Shailaja Paik: कौन है शैलजा पाइक:पुणे की झुग्गी से मैकआर्थर ‘जीनियस’ फेलोशिप तक की कहानी!

“यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी पहचान है। एक दलित महिला और एक रंग की महिला के रूप में मुझे यह सम्मान मिलना मेरे लिए गर्व का क्षण है।” – Shailaja Paik

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Shailaja Paik: पुणे के येरवडा की एक छोटी झुग्गी से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने का सफर आसान नहीं था, लेकिन शैलजा पाइक की यह असाधारण कहानी हमें बताती है कि सच्ची लगन और दृढ़ निश्चय के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है। आज शैलजा पाइक दुनिया भर में दलित अध्ययन की प्रमुख विद्वान के रूप में जानी जाती हैं और हाल ही में उन्हें प्रतिष्ठित मैकआर्थर ‘जीनियस’ अनुदान (MacArthur ‘Genius’ Grant) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने अपनी असाधारण रचनात्मकता और सामाजिक योगदान के माध्यम से दुनिया में बदलाव लाने की क्षमता दिखाई हो। इस फेलोशिप के साथ 8 लाख डॉलर का अनुदान भी दिया जाता है। भारतीय रुपये के हिसाब से ये करीब 6.64 करोड़ है।

शैलजा पाइक का सफर बेहद प्रेरणादायक है। येरवडा (Yerawada) की झुग्गियों में पली-बढ़ी शैलजा ने बचपन में ही गरीबी, जातिगत और लैंगिक भेदभाव का सामना किया। उनका परिवार एक छोटे से एक कमरा घर में रहता था, जिसकी छत लकड़ी के खंभों से सहारा पाती थी। उनके पिता देवराम पाइक राज्य कृषि विभाग में काम करते थे, जबकि उनकी मां सरिता पाइक एक गृहिणी थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति कठिन थी, लेकिन उनके माता-पिता ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी। शैलजा और उनकी तीन बहनों को पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

शैलजा को पहली बार जातिगत भेदभाव का सामना अपने पैतृक गांव ब्रह्मगांव तकली में करना पड़ा, जहां दलित परिवारों को ऊंची जातियों से अलग रहना पड़ता था और उन्हें सार्वजनिक कुओं से पानी लेने की अनुमति नहीं थी। यह अनुभव उनके जीवन में एक गहरी छाप छोड़ गया और आगे चलकर उनके शोध का आधार बना।

शैलजा ने स्थानीय रोशनी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने हमेशा कक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया। जब उन्होंने 10वीं कक्षा में 98% अंक हासिल किए, तो उनका नाम अखबार में आया और यह उनके स्कूल के लिए भी गर्व का क्षण था। इसके बाद, उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। हालांकि उनका सपना यूपीएससी पास कर आईएएस बनने का था, लेकिन पिता की मृत्यु के बाद उन्हें अपने परिवार की मदद करने के लिए वह सपना छोड़ना पड़ा।

अपने शुरुआती संघर्षों के बावजूद, शैलजा ने अपनी ऊर्जा दलित महिलाओं के अधिकारों और उनके सामाजिक संघर्षों पर केंद्रित की। उन्होंने 2007 में ब्रिटेन के वारविक विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह अमेरिका के येल विश्वविद्यालय और यूनियन कॉलेज में पढ़ाने के बाद सिनसिनाटी विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर बनीं। आज वह दक्षिण एशियाई अध्ययन, महिला अध्ययन, और समाजशास्त्र के साथ ही चार्ल्स फेल्प्स टैफ्ट प्रतिष्ठित शोध प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।

शैलजा की पहली पुस्तक, Dalit Women’s Education in Modern India: Double Discrimination (2014), दलित महिलाओं के संघर्ष और शिक्षा की जटिलताओं पर केंद्रित थी। उनकी दूसरी पुस्तक, The Vulgarity of Caste: Dalits, Sexuality, and Humanity in Modern India (2022), जाति, लैंगिकता और मानवीयता के आपसी संबंधों पर आधारित है। इन किताबों के माध्यम से शैलजा ने दिखाया कि कैसे जाति और लैंगिकता भारतीय समाज में अन्याय को बढ़ावा देती हैं।

