Ratlam News: सेवा भारती के कन्या पूजन से समाज में समरसता का संदेश

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क| Ratlam News: सेवा भारती रतलाम द्वारा एक अनोखा कन्या पूजन आयोजन किया गया, जो समाज के पिछड़े, निर्धन, शोषित, वंचित वर्ग की बच्चियों के लिए विशेष रूप से आयोजित था। यह आयोजन समाज में समरसता और एकता का संदेश देने के उद्देश्य से किया गया।

सेवा भारती रतलाम लंबे समय से रतलाम जिले में विभिन्न सेवा कार्यों का संचालन करती आ रही है। इनमें निर्धन बस्तियों में संस्कार केंद्र संचालित किए जाते हैं, जहां बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाते हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए मार्गदर्शन किया जाता है। इसके अलावा नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिसमें बच्चों और उनके परिवारों का स्वास्थ्य परीक्षण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए महिला विकास केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। इस विशेष कन्या पूजन कार्यक्रम में भाग लेने वाली बच्चियां इन्हीं परिवारों से थीं।

इस कार्यक्रम में समाज के प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिकों को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने कन्या पूजन की रस्म अदा की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रतलाम विभाग के सहकार्यवाह आकाश चौहान थे। उन्होंने भारतीय परंपरा, शक्ति उपासना, सामाजिक समरसता और हिन्दू एकता पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथियों में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका सीमा अग्निहोत्री, वरिष्ठ चिकित्सक बी. एल. तपड़िया और युवा उद्योगपति मनीष चोपड़ा उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवा भारती रतलाम के अध्यक्ष और उद्योगपति अनुज छाजेड़ ने की। उन्होंने बताया कि संघ और सेवा भारती का कार्य समाज में सेवा के माध्यम से परिवर्तन लाना है, और सेवा भारती यह कार्य निरंतर करती आ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे स्वयंसेवक समाज के हर सुख-दुःख में सदैव तत्पर रहते हैं, और इस कन्या पूजन के माध्यम से भी समता और सेवा का संदेश दिया गया।

कार्यक्रम के अंत में एसेल्स स्कूल रतलाम की दो छात्राओं ने राजस्थानी लोक नृत्य “तेरह ताली” प्रस्तुत किया, जिसके बाद मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा नौ कन्याओं का पूजन कर इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का आभार आयोजन समिति संयोजक शीतल भंसाली ने व्यक्त किया। मंच संचालन सेवा भारती के सचिव मोहित कसेरा ने किया, और कार्यक्रम में भवजागरण हेतु गीत की प्रस्तुति अर्पित ने दी।

इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें विभाग सेवा प्रमुख गज, जिला सेवा प्रमुख पवन कसेरा, मनीष सोनी, नितिन फलोदिया, अभिनव बर्मेचा, वत्सल पाटनी, आशा दुबे, सुमित्रा अवतानी, निधि अग्रवाल, राकेश मोदी, राजेश बाथम और संगीता जैन सहित बड़ी संख्या में समाज जन और कार्यकर्ता उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम के माध्यम से सेवा भारती ने समाज में सेवा और समता का संदेश दिया, और यह आयोजन विशेष रूप से समाज के वंचित वर्ग के उत्थान के लिए समर्पित रहा।

Navratri Festival: MP के रतलाम का अनोखा भैरव मंदिर, यहां गलती पर पछाड़ देते है भैरव!

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Navratri Festival: मध्यप्रदेश के रतलाम (Ratlam) में धभाई जी का वास में स्थित भैरव मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमय स्थल है, जहां श्रद्धालु चमत्कारिक घटनाओं का अनुभव करते हैं। इस मंदिर में भगवान भैरव को “पछाड़मल” कहा जाता है, जो मान्यता अनुसार गलती करने वालों को दंड देते हैं। मंदिर में दो प्रमुख प्रतिमाएं विराजमान हैं—काला भैरव और गौरा भैरव। इनमें से एक प्रतिमा को मदिरा और दूसरी को दूध का भोग अर्पित किया जाता है।

पछाड़मल भैरव मंदिर पर सेवा दे रहे रविंद्रसिंह सोनगरा के अनुसार यह मंदिर रतलाम रियासतकाल से आस्था का प्रमुख केंद्र है। नवरात्रि के दौरान यहां नौ दिन तक अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है, और दशहरे पर जवारों (वाड़ी) का विसर्जन विधि-विधान से किया जाता है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालुओं को मन्नत के लिए कोई महंगा चढ़ावा नहीं चढ़ाना पड़ता, बल्कि दूध, नारियल या मदिरा से ही भगवान भैरव को प्रसन्न किया जा सकता है। मंदिर के इतिहास में कई चमत्कारिक घटनाओं का उल्लेख है, जैसे गलती करने पर भैरव महाराज द्वारा व्यक्ति को दंडित किया जाना।

