स्वास्थ शिविर : जेल में बंद कैदियों का हुआ हेल्थ चेकअप, जान लेने वालों को दी “जान बचाने” की ट्रेनिंग

पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। जेल में बंद कैदियों को बेहतर स्वास्थ मिले इसके लिए रतलाम सर्किल जेल में हेल्थ चेकअप का आयोजन किया गया। जिसमें जिला चिकित्सालय की डॉक्टरों की टीम ने कैदियों का चेकअप कर उन्हें जरूरी सलाह भी दी। जेल में बंद कैदियों के अलावा जेल स्टाफ का भी स्वास्थ डॉक्टरों की टीम ने जांचा। वहीं शिविर में हेल्थ चेकअप के अलावा हत्या, चोरी, मारपीट जैसे  कई मामलों में सजा काट रहे या विचारधीन कैदियों ने जान बचाने की ट्रेनिंग भी ली।

देखे वीडियो : CPR ट्रेनिंग देते डॉक्टर


स्वास्थ्य परीक्षण शिविर के दौरान कैदियों को सीपीआर ट्रेनिंग (CPR TRAINING) भी दी गई। आपको बता दे सीपीआर का मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन। यह भी एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा यानी फर्स्ट एड है। जब किसी पीड़ित को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वो सांस न ले पा रहा हो और बेहोश जो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है।

जेल परिसर में मौजूद डॉक्टर्स की टीम व स्टाफ

जेल अधीक्षक लक्ष्मणसिंह भदौरिया ने बताया की चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा बंदियों एवं जेल स्टाफ को विभिन्न बीमारियों से संबंधित प्राथमिक उपचार के तरीके एवं सीपीआर की ट्रेनिंग प्रदाय की गई। चिकित्सकों द्वारा 82 बंदियों की जांच एवं उपचार दिया गया। इस दौरान जेलर ब्रजेश मकवाने जेलर, डॉ निर्मल जैन, डॉ कृपालसिंह राठौर, डॉ. कैलाश चारेल, डॉ अदिति भावसार, डॉ ममता शर्मा, डॉ गोपाल यादव, डॉ एस एस गुप्ता व जेल स्टाफ मौजूद रहा।

Health Alert : पत्तागोभी का कीड़ा जो पेट के रास्ते पहुंचता है दिमाग तक, खाने से पहले रखनी होगी सावधानी

ऐसा कीड़ा जो गर्म पानी में उबालने से भी नहीं मरता, जानिए पूरी खबर!

पब्लिक वार्ता – हेल्थ डेस्क,
जयदीप गुर्जर। कहा जाता है हरी सब्जियों का सेवन करना स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है। मगर एक ऐसी हरी सब्जी की बात की जाए जो जानलेवा सबित हो सकती है तो हर कोई अचंभित होगा। सर्दियों का मौसम आ चुका है, सर्दियों में पत्तागोभी या बंदगोभी की आवक भी खूब होती है। पत्तागोभी (Cabbage) में अन्य सब्जियों की तरह न्यूट्रिशन और प्रोटीन से भरपूर होती है। पत्ता गोभी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो डाइटिंग करने वालों के लिए फायदेमंद है। इन सब के बीच एक चर्चा काफी चल रही है जिसमें पत्तागोभी खाने से कीड़े दिमाग में चले जाते हैं, पत्तागोभी का कीड़ा दिमाग को गला देता है जैसी बातें सामने आ रही है। इसी बारे में हम विस्तार से जानेंगे और सावधानियों पर भी चर्चा करेंगे।

ऐसा कीड़ा जो नहीं दिखता
पत्तागोभी में कुछ कीड़े दिखाई देते हैं, जिनका रंग हल्का हरा और कभी-कभी सफ़ेद होता है। मगर कुछ कीड़े ऐसे भी होते हैं जो दिखाई नहीं देते जैसे कि टेपवर्म (tapeworm)। ये कीड़े और परजीवी इतने छोटे होते हैं कि इन्हें हमारी नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है। यही टेपवर्म पत्तागोभी से हमारे पेट तक पहुंचता है और फिर दिमाग तक। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि पत्तागोभी को अगर सही तरह से पकाकर नहीं खाया जाए तो इसमें मौजूद टेपवर्म (कीड़ा) शरीर में पहुंच सकता है जो कि जानलेवा साबित हो सकता है। कहा जाता है कि यह कीड़ा खाने के साथ पेट में जाता है और फिर आंतों से होता हुआ ब्लड फ्लो की मदद से दिमाग तक पहुंच जाता है।

टेपवर्म जानवरों और मनुष्यों को संक्रमित करते है। वह आंतों में रहते हैं और आपके द्वारा खाए जाने वाले पोषक तत्वों को खाते हैं जिससे उनकी कमी के कारण मतली, कमजोरी, दस्त और थकान जैसे लक्षण दिखने लगते है। आपको बता दें कि गोभी के कीड़े में रिजिस्टेंस पावर इतना ज्यादा होता है कि वह पेट में पाए जाने वाले एसिड और एंजाइम से भी नहीं मरता है। यह दिमाग पर असर डालता है। रोगी को दौरे पड़ने लगते हैं।