शैलजा की यात्रा का सबसे प्रेरणादायक पहलू उनका येरवडा से अमेरिका तक का सफर है। एक दलित महिला के रूप में उन्होंने जातिगत और लैंगिक भेदभाव के साथ-साथ रंगभेद का भी सामना किया, लेकिन इन सभी चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया। जब उन्हें मैकआर्थर फेलोशिप के लिए चुने जाने की खबर मिली, तो वह अमेरिका में थीं। उन्होंने इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, “यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी पहचान है। एक दलित महिला और एक रंग की महिला के रूप में मुझे यह सम्मान मिलना मेरे लिए गर्व का क्षण है।”

शैलजा का मानना है कि जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में केवल दलितों को ही संघर्ष करने की जिम्मेदारी नहीं उठानी चाहिए, बल्कि ऊंची जातियों को भी इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। वह कहती हैं, “जाति के दमन के खिलाफ सिर्फ पीड़ितों को ही नहीं, बल्कि सभी को साथ आकर लड़ना होगा।”

शैलजा पाइक की यह यात्रा उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो सामाजिक भेदभाव, गरीबी और अन्याय का सामना कर रहे हैं। उनकी कहानी बताती है कि शिक्षा, संघर्ष, और समर्पण किसी भी बाधा को पार कर सकता है। शैलजा की उपलब्धियां यह साबित करती हैं कि अगर आप में संघर्ष करने की हिम्मत और सपनों को पाने का जुनून हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।

Iran Vs Israel: मध्य-पूर्व में छिड़ी जंग: क्या ईरान-इजरायल के बीच बढ़ेगा टकराव?

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Iran Vs Israel: मंगलवार रात ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए मिसाइल हमले ने पूरे मध्य-पूर्व में तनाव को बढ़ा दिया है। ईरान के हमले के बाद इजरायल की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है, जिसमें उसने बदला लेने की बात कही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह संघर्ष व्यापक युद्ध का रूप ले सकता है, और जब तक कोई पक्ष हारता नहीं, तब तक यह युद्ध थमने की संभावना कम है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह युद्ध सिर्फ ईरान और इजरायल तक सीमित नहीं रहेगा। अमेरिका भी इजरायल का समर्थन कर रहा है, जबकि ईरान ने अपनी प्रतिष्ठा और प्रभाव बनाए रखने के लिए यह हमला किया है। इजरायल की प्रतिक्रिया कैसे होगी, इस पर दुनिया की नजर टिकी है, क्योंकि यह युद्ध अब क्षेत्रीय सीमा से बाहर निकलने की कगार पर है।

ईरान ने अपने प्रॉक्सी संगठनों के समर्थन के साथ इस युद्ध में कूदकर अपने लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, जबकि इजरायल कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहा है। इस पूरे घटनाक्रम पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जताई है और युद्धविराम की अपील की है, लेकिन वर्तमान हालात में इसका कोई हल जल्दी निकलने की संभावना नहीं दिख रही।

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव राजनीतिक अस्तित्व और प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। ईरान-इजरायल के बीच अब हर एक कदम बेहद अहम साबित हो सकता है।

Coldplay Concert India: कोल्डप्ले के मुंबई शो के लिए टिकट की मारामारी, 2 लाख तक में हो रहा ब्लैक! क्या है इस बैंड में ऐसा खास?

प्रदेश के यंग आईपीएस ऑफिसर और रतलाम एसपी अमित कुमार का नवाचार, हर जवान को 5 और 10 हजार का नगद ईनाम, हर 15 दिन में खुद लेंगे समीक्षा बैठक

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। ब्रिटिश रॉक बैंड Coldplay एक बार फिर से भारत में सुर्खियों में है। जनवरी 2025 में मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में होने वाले उनके तीन शो को लेकर फैंस के बीच जबरदस्त उत्साह है। कोल्डप्ले के ‘Music of the Spheres’ वर्ल्ड टूर के तहत 18, 19 और 21 जनवरी को ये शो आयोजित होंगे। टिकटों की बुकिंग के साथ ही वेबसाइट क्रैश हो गई, और चंद मिनटों में सारे टिकट बिक गए। इससे फैंस निराश हैं और सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कंसर्ट के टिकट की कालाबाजारी (Coldplay Tickets in black) का भी दावा किया जा रहा है। कालाबाजारी में टिकट को 50 हजार से 2 लाख रुपए तक में बेचने का आरोप है। खुलासे के बाद ऐसी खबर भी है की टिकट बुकिंग वेबसाइट बुक माय शो (Book My Show) ने कोल्डप्ले कॉन्सर्ट की नकली टिकट बेचने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।