नवमीं पर मन्दिर में हवन का अनुष्ठान करते भक्त

मंदिर से जुड़े कई किस्से लोगों की आस्था को और भी गहरा करते हैं। एक उदाहरण में एक युवक मंदिर में मदिरा चढ़ाने के बाद जब घर के लिए निकला तो रास्ते में चलती साइकिल से अचानक गिर गया था, जिसे भैरव महाराज की सजा के रूप में देखा गया। देश भर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं, और उनका मानना है कि यहां भूत-प्रेत बाधा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। रतलाम का यह धाम आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं और अपनी मन्नतें पूरी करते हैं।

(DISCLAIMER: इस लेख में वर्णित चमत्कारी मंदिर और संबंधित घटनाओं का विवरण भक्तों के अनुभवों और विश्वासों पर आधारित है। इसे किसी धार्मिक या वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव और विश्वास अलग हो सकता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत धारणा और निर्णय के आधार पर मंदिरों और उनकी शक्ति के बारे में सोचें। किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने से पहले उचित सावधानी बरतें और आवश्यक शोध करें।)

Ratlam News: बाजना बस स्टेंड पर गरबे की धूम, JSK क्लब द्वारा महाआरती और कन्या पूजन आज

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क: Ratlam News:  शहर में नवरात्रि की धूम बढ़ती जा रही है और पंडालों में गरबे का रंग चढ़ने लगा है। बाजना बस स्टेंड पर JSK क्लब (जय श्री कृष्णा) द्वारा 21वां गरबा महोत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस महोत्सव में हर रोज़ गरबा रास के जरिए पूरे इलाके में उत्सव का माहौल बना हुआ है। खासकर शाम 8 से 9 बजे के बीच छोटी-छोटी बालिकाएं भी गरबा खेलते हुए इस सांस्कृतिक आयोजन को जीवंत बना रही हैं। 

गुरुवार को आयोजित आरती में भाजपा नेता जुबिन जैन, युवा मोर्चा अध्यक्ष विप्लव जैन और जिला मंत्री रवि सोनी ने विशेष अतिथि के रूप में शामिल होकर आरती का लाभ लिया।

महाआरती और कन्या पूजन का आयोजन
आयोजन की जानकारी देते हुए अनिल अन्ना रोतेला और शांतु भाई ग्वाली ने बताया कि JSK क्लब द्वारा हर साल की तरह इस वर्ष भी नवदुर्गा उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर महाआरती और कन्या पूजन का आयोजन आज महानवमी के दिन किया जाएगा। इस विशेष आयोजन के लिए सभी शहरवासियों को आमंत्रित किया गया है।

आयोजन के समापन पर इनाम वितरण समारोह भी रखा गया है, जिसमें गरबे में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित किया जाएगा।

JSK क्लब का 21वां गरबा महोत्सव
JSK क्लब के गरबा महोत्सव की पहचान न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे रतलाम में है। क्लब हर साल गरबा प्रेमियों के लिए शानदार आयोजन करता है, जिसमें नवरात्रि के नौ दिनों तक विशेष कार्यक्रम होते हैं। क्लब के आयोजक लगातार यह सुनिश्चित करते हैं कि पारंपरिक गरबे का आनंद सभी उम्र के लोग ले सकें।

आज की महाआरती और कन्या पूजन के साथ इस महोत्सव का समापन होगा, लेकिन गरबे की रंगत और उत्साह अगले साल तक के लिए यादगार रहेंगे।

“Ashtami 2024: व्रत, कन्या पूजन के महत्व और शुभ मुहूर्त जानें”

पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क| ashtami 2024: हर वर्ष नवरात्रि का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व है, जब कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है।

(Ashtami)अष्टमी तिथि:
इस वर्ष, शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है और 12 अक्टूबर को समाप्त होगी। अष्टमी का व्रत 11 अक्टूबर को मनाया जाएगा, क्योंकि इस दिन अष्टमी तिथि सुबह 6:52 बजे समाप्त होगी।

कन्या पूजन का उत्तम समय:
कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस बार अष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ समय सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच रहेगा।

व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त:
– अष्टमी तिथि: 10 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे से शुरू होकर 11 अक्टूबर सुबह 6:52 बजे समाप्त होगी।
– नवमी तिथि: 11 अक्टूबर सुबह 6:52 बजे से शुरू होकर 12 अक्टूबर भोर 5:12 बजे तक रहेगी।
– अष्टमी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं के लिए 11अक्टूबर  का दिन पूजा और हवन के लिए शुभ है।

