प्रभावी रूप से मुकाबला नहीं कर पाई। किसान आंदोलन के बावजूद, कांग्रेस को अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। INLD और जेजेपी जैसे क्षेत्रीय दल भी अपनी पूर्व स्थिति को बनाए रखने में असफल रहे।

जातीय समीकरण और चुनावी परिणाम
हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण रहे हैं। भाजपा ने गैर-जाट समुदायों के बीच समर्थन जुटाकर अपनी स्थिति को मजबूत किया। हालांकि, विपक्ष ने जाट मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की, लेकिन भाजपा की रणनीति ने इस प्रयास को विफल कर दिया।

राजनीतिक परिदृश्य: भविष्य की संभावनाएँ
भाजपा की जीत ने यह साबित किया है कि राज्य में विकास और सुशासन की राजनीति महत्वपूर्ण है। विपक्ष को अपनी रणनीति में सुधार की आवश्यकता है। कांग्रेस को अपने नेतृत्व और एकता पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जबकि क्षेत्रीय दलों को अपने आधार को मजबूत करने के लिए नए तरीके तलाशने होंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने भाजपा की मजबूती को स्पष्ट किया है। पार्टी की विकासात्मक नीतियाँ और संगठनात्मक क्षमताएँ उसे फिर से सत्ता में लाने में सफल रही हैं। भविष्य में, हरियाणा की राजनीति में और भी दिलचस्प बदलाव देखने को मिल सकते हैं, खासकर आगामी लोकसभा चुनावों की दृष्टि से।

Minimum Wages: केंद्र सरकार का श्रमिकों को बड़ा तोहफा, न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी, 1 अक्टूबर से लागू होंगी नई दरें

नई दिल्ली पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। केंद्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को राहत देते हुए न्यूनतम मजदूरी दरों  (Minimum Wages) में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की घोषणा की है। श्रम मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी बयान के अनुसार, परिवर्तनीय महंगाई भत्ते (VDA) में संशोधन कर श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी में 1035 रुपये प्रतिदिन तक की वृद्धि की गई है। यह संशोधन 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगा। पिछली बार यह बदलाव अप्रैल 2024 में किया गया था।

कौन होंगे लाभार्थी?
इस बढ़ोतरी का लाभ केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को मिलेगा। इनमें भवन-निर्माण, लोडिंग-अनलोडिंग, सफाई, हाउसकीपिंग, खनन और कृषि जैसे क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक शामिल हैं। सरकार ने श्रमिकों को अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और उच्च कुशल के वर्गों में बांटते हुए उनके लिए अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी दर तय की है। इसके अलावा, भौगोलिक आधार पर श्रमिकों को ए, बी और सी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

नई न्यूनतम मजदूरी दरें
संशोधित मजदूरी दरों के तहत, भौगोलिक क्षेत्र-ए में अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 783 रुपये प्रतिदिन (20,358 रुपये प्रति माह) होगी। वहीं, अर्धकुशल श्रमिकों के लिए यह दर 868 रुपये प्रतिदिन (22,568 रुपये प्रति माह) होगी। कुशल श्रमिकों को अब 954 रुपये प्रतिदिन (24,804 रुपये प्रति माह) मिलेंगे, जबकि उच्च कुशल श्रमिकों की मजदूरी 1,035 रुपये प्रतिदिन (26,910 रुपये प्रति माह) होगी।

महंगाई के साथ मजदूरी में वृद्धि
केंद्र सरकार हर साल अप्रैल और अक्टूबर में औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई दर के आधार पर वीडीए में संशोधन करती है, ताकि श्रमिकों को महंगाई से निपटने में मदद मिल सके। इस बार की वृद्धि भी खुदरा महंगाई में पिछले छह महीने की औसत वृद्धि को ध्यान में रखते हुए की गई है।

न्यूनतम मजदूरी दरों में इस बढ़ोतरी से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को जीवन-यापन की बढ़ती लागत के मुकाबले राहत मिलेगी। केंद्र सरकार का यह कदम श्रमिकों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

नहीं रुलाएगा प्याज! : मोदी सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर लगाया बेन, लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला

चीनी से एथोनॉल बनाने पर भी रोक, ताकि महंगाई पर किया जा सके कंट्रोल

पब्लिक वार्ता – नई दिल्ली,
जयदीप गुर्जर। केंद्र की मोदी सरकार ने मार्च 2024 तक प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव अब केवल 4 महीने दूर है, ऐसे में माना जा रहा है की मोदी सरकार इस महाचुनाव से पहले महंगाई को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। प्याज के देश से बाहर एक्सपोर्ट पर रोक लगाने के इस फैसले से उसकी बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड  (DGFT) ने इस फैसले को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन के मुताबिक प्याज के एक्सपोर्ट पॉलिसी में संशोधन करते हुए उसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन का फैसला शुक्रवार 8 दिसंबर, 2023 से लागू हो चुका है। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के मुताबिक 8 दिसंबर 2023 को खुदरा बाजार में प्याज की औसत कीमत 56.82 रुपये प्रति किलो है। जबकि पिछले साल यानी 8 दिसंबर 2022 को औसतन प्याज की कीमत 28.88 रुपये प्रति किलो थी। एक साल में प्याज की कीमतों में करीब दोगुना उछाल आया है।

हालांकि सरकार ने कहा कि तीन परिस्थितियों में प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर छूट दी जा सकती है। जिसमें पहला नोटिफिकेशन के जारी होने से पहले जहाज पर प्याज की लोडिंग की जा चुकी हो। दूसरा, नोटिफिकेशन के जारी होने से पहले शिपिंग बिल भरा जा चुका हो और पोर्ट पर प्याज की लोडिंग के लिए पहुंच चुका हो। इस परिस्थिति में एक्सपोर्ट की अप्रूवल तभी मिलेगी जब अथॉरिटी ये कंफर्म कर दे कि जहाज की बर्थिंग की जा चुकी है। और तीसरी परिस्थिति ये कि एक्सपोर्ट किया जाने वाला प्याज कस्टम को सौंपा जा चुका हो और सिस्टम में उसकी एंट्री हो चुकी हो। वहीं यह छूट केवल 5 जनवरी 2024 तक ही मिल सकेगी। आपको बता दे इससे पहले केंद्र सरकार गेहूं, चावल, चीनी के निर्यात पर भी रोक लगा चुकी है। गुरुवार को सरकार ने चीनी की कीमतों में उछाल के बाद गन्ने से एथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी है जिससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में कमी लाई जा सके।