कौन है ये बैंड?
Coldplay एक ब्रिटिश रॉक बैंड है, जिसकी शुरुआत 1996 में लंदन में हुई थी। फ्रंटमैन क्रिस मार्टिन और गिटारिस्ट जॉनी बकलैंड की मुलाकात यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) में हुई थी। बाद में गाइ बेरीमैन और विल चैंपियन के जुड़ने से बैंड ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। उनके मशहूर एल्बम जैसे Yellow, A Rush of Blood to the Head और Viva la Vida ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई।

टिकट विवाद और ब्लैक मार्केटिंग
कोल्डप्ले के मुंबई कॉन्सर्ट के टिकट चंद मिनटों में ही बिक गए, लेकिन इसके बाद बुकमायशो पर कई यूजर्स टिकट खरीदने में असमर्थ रहे। इसके चलते ब्लैक मार्केट में टिकट की कीमतें कई गुना बढ़ गईं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है की कुछ थर्ड-पार्टी साइट्स पर टिकटों को 30 से 50 गुना दाम पर बेचा जा रहा है, जिसके चलते मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। वकील अमित व्यास ने बुकमायशो और लाइव नेशन के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।

होटलों की आसमान छूती कीमतें
कॉन्सर्ट के दौरान नवी मुंबई के होटलों का किराया 1.60 लाख रुपये तक पहुंच गया है, जबकि सामान्य दिनों में यह 10,000 से 25,000 रुपये के बीच होता है। आयोजन स्थल के पास सभी होटल पहले से ही बुक हो चुके हैं। Coldplay के इस कॉन्सर्ट को लेकर भारतीय फैंस में जबरदस्त उत्साह है।

कॉन्सर्ट में क्या होगा खास?
Coldplay के शो में 5 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को प्रवेश की अनुमति होगी। शो में 4 घंटे की नॉन-स्टॉप परफॉर्मेंस होगी, जिसमें LED रिस्टबैंड और लाइव म्यूजिक का शानदार अनुभव शामिल होगा। लाउंज टिकट लेने वाले दर्शकों को प्रीमियम सुविधाएं मिलेंगी।

Hezbollah leader Hassan Nasrallah died: जम्मू-कश्मीर में हिजबुल्ला नेता हसन नसरुल्ला की मौत पर इजराइल विरोधी प्रदर्शन, सड़कों पर उतरे लोग!

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। लेबनान के हिजबुल्ला नेता हसन नसरुल्ला (Hezbollah leader Hassan Nasrallah died) की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में शनिवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। श्रीनगर के विभिन्न इलाकों में इजराइल और अमेरिका विरोधी नारे गूंज उठे, जब लोग काले झंडे लेकर सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनकारियों ने हिजबुल्ला प्रमुख की हत्या की निंदा करते हुए इजराइल और अमेरिका के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया।

श्रीनगर के हसनाबाद, रैनावारी, सैदाकदल, मीर बेहरी और आशाबाग जैसे इलाकों में प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ उमड़ी, जिसमें बच्चों समेत कई लोग शामिल थे। विरोध प्रदर्शन के चलते कई स्थानों पर ट्रैफिक बाधित हुआ, वहीं पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी।

कश्मीरी नेताओं की प्रतिक्रिया
हिजबुल्ला प्रमुख हसन नसरुल्ला की मौत पर कश्मीरी नेताओं ने भी गहरा दुख जताया। अंजुमन-ए-शरी के अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा, “हसन नसरुल्ला के खून से हजारों नसरुल्ला पैदा होंगे,” और इस घटना की कड़ी निंदा की। कई अन्य राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने भी इस घटना पर विरोध दर्ज कराया है।

यह विरोध प्रदर्शन हिजबुल्ला और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में हुआ है, जिसने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। जम्मू-कश्मीर में इस घटना ने स्थानीय भावनाओं को प्रभावित किया है, जिससे जनता के बीच गुस्सा और असंतोष देखने को मिला है।

शांति बनाए रखने की अपील
अधिकारियों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है और इस तनावपूर्ण माहौल में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।

Top School In World: कैसे एक टीचर ने MP के सरकारी स्कूल को झुग्गियों से निकाल इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचाया, आज देशभर में नाम

सेंव, साड़ी और सोने की प्रसिद्धि से ट्रिपल S नगरी कहे जाने वाले रतलाम में एक और S जुड़ा, वो S है STUDY यानी शिक्षा!, विज्ञान के शिक्षक गजेन्द्रसिंह राठौर के प्रयासों ने बनाया अव्वल…