दिमाग में कीड़े के क्या होते लक्षण?
अगर टेपवर्म शरीर में पहुंच जाते हैं तो वे आंत में छेद करके ब्लड वेसिल्स तक पहुंच जाते हैं और फिर खून के साथ शरीर के दूसरे हिस्से जैसे दिमाग, लिवर और आंख में भी चले जाते है। डॉक्टर्स के अनुसार ‘पेट दर्द, मिरगी के दौरे, डायरिया, कमजोरी, उल्टी, चक्कर आना, सांस फूलने जैसी कई समस्याएं इसके लक्षण हो सकती है। यह लक्षण कई बार तुरंत, कई बार लंबे समय के बाद नजर आते है। दिमाग में कीड़े की बीमारी न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस कहा जाता है।

ऐक्सपर्टस की माने तो पत्तागोभी को ना खाना इसका उपाय नहीं है बल्कि अच्छे से साफ करने की जरूरत है। घबराने की जरूरत नहीं है। अगर किसी को यह बीमारी हो भी जाती है तो भी इसका पूरा इलाज है और कोई भी सर्जरी की जरूरत नहीं होती। समय पर इलाज ना मिलने से यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में टेपवर्म के करीब 12 लाख से ज्यादा मरीज है।

क्या रखे सावधानी?
डॉक्टर्स के अनुसार कई बार टेपवर्म गर्म पानी मे उबलने से भी नहीं मरता। पत्तागोभी या जमीन में उगी किसी भी सब्जी को गुनगुने पानी में नमक डालकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद उस पानी के फेंक कर पुनः सब्ज़ियों को रगड़ के कम से कम दो बार धोकर ही इसका भोजन में इस्तेमाल करें। कीड़ों से बचे रहने के लिए ये ही सबसे कारगर उपाय हो सकता है। इसके अलावा सब्जी को ठीक से पकाया जाना बहुत जरूरी है।

ऐसा नहीं है कि आपको पत्तागोभी खाना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए, पर खाने से पहले उसे सही से धोना और सुरक्षात्मक उपाय करना बहुत जरूरी है। सिर्फ पत्तागोभी ही नहीं जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियां (गाजर, आलू, मूली, अदरक) को भी खाने से पहले अच्छी तरह से साफ करना जरूरी है। गंदे पानी के संपर्क में आने के कारण इनमें भी कीड़े हो सकते हैं जिनके कारण बीमारियों के विकसित होने का जोखिम रहता है। फलों-सब्जियों की साफ-सफाई बहुत जरूरी है।

(DISCLAIMER : यह लेख विभिन्न रिपोर्ट्स पर आधारित है। इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।)

मचा हड़कंप : मेडीकल कॉलेज की बिल्डिंग पर चढ़ी महिला, पाइप के सहारे उतरने का कर रही थी प्रयास

पब्लिक वार्ता- रतलाम,
जयदीप गुर्जर। मेडिकल कॉलेज में उस समय हड़कंप मच गया जब एक मानसिक रूप से बीमार महिला कॉलेज की बिल्डिंग पर दिखाई दी। महिला पाइप के सहारे नीचे उतरने का प्रयास कर रही थी। इसी दौरान वह बिल्डिंग के तीसरे माले पर फंस गई। महिला को सबसे पहले मेडिकल कॉलेज के सुरक्षा गार्ड ने देखा और पुलिस चौकी पर सूचना दी। इसी दौरान महिला का बेटा भी मौके पर पहुंचा। मां की जान बचाने के लिए वह पाइप के सहारे ही ऊपर चढ़ गया और महिला को संभाला। सबकुछ होता देख मेडिकल कॉलेज परिसर में लोगों की भीड़ जमा हो गई। मेडिकल कॉलेज पुलिस चौकी के एएसआई सुनील सिंह ने मौके पर फायर ब्रिगेड बुलवाई और सीढ़ी और रस्सी के सहारे बीमार महिला को नीचे उतारा गया। रेस्क्यू के बाद बीमार महिला को फिर से मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया है।

वीडियो : बिल्डिंग पर चढ़ी महिला

जानकारी के अनुसार घटना करीब 10:30 बजे की है जब मेडिकल कॉलेज के गार्ड ने देखा कि एक महिला तीसरे माले की खिड़की के पास बैठी हुई है। मेडिकल कॉलेज स्थित पुलिस चौकी पर इसकी सूचना गार्ड ने दी। देखते ही देखते लोगों की भीड़ जमा हो गई। किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि महिला आखिर तीसरे माले की खिड़की के बाहर पहुंची कैसे। इसी दौरान महिला का बेटा महेश चरपोटा मौके पर पहुंचा। अपनी मां को खतरे में देख महेश पाइप के सहारे तीसरी मंजिल पर चढ़ गया और मां को जाकर संभाला। महिला के रेस्क्यू के लिए फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुंची और मेडिकल कॉलेज चौकी पुलिस की मदद से महिला को सुरक्षित नीचे उतार लिया गया।

