Ratlam News: रतलाम में आवारा सांडों का आतंक, 4 महीने में दूसरी मौत, नगर निगम पर उठे गंभीर सवाल!

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। रतलाम में आवारा सांडों के आतंक का खौफनाक सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को सांड के हमले में घायल एक व्यक्ति की मौत ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले 4 महीनों में सांड के हमले से यह दूसरी मौत है, जिससे शहर में आक्रोश व्याप्त हो गया। नगर निगम अधिकारियों और महापौर के खिलाफ जमकर नारेबाजी लोगों ने की। (Ratlam News)

सांड की लड़ाई में घायल व्यक्ति की दर्दनाक मौत
दो दिन पहले, वार्ड 23 के तेजानगर ब्लॉक में रहने वाले राजेश गुगलिया (45) और उनकी मां मोहनबाई घर के बाहर बैठे थे। तभी दो सांड लड़ते हुए आए और इन दोनों पर हमला कर दिया। हमले में मां-बेटे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जहां मोहनबाई को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, वहीं राजेश की हालत बिगड़ती चली गई। बुधवार सुबह 6 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि राजेश को अंदरूनी चोटें लगी थीं, जिससे उनकी जान चली गई।

क्षेत्रवासियों से चर्चा करते महापौर प्रहलाद पटेल व निगम कमिश्नर हिमांशु भट्ट

परिजनों और स्थानीय निवासियों का फूटा गुस्सा, चक्काजाम
राजेश की मौत के बाद, गुस्साए परिजन और स्थानीय निवासियों ने संत रविदास चौक पर शव रखकर चक्काजाम कर दिया। करीब 2 घंटे तक नगर निगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। गुस्साए लोगों की मांग थी कि दोषियों पर कार्रवाई हो और परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए। चक्काजाम की सूचना मिलने पर निगम कमिश्नर हिमांशु भट्ट, एसडीएम अनिल भाना समेत कई अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बावजूद परिजनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। आखिरकार, रतलाम के महापौर प्रहलाद पटेल के आश्वासन पर ही चक्काजाम खत्म किया गया। उन्होंने मृतक के परिवार रेडक्रॉस और आदि की और से 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया।

नगर निगम की लापरवाही: 4 महीने में दूसरी जान गई
यह पहली बार नहीं है कि रतलाम में सांड के हमले ने किसी की जान ली है। चार महीने पहले, टाटा नगर निवासी शांताबाई (60) की भी सांड की लड़ाई में मौत हो गई थी। बावजूद इसके, नगर निगम ने सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों को पकड़ने की कार्रवाई को गंभीरता से नहीं लिया। कुछ दिन तक मवेशियों को पकड़ने की मुहिम चलाई गई, लेकिन जल्द ही यह कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। शहर की सड़कों पर मवेशियों की संख्या बढ़ते ही जा रही है। शहहर के अंदर अवैध रूप से पशुपालन करने वाले दूध निकालकर इन्हें सड़कों पर छोड़ देते है। जिससे बाजारों व गलियों में लोगों को इनका सामना करना पड़ता है। खासकर महिलाएं और छोटे बच्चे गाय व सांड के हमलों का ज्यादा शिकार हो रहे है।

सांठगांठ के आरोप: निगम की टीम ने नहीं लिया सबक?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी और पशुपालक सांठगांठ कर मवेशियों को पकड़ने में लापरवाही बरतते हैं। सूत्रों का दावा है कि मवेशियों को पकड़ने की सूचना पहले ही पशुपालकों तक पहुंचा दी जाती है, जिससे वे उन्हें गायब कर देते हैं। इसके चलते सड़कों पर आवारा मवेशी बेखौफ घूमते रहते हैं, जिससे ऐसे हादसों का सिलसिला जारी है।

कौन लेगा जिम्मेदारी?
राजेश गुगलिया की मौत ने रतलाम में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। क्या इन मौतों का जिम्मेदार निगम है, जिसने कार्रवाई करने में कोताही बरती? आवारा मवेशियों के हमलों का शिकार हो रहे लोग कब तक इस खतरनाक स्थिति का सामना करेंगे? मामले में नगर निगम कमिश्नर ने कहा, सांड के मरने से व्यक्ति की असमय में मृत्यु हुई है, उसका सभी को दुख है। आज से नगर निगम अनाउंसमेंट शुरू करेगा। किसी का भी पशु बाहर पाया जाएगा तो उसको पकड़ा जाएगा। ऐसे पशु मालिक के खिलाफ एफआईआर की कार्रवाई भी की जाएगी।