मध्यप्रदेश – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Top School In World: मध्यप्रदेश के  रतलाम का सीएम राइज विनोबा स्कूल (CM RISE SCHOOL RATLAM) न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित कर चुका है। इस सरकारी स्कूल को T4 अंतर्राष्ट्रीय संस्था (T4 Education :World’s Best School Prizes 2024) द्वारा नवाचार श्रेणी में विश्वभर के टॉप 10 स्कूलों में शामिल किया गया और अंततः इसने तीसरा स्थान हासिल किया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद से स्कूल के छात्रों, शिक्षकों और परिजनों में गर्व है। इस स्कूल को 1991 में रतलाम की शहरी झुग्गियों में स्थापित किया गया था। इस स्कूल ने अपनी शुरुआती चुनौतियों के बावजूद, नवाचारी प्रक्रियाओं और सामुदायिक जुड़ाव के माध्यम से आज यह मुकाम हासिल किया है। 

विज्ञान की कक्षा में प्रेक्टिकल कर विद्यार्थियों को पढ़ाते शिक्षक राठौर

सरकारी स्कूल के एडमिशन में अब प्रवेश के लिए होड़ मची हुई है। इसके यहां तक पहुंचने के पीछे की कहानी में एक शिक्षक गजेन्द्रसिंह सिंह राठौर की भूमिका बहुत मायने रखती है। राठौर स्कूल के वाईस प्रिंसीपल भी है। साइंस टीचर गजेन्द्रसिंह राठौर (Science Teacher Gajendra Singh Rathore) के पढाने का तरीका बहुत अलग है। उनका कहना है विज्ञान रट्टा मारने का नहीं बल्कि समझने का विषय है। किताब में छपे विषयों को राठौर प्रेक्टिकल कर बच्चों को समझाते है। रॉकेट उड़ता कैसे है, घर्षण होता क्या है, भूकंप आता क्यो है ऐसे कई रहस्यों को पढ़ाने की बजाय उन्हें प्रेक्टिकल से समझाते है। राठौर ऑनलाइन भी बच्चों को विज्ञान को समझने के लिए प्रेरित करते है।

नहीं बदला अंदाज, राठौर से पढ़ने का क्रेज
विद्यार्थियों में राठौर से पढ़ने का अलग ही क्रेज है। जहां भी शिक्षक रहे उन्होंने अपने पढ़ाने के अंदाज नहीं बदले। पढ़ाने में इनोवेशन के तरीकों को उन्होंने यहां भी लागू रखा। उनके साथ अन्य स्टाफ ने भी सहभागिता की और गजेन्द्रसिंह के तरीकों को अपनाया। जिसकी बदौलत आज पूरे विश्व में MP का सरकारी स्कूल चमक रहा है। आपको बता दे साल 2016 में राठौर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके है। आज भी राठौर अपने पढ़ाए विद्यार्थियों के साथ जीवंत संपर्क में रहते है। विद्यार्थी भी उनसे जीवन की कठिनाइयों से निकलने के टिप्स लेते है। परेशानियों में उनसे सलाह लेते है।अवार्ड की घोषणा के समय कार्यक्रम के दौरान राठौर भावुक हो उठे थे और उनके आंसू निकल आए थे।

File Photo

राठौर ने बनाई योजना, नवाचार किए लागू
दो साल पहले विनोबा स्कूल में उप प्राचार्य गजेंद्र सिंह राठौर ने स्कूल में विद्यार्थियों की कम उपस्थिति को सुधारने के लिए वरिष्ठ शिक्षकों के साथ मिलकर “साइकिल ऑफ ग्रोथ मेकैनिज्म” योजना बनाई। इस योजना का उद्देश्य शिक्षकों के पेशेवर विकास के साथ-साथ छात्रों की भागीदारी बढ़ाना था। इसमें टीचर्स के लिए टीम हर्डल, कैप्सूल ट्रेनिंग, क्लासरूम मॉनिटरिंग, वन-ऑन-वन फीडबैक, और रीवार्ड एवं रिकग्निशन जैसी गतिविधियाँ शामिल की गईं।
इसके अलावा, “विनोबा मॉडल ऑफ पैरेंटल एंगेजमेंट”, “कम्युनिटी एज ए लर्निंग रिसोर्स”, और “ट्रैकिंग डाटा के इनोवेटिव आइडिया” जैसी पहलें भी जुड़ती गईं। इन सब नवाचारों ने स्कूल में एक उत्साही और सकारात्मक वातावरण तैयार किया, जहाँ बच्चे आसानी से सीखने लगे। इस योजना को सफल बनाने में प्राचार्य संध्या वोरा, उप प्राचार्य गजेंद्र सिंह राठौर, प्रधान अध्यापक अनिल मिश्रा, सीमा चौहान, हीना शाह और अन्य शिक्षकों ने नियमित रूप से योगदान दिया।