महिला के बेटे महेश ने बताया कि वह इमलीपाड़ा बाजना के रहने वाले हैं। पिताजी की मृत्यु के बाद माता पारी बाई मानसिक रूप से बीमार हो गई है। उन्हें 17 तारीख को मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया था। वह नाश्ता लेने बाहर आया था तभी उसकी मां अस्पताल की छत पर पहुंच गई और पाइप के सहारे नीचे उतरने का प्रयास करने लगी। बहरहाल गनीमत रही कि समय रहते पुलिस और फायर ब्रिगेड की मदद से महेश ने अपनी मां की जान बचा ली। अन्यथा कोई जानलेवा हादसा हो सकता था।

वाह बड़े साहब : जिला अस्पताल में छत का प्लास्टर गिरने से बालिका घायल, सिविल सर्जन ने कहा – छज्जे तो घर के भी गिर जाते है!

पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी पहुंचे अस्पताल, अव्यवस्थाओं पर कहा – “बार बार बोला जा रहा झूठ”

पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। जिला अस्पताल की जर्जर हालात अब मरीजों के लिए आफत बनती जा रही है। कुछ दिनों पहले लगातार बारिश के कारण मरीजों को रातो-रात मेडिकल कॉलेज पहुंचाना पड़ा था। इसके बाद अस्पताल के कई हिस्से पहले से ज्यादा जर्जर बन चुके है। आइसोलेशन वार्ड के शौचालय की छत का प्लास्टर अचानक गिर गया, जिससे बालिका घायल हो गई। घटना के बाद जिला अस्पताल के सिविल सर्जन एमएस सागर से जब मीडिया ने बात की तो उनका गैर जिम्मेदाराना रवैय्या सामने आया। मीडिया से बातचीत में सागर ने कहा कि छज्जे तो घर के भी गिर जाते है। तो क्या उसे इतना गंभीरता से लेते है? साथ ही एक अखबार को दिए बयान में कहा की लोक निर्माण विभाग काफी पहले इसे जर्जर घोषित कर चुका है। ऐसे में प्लास्टर गिरना स्वाभाविक है, फिर भी रिपेयरिंग करवाकर काम चला रहे हैं।
खेर बड़ा सवाल यही है कि जिम्मेदारी भूलकर इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान पर कोई एक्शन होगा या नहीं?
गौरतलब है कि नवीन 300 बेड का अस्पताल बनने के दौरान इन्ही नए नवेले बड़े साहब ने उसके नक्शे में फेरबदल करवा कर काम रुकवा दिया था। तब तक मौजूदा नक्शे के हिसाब से नवीन अस्पताल का बेस तैयार हो गया था। जिसके बाद ठेकेदार को बेस हटाकर सभी सरिया सीमेंट निकालने पड़े थे। फिलहाल वापस से नक्शा तैयार कर लिया गया है, काम फिर शुरू हो गया है।

घटना की जानकारी मिलने के बाद शनिवार शाम पूर्व गृहमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अस्पताल पहुंचकर उस वार्ड का निरीक्षण कर चश्मदीद मरीजों से घटना की जानकारी ली। सिविल सर्जन के बयान पर कोठारी ने कहा कि इस प्रकार का जवाब देना गैर जिम्मेदारी है। किसी को चोट लगती है तो सबको दुख होना चाहिए। कोठारी ने कहा कि 5 साल से नवीन अस्पताल के लिए बार – बार झूठ बोला जा रहा है। यहां मरीज असुरक्षित महसूस कर रहे है। यह बिल्डिंग रियासतकालीन है अब इसको नया बनाने की जरूरत है। पूर्व मंत्री के अस्पताल पहुंचने की सूचना मिलते ही सिविल सर्जन भी वहां पहुंचे। जिसके बाद कोठारी ने उनके दिए बयान पर जमकर खरी खोटी सुनाई।

यह हुआ था घटनाक्रम :
हिम्मतनगर कॉलोनी निवासी बालिका जाह्नवी जर्जर सिस्टम की भेंट चढ़ गई। बालिका ने बताया कि उसकी दादी को इलाज के लिए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया था। दोपहर बाद दादी का हाथ पकड़कर उन्हें शौचालय में ले गई। थोड़ी दूर पर ही छत के प्लास्टर का एक बड़ा हिस्सा फर्श पर आ गिरा। इसका कुछ हिस्सा जाह्नवी के हाथ और सिर पर लगता हुआ नीचे आया। जाह्नवी के हाथ और सिर में चोंट आई। अचानक हुए घटनाक्रम के बाद वहां भर्ती मरीजों और उनके परिजनों में भी हड़कंप मच गया। जिसके बाद घटना को दबाने के प्रयास सेअस्पताल प्रशासन ने चुपचाप घायल बालिका और बुजुर्ग दादी को मेडिकल कॉलेज भेज दिया। जिला अस्पताल में मेल सर्जिकल वार्ड, इमरजेंसी वार्ड की भी हालत गंभीर है। यहां पूरे बरामदा कई जगह से प्लास्टर पहले ही गिर चुका है, बारिश में पानी टपकता रहता है, जिसके निशान अब भी मौजूद है, वार्ड में भी पानी आता है।