रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Ratlam’s Lakshmi Temple: आपसे कोई पूछे की कुबेर का खजाना कहां है? तो आपको जवाब नहीं मिलेगा। लेकिन मध्यप्रदेश के रतलाम शहर का एक ऐसा मंदिर है जिसे आप देख ले तो आपको आपका जवाब जरूर मिल जाएगा। रतलाम के माणक चौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर दिवाली पर कुछ ऐसे ही नजर आता है। इस मंदिर में इतना धन – दौलत देखकर हर कोई इसे कुबेर के खजाने से ही जोड़ता है। लेकिन असल में यह कुबेर का खजाना नहीं बल्कि भक्तों का धन है जो महालक्ष्मी को अर्पण किया जाता है।
दरअसल दीपावली (Diwali) के पर्व पर रतलाम का ऐतिहासिक महालक्ष्मी (Ratlam Lakshmi Mandir) मंदिर देशभर में अनूठा आकर्षण बना हुआ है। यहां महालक्ष्मी की मूर्ति को सजाने के लिए भक्तों द्वारा दिए गए करोड़ों रुपये के नोट और आभूषणों से पूरा मंदिर परिसर कुबेर के खजाने की तरह जगमगा उठा है। यह देश का इकलौता मंदिर है जहां दीपावली पर भक्तों द्वारा दिए गए गहनों और नकदी से सजावट की जाती है।
नोटों और आभूषणों की अद्भुत सजावट
मंदिर में इस वर्ष दीपावली सजावट की शुरुआत 14 अक्टूबर, शरद पूर्णिमा से ही हो चुकी थी। विभिन्न मूल्यवर्ग के नोट, 1 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के नए-नए नोट, मंदिर के हर कोने में सजाए गए हैं। ये नोट और आभूषण भक्तों द्वारा स्वेच्छा से श्रद्धा के साथ दिए जाते हैं। मंदसौर, नीमच, इंदौर, उज्जैन, नागदा, खंडवा, देवास सहित राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू कश्मीर आदि तक से भक्तजन धन और आभूषणों के साथ मंदिर में माता महालक्ष्मी का श्रृंगार करने पहुंचते हैं।
श्रद्धालु अपने घरों की तिजोरी से नकदी और गहने लेकर मंदिर में सजावट के लिए जमा कराते हैं। यहां तक कि कई भक्त तो 5 लाख रुपये तक नकद भी श्रद्धापूर्वक रखते हैं। इन नोटों से मंदिर के लिए विशेष वंदनवार बनाए जाते हैं, जिससे पूरा गर्भगृह कुबेर के खजाने जैसा दिखाई देने लगता है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मंदिर में इतने विशाल खजाने की सुरक्षा के लिए 4 गार्ड और सीसीटीवी कैमरे तैनात हैं। साथ ही, मंदिर के निकट स्थित माणक चौक पुलिस थाना 24 घंटे मंदिर की सुरक्षा में मुस्तैद रहता है। भक्तजनों की संपत्ति की पवित्रता बनाए रखने के लिए मंदिर प्रशासन हर प्रकार का एहतियात बरतता है। जितने विश्वास से भक्त यहां सजावट के लिए धन व आभूषण अर्पित करते है, उतने ही विश्वास से लेने भी आते है। हैरानी की बात है की आज तक कभी किसी के धन वापसी करते समय कोई विघ्न नहीं आया है।
श्रद्धालुओं के नोट और आभूषण सुरक्षित, रजिस्टर में एंट्री के साथ टोकन
मंदिर प्रशासन भक्तों की संपदा की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रबंध करता है। प्रत्येक भक्त के नोट और आभूषणों का नाम, पता और मोबाइल नंबर एक रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। इसके साथ ही, भक्त का पासपोर्ट आकार का फोटो भी लगाया जाता है और टोकन देकर यह संपत्ति उन्हें बाद में सुरक्षित रूप से लौटाई जाती है। यह व्यवस्था इतनी पुख्ता है कि आज तक किसी भी भक्त की संपदा में कोई हेरफेर नहीं हुआ है।
दीपावली के बाद प्रसाद में लौटाए जाएंगे गहने और नकदी
सबसे विशेष और रहस्यमय पहलू यह है कि दीपावली का पर्व समाप्त होते ही भाई दूज के दिन भक्तों को उनका धन और गहने “प्रसाद” के रूप में लौटा दिए जाते हैं। मान्यता है कि जिनके धन से महालक्ष्मी का श्रृंगार होता है, उनके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
दो शताब्दियों पुरानी परंपरा
मंदिर के कुलदीप त्रिवेदी के अनुसार लगभग 200 वर्ष पहले राजा रतन सिंह ने अपने राज्य की समृद्धि और प्रजा की खुशहाली के लिए यह परंपरा शुरू की थी। उन्होंने अपनी संपदा पांच दिनों तक देवी महालक्ष्मी के चरणों में अर्पित करने का संकल्प लिया, जो आज तक निभाया जा रहा है। इसी क्रम में इस मंदिर में महालक्ष्मी के आठ स्वरूपों—अधी लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, लक्ष्मीनारायण, धन लक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी और ऐश्वर्य लक्ष्मी—की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
वास्तविक कुबेर के खजाने जैसा भव्य रूप
दीपावली पर पूरे सप्ताह तक यह मंदिर वैभव और आस्था का अनोखा प्रतीक बन जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां दिए गए धन से महालक्ष्मी के आशीर्वाद से उनका घर और जीवन समृद्धि से भर जाता है।