इस प्रकार हुआ चयन
टी फॉर एजुकेशन ने दुनिया भर के स्कूलों से फरवरी 2024 तक विभिन्न श्रेणियों में आवेदन मांगे थे। हजारों आवेदनों में से विनोबा स्कूल को “इनोवेशन” श्रेणी में चुना गया, जहाँ उप प्राचार्य और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक गजेंद्र सिंह राठौर को स्कूल लीडर के रूप में नामित किया गया। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों द्वारा एक घंटे का ऑनलाइन इंटरव्यू लिया गया। इंटरव्यू के बाद दस्तावेजों के आधार पर मूल्यांकन किया गया।
शिक्षकों की ऑनलाइन मीटिंग और विभिन्न स्तरों के परीक्षण के बाद, 13 जून को पहले चरण में स्कूल टॉप 10 में आया और गुरुवार को टॉप 3 में जगह बनाई। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा संजय गोयल, आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता, और संचालक लोक शिक्षण डीएस कुशवाह ने उन्हें इस सफलता पर बधाई दी।

विद्यालय परिवार के साथ खुशियां मनाते राठौर

इनोवेशन कैटेगरी में ऐतिहासिक उपलब्धि
रतलाम का यह शासकीय स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक और प्रयोगात्मक तरीकों का उपयोग कर रहा है, जिससे छात्रों को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ शिक्षा दी जा रही है। गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि विद्यालय में कुल 577 छात्र अध्ययनरत हैं, जिनमें से 525 छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इस सफलता के पीछे स्कूल के सामूहिक प्रयास और शिक्षकों की कड़ी मेहनत है।

मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्कूल की उपलब्धि पर बधाई दी। शहर विधायक व मंत्री चैतन्य काश्यप ने स्कूल का दौरा कर छात्रों और शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने इस अवसर पर स्कूल की प्राचार्य संध्या वोहरा और उप प्राचार्य गजेंद्र सिंह को विशेष रूप से सम्मानित किया। काश्यप ने कहा कि यह स्कूल प्रदेश के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा और भविष्य में अन्य शासकीय स्कूलों को भी इसी प्रकार से ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम करेगा।

सीएम राइज स्कूल: एक ड्रीम प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि सीएम राइज स्कूल योजना मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के शासकीय स्कूलों को उन्नत और आधुनिक सुविधाओं से लैस कर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास किया गया। आज रतलाम के विनोबा स्कूल ने इस पहल की सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिद्ध कर दिया है।

लाइटहाउस स्कूल का दर्जा
अब इस स्कूल को “लाइटहाउस” का दर्जा दिया गया है, जिसका मतलब है कि अन्य स्कूल भी इसके नवाचार और सफलता से प्रेरणा लेकर अपने छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा प्रणाली विकसित करेंगे। गजेंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार, स्कूल की यह सफलता अभिभावकों के लिए एक संकेत है कि अब उन्हें महंगे निजी स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सरकारी स्कूल भी उन्हें उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। रतलाम के इस स्कूल ने साबित कर दिया है कि सही दिशा में मेहनत और दृढ़ संकल्प से सरकारी स्कूल भी विश्व स्तरीय उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।

टीम विनोबा

Maggie Smith Died: मशहूर एक्ट्रेस मैगी स्मिथ का 89 साल की उम्र में निधन, Harry Potter में निभाया था प्रोफेसर मैकगोनागल का रोल

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। हॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री मैगी स्मिथ (Maggie Smith), जिन्हें ‘हैरी पॉटर’ में प्रोफेसर मैकगोनागल (Minerva McGonagall) के किरदार के लिए भारतीय दर्शक विशेष रूप से पहचानते हैं, का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके बेटों, क्रिस लार्किन और टोबी स्टीफंस ने एक बयान में जानकारी दी कि लंदन के एक अस्पताल में शुक्रवार सुबह मैगी ने अपनी आखिरी सांस ली। वे अपने पीछे दो बेटे और पांच पोते-पोतियां छोड़ गई हैं, जो इस अपूरणीय क्षति से गहरे सदमे में हैं।

