Waqf Amendment Bill 2024: देर रात लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पारित; भारी हंगामे के बीच मोदी सरकार का बड़ा कदम…अब आगे क्या?

करीब 12 घंटे तक चली लंबी बहस के बाद इसे मंजूरी दी गई। विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया, जबकि सरकार ने इसे वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी और निष्पक्ष प्रबंधन के लिए एक बड़ा सुधारात्मक कदम करार दिया

नई दिल्ली – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Waqf Amendment Bill 2024:वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 बुधवार देर रात लोकसभा में बहुमत से पारित हो गया। इस विधेयक के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 232 सांसदों ने मतदान किया। करीब 12 घंटे तक चली लंबी बहस के बाद इसे मंजूरी दी गई। विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया, जबकि सरकार ने इसे वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी और निष्पक्ष प्रबंधन के लिए एक बड़ा सुधारात्मक कदम करार दिया।
इस दौरान संसद में गहमागहमी का माहौल रहा। विपक्षी सांसदों ने विधेयक को लेकर भारी हंगामा किया और इसे संविधान विरोधी बताते हुए कई संशोधन पेश किए, जिन्हें सदन में ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान
• वक्फ संपत्तियों की पारदर्शी निगरानी – अब सरकार वक्फ बोर्डों की संपत्तियों की अधिक सख्ती से निगरानी कर सकेगी और गैरकानूनी कब्जे को रोकने के लिए कड़े प्रावधान लागू होंगे।
• गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी – राज्य वक्फ बोर्डों में अब गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति अनिवार्य होगी, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी।
• सरकार की सीधी भूमिका – विधेयक सरकार को यह अधिकार देता है कि वह वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व को सत्यापित करे और विवादित मामलों की जांच कर सके।
• संशोधन प्रस्ताव खारिज – विपक्ष द्वारा पेश किए गए अधिकांश संशोधन प्रस्तावों को ध्वनिमत से अस्वीकृत कर दिया गया, जिससे एनडीए सरकार की मजबूती साबित हुई।
• विपक्ष का कड़ा विरोध – कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP) और AIMIM सहित कई विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक आजादी के खिलाफ बताया और विधेयक को संविधान विरोधी करार दिया।

लोकसभा में हंगामे के प्रमुख क्षण
• गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “वक्फ संपत्तियों का भ्रष्टाचार से बचाव और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए यह कानून आवश्यक था।”
• अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि7 “यूपीए सरकार के दौरान वक्फ कानूनों को अन्य कानूनों से ऊपर रख दिया गया था, जिसे संतुलित करने के लिए यह संशोधन आवश्यक था।”
• कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर मुस्लिमों को हाशिए पर धकेलने का आरोप लगाया।
• स्पीकर ओम बिड़ला को कई बार सदन को शांत करना पड़ा, क्योंकि विपक्षी दल लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

संशोधन प्रस्ताव जो खारिज हुए
• TMC सांसद सौगत रॉय का संशोधन ध्वनिमत से अस्वीकृत।
• कांग्रेस नेता गौरव गोगोई और इमरान मसूद द्वारा पेश संशोधन बहुमत न मिलने के कारण खारिज।
• एन.के. प्रेमचंद्रन के संशोधन प्रस्ताव को 231 सांसदों ने समर्थन दिया, लेकिन 288 के विरोध में होने के कारण यह भी गिर गया।

भारत सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह कानून किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि इससे वक्फ संपत्तियों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।

ग्रह मंत्री अमित शाह का बयान
• “यह विधेयक देश के कानूनी संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।”
• “हम किसी भी धार्मिक समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि बेहतर प्रशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है।”
• “विपक्ष जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है, जबकि यह विधेयक देश के हित में लाया गया है।”

विपक्ष का विरोध और आरोप
विपक्ष ने इस विधेयक को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला करार दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,
“यह कानून संविधान की भावना के खिलाफ है। सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।”
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी:
“सरकार वक्फ संपत्तियों को हड़पने की कोशिश कर रही है। यह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी है।”

अब आगे क्या होगा?
• राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा होगी।
• विपक्ष इसे राज्यसभा में रोकने के लिए रणनीति बना रहा है।
• संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी जा सकती है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के पारित होने के साथ ही राजनीतिक संग्राम तेज हो गया है। जहां सरकार इसे पारदर्शिता और निष्पक्षता का प्रतीक मान रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान विरोधी और मुस्लिम विरोधी करार दे रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक राज्यसभा में भी इसी बहुमत से पारित हो पाता है या नहीं।

ये कैसा कानून! : वक्फ एक्ट 1995 को खत्म करने की मांग, मुजावर समाज को परेशानी से मुक्ति दिलाने की अपील

देश में तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है वक्फ, जानिए क्या है वक्फ बोर्ड और उसका कानून!

पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। वक्फ एक्ट 1995 को समाप्त करने के लिए एक बड़ा आंदोलन छिड़ चुका है। रतलाम में इसके लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। अखिल भारतीय मुजावर सेना के संस्थापक अध्यक्ष शेर मोहम्मद शाह ने प्रेस वार्ता में वक्फ एक्ट 1995 को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह एक्ट मुजावर समाज के लोगों को प्रताड़ित और परेशान कर रहा है, जो दरगाह, खानखाहा, कब्रस्तान और पीर स्थानों पर सेवाएं देते हैं।

शाह ने कहा कि मुल्क की आजादी के पहले संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाने वाले शहीद मजनू शाह मलंग के नेतृत्व में सन्यासी आन्दोलन चला था, और अब वक्फ बोर्ड द्वारा मुजावर समाज को गुलाम समझा जा रहा है।

तीन मुख्य मांगें रखीं
1. राजा-महाराजा और नवाबों द्वारा दरगाहों के लिए दी गई जमीनों को वक्फ बोर्ड के अधीन नहीं किया जाना चाहिए।
2. वक्फ बोर्ड के जुल्मो सितम से आज़ादी दिलाने के लिये वक्फ एक्ट खत्म होना चाहिए।
3. मुस्लिम कानून 1913 को ध्यान में रखते हुए वक्फ अधिनियम 1954 की जांच होनी चाहिए और वक्फ संपत्ति के स्वत्व के दस्तावेजों की जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट को खत्म करने से मुजावर समाज को परेशानी से मुक्ति मिलेगी और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन भी नहीं होगा। गौरतलब है की वक्फ बोर्ड और इसकी संपत्ति लगातार विवादों में घिरी हुई है। भाजपा विधायक हरनाथ सिंह यादव ने पिछले साल एक निजी विधेयक पेश करके वक्फ एक्ट 1995 को समाप्त करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह एक्ट लोकतंत्र के विरुद्ध है और देश हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। हालांकि इस बिल पर फैसला नहीं हो सका, लेकिन वक्फ बोर्ड विवादों में आ गया है। वक्फ बोर्ड के पास कानूनी तौर पर असीमित शक्तियां हैं, जिनका कथित तौर पर वह मनमाना उपयोग करता आ रहा है। आइए जानते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है और यह कैसे काम करता है।

क्या है वक्फ का मतलब?
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब है ट्रस्ट-जायदाद को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना. इस्लाम में ये एक तरह का धर्मार्थ बंदोबस्त है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है.

कौन कर सकता है डोनेशन?
कोई भी वयस्क मुस्लिम व्यक्ति अपने नाम की प्रॉपर्टी वक्फ के नाम कर सकता है. वैसे वक्फ एक स्वैच्छिक कार्रवाई है, जिसके लिए कोई जबर्दस्ती नहीं. इस्लाम में दान-धर्म के लिए एक और टर्म प्रचलित है, जकात। ये हैसियतमंद मुसलमानों के लिए अनिवार्य है। आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी  जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं।

वक्फ बोर्ड कैसे बनता और काम करता है?
वक्फ के पास काफी संपत्ति है, जिसका रखरखाव ठीक से हो सके और धर्मार्थ ही काम आए, इसके लिए स्थानीय से लेकर बड़े स्तर पर कई बॉडीज हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड कहते हैं. तकरीबन हर स्टेट में सुन्नी और शिया वक्फ हैं. इनका काम उस संपत्ति की देखभाल, और उसकी आय का सही इस्तेमाल है. इस संपत्ति से गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना, मस्जिद या अन्य धार्मिक संस्थान को बनाए रखना, शिक्षा की व्यवस्था करना और अन्य धर्म के कार्यों के लिए पैसे देने संबंधी चीजें शामिल हैं.

सेंटर ने वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल के लिए सेंटर वक्फ काउंसिल बनाया हुआ है. वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में कुल 30 वक्फ बोर्ड्स हैं. इनके हेडक्वार्टर ज्यादातर राजधानियों में हैं,

क्या है वक्फ कानून?
साल 1954 में नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ. वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता. इसके बाद से कई बार इसमें संशोधन होता गया.

कौन-कौन शामिल बोर्ड में?
बोर्ड में सर्वे कमिश्नर होता है, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है. इसके अलावा इसमें मुस्लिम विधायक, मुस्लिम सांसद, मुस्लिम आइएएस अधिकारी, मुस्लिम टाउन प्लानर, मुस्लिम अधिवक्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवी जैसे लोग शामिल होते हैं. वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं. ट्रिब्यूनल में कौन शामिल होंगे, इसका फैसला राज्य सरकार करती है. अक्सर राज्य सरकारों की कोशिश यही होती है कि वक्त बोर्ड का गठन ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों से हो.

विवाद क्यों होता रहा?
आरोप है कि सरकार ने बोर्ड को असीमित ताकत दे दी। वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है। वक्फ बोर्ड को अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी संपत्ति के बारे में यह जांच कर सकता है कि वह वक्फ की संपत्ति है या नहीं। अगर बोर्ड किसी संपत्ति को अपना कहते हुए दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती।

भाजपा के नेता हरनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में वहां के स्टेट वक्फ बोर्ड ने तिरुचिरापल्ल जिले के एक पूरे गांव पर ही मालिकाना हक जता दिया था। महाराष्ट्र के सोलापुर में भी कुछ ऐसा केस आ चुका। उत्तर प्रदेश में भी वक्फ बोर्ड ने बड़े पैमाने पर संपत्तियों पर दावा जताया था, जिसके बाद योगी सरकार ने आदेश जारी कि वक्फ की सारी संपत्ति की जांच होगी।ये बात साल 2022 की है. लेकिन सर्वे के नतीजे सामने नहीं आ सके

कितनी संपत्ति बोर्ड के पास?
वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में करीब 8 लाख 55 हजार से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं जो वक्फ की हैं।
सेना और रेलवे के बाद देश में संपत्ति के मामले में वक्फ तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है।
यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं।
हर साल हजारों व्यक्तियों द्वारा बोर्ड को वक्फ के रूप में संपत्ति की जाती है, जिससे इसकी दौलत में इजाफा होता रहता है।