नए ठेकेदार का नाम आ रहा सामने, लगातार कार्रवाई से सुर्खियों में आई आबकारी टीम ने साधी चुप्पी!, जबकी लागू है आचार संहिता…
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। बुधवार दोपहर शहर के त्रिपोलिया गेट स्थित वाइन शॉप के सामने एक बोलेरो बाइक से टकरा गई। बोलेरो की टक्कर होने के बाद मौके से वाहन चालक फरार हो गया। जिसके बाद किसी ने बोलेरो का वीडियो बनाया और वायरल कर दिया। वीडियो में बोलेरो के अंदर शराब की कुछ पेटियां रखी हुई थी। जो कि देशी शराब बताई जा रही है। वीडियो के सामने आने से अवैध शराब का मामला उजागर हुआ। आबकारी के जिम्मेदारों ने कुछ मीडिया संस्थानों को कार्रवाई करने की बात कही है। जबकी चुनावी आचार संहिता लागू है और ऐसे मामले में त्वरित कार्रवाई के निर्देश खुद चुनाव आयोग ने दिए हुए है।
मामले में पब्लिक वार्ता टीम ने सहायक आबकारी आयुक्त डॉ. शादाब अहमद सिद्दीकी व क्षेत्र के आबकारी वृत्त प्रभारी चेतन वैद से फोन पर चर्चा करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं रिसीव किया। फोन नहीं रिसीव होने के बाद जिम्मेदारों से जवाब लेने के लिए पब्लिक वार्ता की टीम आबकारी दफ्तर व कंट्रोल रूम भी पहुंची जहां कोई भी नहीं मिला। ऐसे में लोगों द्वारा कई गंभीर सवाल अब आबकारी विभाग और नए ठेकेदार के ऊपर उठाए जा रहे है। दारू किसकी थी?, कहां से आई?, कहां जा रही थी? इन सभी सवालों के जवाब फिलहाल कोई भी बताने को तैयार नहीं है।
कुछ इस प्रकार हुआ घटनाक्रम
सुबह करीब साढे दस बजे त्रिपोलिया गेट इलाके में एक सफेद बोलेरो क्र. MP 09 CN 4859 ने सामने से आ रहे एक बाइक सवार को टक्कर मार दी। उक्त बोलेरो जीप किसी राकेश पिता मोहन यादव के नाम पर रजिस्टर्ड है। इस दुर्घटना के बाद ये पता चला कि जीप में भारी मात्रा में अवैध शराब भरी हुई है। जहां यह दुर्घटना हुई उसी स्थान पर कम्पोजिट शराब की दुकान भी है। मौके से ड्राइवर के फरार होने के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया।
आचार संहिता में अब तक कार्रवाई क्यों नहीं ?
अवैध शराब परिवहन मामले में तुरंत कार्रवाई करने वाला आबकारी विभाग इस मामले को ठंडा करने में जुट गया है। नए वित्तीय वर्ष के शुरू होते ही एक के बाद एक कार्रवाई से सुर्खियों में आया विभाग बोलेरो में रखी अवैध शराब पर चुप्पी क्यों साधे हुए है यह एक बड़ा सवाल है। सूत्रों के अनुसार बोलेरो में रखी अवैध शराब नए ठेकेदार की पुरानी दुकान की होना बताई जा रही है। जो की जावरा से रतलाम लाई गई थी। वहीं विभागीय जानकारी के अनुसार इस वर्ष रतलाम शहर के सारे ठेके एक ही ठेकेदार के पास है, इसी के पास पिछले वित्तीय वर्ष में जावरा क्षेत्र की दुकानों के ठेके थे।
नियमानुसार जिले में शराब के ठेके बदल जाने के बाद पिछले वित्तीय वर्ष में दुकानों पर बची शराब, आबकारी विभाग को लौटाई जाना होती है। लेकिन जावरा की दुकानों में बची हुई शराब विभाग को लौटाई नहीं गई। यही अवैध शराब रतलाम की कंपोजिट दुकानों पर भेजकर उनको बेचे जाने का काम हो रहा था, लेकिन इस दुर्घटना ने यह मामला उजागर कर दिया। विभाग के जिम्मेदार इस अवैध शराब को वैध कराने की जुगत में लगे है, मगर डिपो से परमिट बनकर शराब बाहर निकलती है और कोई भी ठेकेदार इतनी कम मात्रा में डिपो से शराब नहीं मंगवाएगा। वहीं अगर यह शराब दुकान से बाहर जा रही थी तो इतनी बड़ी मात्रा में रिटेल शॉप से शराब कैसे बेची जा रही है यह भी बड़ा और गंभीर सवाल है।