मैगी स्मिथ को उनके करियर में कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें दो ऑस्कर और चार एम्मी अवॉर्ड्स शामिल हैं। उनका करियर लगभग 70 साल तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने ‘डाउनटन एबे’ और ‘हैरी पॉटर’ जैसी हिट फिल्मों और शोज में यादगार भूमिकाएं निभाईं। 1969 में ‘द प्राइम ऑफ मिस जीन ब्रॉडी’ के लिए उन्हें पहला ऑस्कर मिला और 1978 में ‘कैलिफोर्निया सूट’ के लिए दूसरा ऑस्कर अवॉर्ड मिला। उनकी अद्वितीय अभिनय प्रतिभा और फिल्मों में उनकी शानदार भूमिकाएं हमेशा याद रखी जाएंगी। साल 1952 से लेकर 2023 तक डैम मैगी स्मिथ एक्ट्रेस सिनेमा जगत में एक्टिव रहीं। इस दौरान कई शानदार मूवीज के जरिए उन्होंने दर्शकों को भरपूर मनोरंजन किया। लेकिन हैरी पॉटर की वजह से उनको काफी लोकप्रियता हासिल हुई। इसके अलावा वह दो बार ऑस्कर अवॉर्ड को भी अपने नाम कर चुकी थीं।

bangladesh vs india: भारत बनाम बांग्लादेश टेस्ट के बाद क्या होगा WTC अंक तालिका पर असर?

भारतीय टीम WTC अंक तालिका में 71.67 पीसीटी के साथ शीर्ष पर है, जबकि बांग्लादेश 39.29 पीसीटी के साथ छठे स्थान पर है.

पब्लिक वार्ता,
स्पोर्ट्स डेस्क। bangladesh vs india: भारत और बांग्लादेश के बीच कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में होने वाला टेस्ट मैच सिर्फ एक मुकाबला नहीं, बल्कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की दौड़ में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। फिलहाल, भारतीय टीम डब्ल्यूटीसी अंक तालिका में 71.67 पीसीटी के साथ शीर्ष पर है, जबकि बांग्लादेश 39.29 पीसीटी के साथ छठे स्थान पर है।

इस मैच के तीन संभावित परिणामों के आधार पर हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि WTC Points Table पर क्या असर पड़ेगा।

अगर भारत ने जीता मैच!
अगर भारत बांग्लादेश को हराने में सफल होता है, तो भारतीय टीम का पीसीटी बढ़कर 74.24 हो जाएगा। यह स्थिति भारत को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में और मजबूत बनाएगी, और उसे पीछे छोड़ना किसी भी टीम के लिए कठिन हो जाएगा।

अगर बांग्लादेश ने जीता मैच!
वहीं, अगर बांग्लादेश की टीम यह मैच जीत जाती है, तो उसका पीसीटी बढ़कर 46.87 हो जाएगा, जिससे वह चौथे या पांचवें स्थान पर पहुंच सकती है। हालांकि, यह काफी कठिन प्रतीत होता है, लेकिन अगर बांग्लादेश ने यह मुकाबला अपने नाम किया, तो वह सीधा तालिका में बड़ी छलांग लगाएगी।

अगर मैच रहा ड्रॉ!
कानपुर के खराब मौसम को देखते हुए ड्रॉ की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। यदि मैच ड्रॉ होता है, तो भारतीय टीम का पीसीटी 68.18 पर आ जाएगा, लेकिन इसके बावजूद वह शीर्ष पर बनी रहेगी। वहीं, बांग्लादेश का पीसीटी 38.54 हो जाएगा, जिससे उसकी स्थिति पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
कानपुर टेस्ट मैच का परिणाम विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की रैंकिंग में अहम भूमिका निभाएगा। अगर भारतीय टीम जीतती है, तो वह अपनी स्थिति को और मजबूत करेगी, जबकि बांग्लादेश की जीत से उसे बड़ी बढ़त मिल सकती है। भारत बनाम बांग्लादेश कानपुर टेस्ट पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं, और उम्मीद की जा रही है कि बारिश खेल में खलल न डालते हुए इसे पूरा होने देगी।

भारतीय रेलवे में KAVACH 4.0: नई सुरक्षा प्रणाली कवच से ट्रेनों की रफ्तार और सुरक्षा में होगा बड़ा सुधार

सिग्नल पासिंग, ओवरस्पीड और अन्य सुरक्षा परीक्षण सफल, कवच 4.0 (Kavach 4.0) एक स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) प्रणाली है, कवच 4.0 सिस्टम ट्रेन की गति पर नजर रखता है।

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। भारतीय रेलवे ने देश के सबसे व्यस्त रेल मार्गों में से एक, दिल्ली-मुंबई रूट पर कवच 4.0 (Kavach 4.0) प्रणाली का सफल परीक्षण और इंस्टॉलेशन कर लिया है। इस नई स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली से न केवल ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि सुरक्षा भी मजबूत होगी।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की उपस्थिति में सवाई माधोपुर से इंदरगढ़ सुमेरगंज मंडी सेक्शन के बीच इसका ट्रायल सफल रहा, जिससे 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों का संचालन संभव हो सकेगा। ट्रायल के दौरान सिग्नल पासिंग, ओवरस्पीड और अन्य सुरक्षा परीक्षण सफल रहे। रेलवे के इस मिशन रफ्तार के तहत 545 किमी ट्रैक पर कवच प्रणाली लागू की जा रही है, जो ट्रेन सुरक्षा में एक बड़ा कदम है।

क्या है कवच 4.0?
कवच 4.0 एक स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) प्रणाली है, जिसे भारतीय रेलवे ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है। इसका उद्देश्य ट्रेनों के बीच संभावित टकराव की स्थिति को रोकना और लोको पायलट की गलतियों से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करना है। यह तकनीक ट्रेनों को ट्रैक पर सिग्नल पासिंग, ओवरस्पीडिंग, और दुर्घटनाओं से बचाने के लिए बनाई गई है।

कैसे काम करता है कवच 4.0?
कवच 4.0 सिस्टम ट्रेन की गति पर नजर रखता है और जरूरत पड़ने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाता है। अगर ट्रेन की गति निर्धारित सीमा से 2 किमी/घंटा अधिक हो जाती है, तो कवच ओवरस्पीड अलार्म जारी करता है। 5 किमी/घंटा से अधिक पर सामान्य ब्रेक और 7 किमी/घंटा से अधिक पर पूर्ण ब्रेकिंग सिस्टम एक्टिव हो जाता है। अगर 9 किमी/घंटा से ज्यादा हो जाती है, तो आपातकालीन ब्रेक स्वचालित रूप से लागू हो जाता है। यह प्रणाली विशेष रूप से लो विजिबिलिटी और कोहरे की स्थिति में भी लोको पायलट की मदद करती है।

कवच 4.0 का महत्व
– तेज रफ्तार: इस प्रणाली के जरिए दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाई जा सकती है।
– सुरक्षा में बढ़ोतरी: यह तकनीक ट्रेन के टकराव, सिग्नल पासिंग और अन्य दुर्घटनाओं को रोकने में सहायक है।
– स्वदेशी तकनीक: भारत में निर्मित यह प्रणाली रेलवे की आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति को दर्शाती है।

पुराने और नए वर्जन में अंतर
कवच 4.0, अपने पुराने संस्करणों से अधिक उन्नत है। यह सिस्टम अधिक सटीकता के साथ काम करता है और गति की छोटी से छोटी अनियमितताओं को भी तुरंत पहचान सकता है। यह संस्करण कोहरे और अन्य प्राकृतिक बाधाओं के बावजूद ट्रेनों की सुरक्षित संचालन में मददगार साबित होता है। रेल मंत्रालय के अनुसार कवच 4.0 के इंस्टॉलेशन से भारतीय रेलवे एक और कदम सुरक्षा और गति में सुधार की दिशा में बढ़ा है। अगले वर्ष तक इस नई प्रणाली के कारण दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रेनों की गति 160 किमी प्रति घंटे तक बढ़ने की संभावना है, जिससे यात्रा समय में कमी आएगी और सुरक्षा स्तर भी उन्नत होगा।

Fake IPS Officer: बिहार में 18 साल का फर्जी आईपीएस गिरफ्तार, 2 लाख रुपये देकर बना ‘अधिकारी’

मनोज सिंह नामक व्यक्ति ने 2 लाख 30 हजार रुपये में बना दिया Fake IPS Officer, अपने मामा से 2 लाख रुपये का कर्ज लिया और मनोज सिंह को दे दिया…..

बिहार/जमुई – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। बिहार के जमुई से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां सिकंदरा पुलिस ने एक फर्जी आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तार किया है। (Fake IPS Officer) गिरफ्तार युवक, मिथलेश कुमार, लखीसराय जिले के हलसी थाना क्षेत्र के गोवर्धन बीघा गांव का निवासी है। उसने 2 लाख रुपये देकर फर्जी आईपीएस अधिकारी बनने का दावा किया। पुलिस ने मिथलेश को सिकंदरा चौक से हिरासत में लिया, जब वह आईपीएस की वर्दी पहनकर अपनी बाइक पर सवार था।

कैसे खुली पोल? भीड़ के शक से हुई गिरफ्तारी
मिथलेश कुमार आईपीएस की वर्दी में कमर पर पिस्टल लटकाकर सिकंदरा चौक पर रुका, जहां लोगों ने उसके हाव-भाव और वर्दी को देखकर संदेह जताया। किसी ने सिकंदरा थानाध्यक्ष मिंटू कुमार सिंह को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया।

फर्जी आईपीएस के खुलासे! दो लाख रुपये देकर ली ‘नौकरी’
गिरफ्तार मिथलेश कुमार ने पुलिस पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि खैरा इलाके के मनोज सिंह नामक व्यक्ति ने उसे पुलिस में नौकरी दिलाने का ऑफर दिया था। इसके बदले में मनोज सिंह ने 2 लाख 30 हजार रुपये की मांग की। मिथलेश ने अपने मामा से 2 लाख रुपये का कर्ज लिया और मनोज सिंह को दे दिया। इसके बाद, मनोज ने उसका नाप लेकर उसे आईपीएस की वर्दी, बैज और पिस्टल सौंप दी।

वर्दी पहन मां का लिया आशीर्वाद, बाकी रकम देने जा रहा था तभी पकड़ा गया
मिथलेश ने बताया कि वर्दी पहनकर वह अपनी मां से आशीर्वाद लेने घर गया, जिसके बाद मनोज सिंह से बाकी 30 हजार रुपये देने के लिए निकल पड़ा। सिकंदरा चौक पर थोड़ी देर के लिए रुका, तभी पुलिस ने उसे धर दबोचा। एसडीपीओ सतीश सुमन ने बताया कि युवक को फर्जी आईपीएस वर्दी में गिरफ्तार किया गया है और पुलिस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। अगर मिथलेश की बात सही निकली, तो पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस गिरोह का पर्दाफाश करना होगी, जो बेरोजगार युवकों को ठगकर फर्जी अधिकारियों का खेल रच रहा है। जमुई पुलिस फिलहाल इस गिरोह का सुराग तलाशने में जुटी है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।

नहीं रुलाएगा प्याज! : मोदी सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर लगाया बेन, लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला

चीनी से एथोनॉल बनाने पर भी रोक, ताकि महंगाई पर किया जा सके कंट्रोल

पब्लिक वार्ता – नई दिल्ली,
जयदीप गुर्जर। केंद्र की मोदी सरकार ने मार्च 2024 तक प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव अब केवल 4 महीने दूर है, ऐसे में माना जा रहा है की मोदी सरकार इस महाचुनाव से पहले महंगाई को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। प्याज के देश से बाहर एक्सपोर्ट पर रोक लगाने के इस फैसले से उसकी बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड  (DGFT) ने इस फैसले को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन के मुताबिक प्याज के एक्सपोर्ट पॉलिसी में संशोधन करते हुए उसे प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन का फैसला शुक्रवार 8 दिसंबर, 2023 से लागू हो चुका है। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के मुताबिक 8 दिसंबर 2023 को खुदरा बाजार में प्याज की औसत कीमत 56.82 रुपये प्रति किलो है। जबकि पिछले साल यानी 8 दिसंबर 2022 को औसतन प्याज की कीमत 28.88 रुपये प्रति किलो थी। एक साल में प्याज की कीमतों में करीब दोगुना उछाल आया है।

हालांकि सरकार ने कहा कि तीन परिस्थितियों में प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर छूट दी जा सकती है। जिसमें पहला नोटिफिकेशन के जारी होने से पहले जहाज पर प्याज की लोडिंग की जा चुकी हो। दूसरा, नोटिफिकेशन के जारी होने से पहले शिपिंग बिल भरा जा चुका हो और पोर्ट पर प्याज की लोडिंग के लिए पहुंच चुका हो। इस परिस्थिति में एक्सपोर्ट की अप्रूवल तभी मिलेगी जब अथॉरिटी ये कंफर्म कर दे कि जहाज की बर्थिंग की जा चुकी है। और तीसरी परिस्थिति ये कि एक्सपोर्ट किया जाने वाला प्याज कस्टम को सौंपा जा चुका हो और सिस्टम में उसकी एंट्री हो चुकी हो। वहीं यह छूट केवल 5 जनवरी 2024 तक ही मिल सकेगी। आपको बता दे इससे पहले केंद्र सरकार गेहूं, चावल, चीनी के निर्यात पर भी रोक लगा चुकी है। गुरुवार को सरकार ने चीनी की कीमतों में उछाल के बाद गन्ने से एथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी है जिससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में कमी लाई जा सके।