कन्याओं को विदाई:
कन्या पूजन के बाद, सभी कन्याओं को विदा करते समय पान, फल, दक्षिणा और लाल चुनरी अर्पित करना न भूलें। यह माता दुर्गा की कृपा का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस नवरात्रि, श्रद्धालुओं को माता दुर्गा की आराधना में पूरी श्रद्धा के साथ शामिल होने का निमंत्रण है।

नवमी तिथि के कारण महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन हो जा रहा

उन्होंने कहा कि क्षयवती नवमी तिथि के कारण महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन हो जा रहा है। माता दुर्गा का प्राण- प्रतिष्ठा तिथि सप्तमी और मूल नक्षत्र के योग 9 अक्टूबर बुधवार को मध्याह्न मे किया जाएगा। सामान्यतः माता – बहन गोदी भरने का कार्य प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही आरम्भ कर देती है जो नवमी तक चलता है। इस हिसाब से यह कार्य 9 अक्टूबर बुधवार मध्याह्न बेला से 11 अक्टूबर शुक्रवार तक कर सकते है।

Navratri Special: इस मंदिर में जिंदा और मुर्दा दोनों जाते है एक रास्ते से, श्मशान में बनते है दाल – बाटी और लड्डू जैसे व्यंजन, मां काली का अनोखा मंदिर

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Navratri Special: नवरात्रि की धूम पूरे देशभर में है। भक्त मां दुर्गा के नो स्वरूपों की आराधना में जुट गए है। वहीं मध्यप्रदेश के रतलाम में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां जिंदा इंसान के साथ – साथ मुर्दा इंसान भी जाता है। इस मंदिर में जाने से पहले आपको जलती चिताओं के पास से गुजरना होगा। जिसके बाद आप मंदिर में पहुंचकर मां कालिका के दर्शन करेंगे। यह मंदिर रतलाम के महू रोड बस स्टैंड स्थित भक्तन की बावड़ी पर स्थित श्मशान में है। यहां मां काली के रुद्र स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है। इसका निर्माण काले पाषाण से किया गया है।

मां कालिका की मूर्ति में तेज और प्रताप ऐसा है की आप मंत्रमुग्ध हो जाए। मानो साक्षात देवी आपके सामने प्रकट है। श्मशान में स्थापित इस मंदिर की विशेषता है की यहां आने वाले मुर्दो और जिंदा इंसान दोनों का रास्ता एक है। मुर्दे यानी मृत शरीर की तो यात्रा इस मंदिर में आने के बाद समाप्त हो जाती है, मगर जीवित इंसान यहां दर्शन कर बाहर निकलकर अपनी जीवन यात्रा जारी रखता है।

जीवन और मृत्यु चक्र दिखाता मंदिर
धर्मशास्त्र के जानकार बताते है की श्मशान में मां कालिका का मंदिर होना जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है। यह स्थान एक धार्मिक और आध्यात्मिक जुड़ाव को दर्शाता है, जहां जीवन के अंतिम संस्कार के साथ-साथ देवी की पूजा-अर्चना होती है। यह दर्शाता है कि मृत्यु केवल एक अंत नहीं है, बल्कि पुनर्जन्म और आत्मा की यात्रा का हिस्सा है। भक्तों के लिए, यह स्थान आशा और शांति का केंद्र है, जो उन्हें कठिन समय में संजीवनी प्रदान करता है।

नवरात्रि में होती है विशेष आराधना
रतलाम की मुक्तिधाम धर्मार्थ सेवा समिति के रामसिंह  भाटी, राजेंद्र पुरोहित, संदीप पांचाल, मनोज प्रजापति, संतोष ओगड़, आयुष माली, चेतन गुर्जर आदि भक्तगण सेवा देते है। इस मंदिर में हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान एकम को नहीं बल्कि अमावस्या के दिन अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, जो यहां की विशेषता है। दोनों नवरात्रि में यहां विशेष आयोजन होते है। भक्त दूर – दराज से यहां मनोकामना लेकर आते है। दशहरे पर भव्य भंडारे की प्रसादी का आयोजन होता है। प्रसादी में दाल – बाटी व लड्डु जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते है। श्मशान में ही लोग इस भोजन प्रसादी को ग्रहण करते है। नवरात्रि पर यहां विशेष दर्शन व मां के विभिन्न स्वरूपों को दर्शाया जाता है।

मंदिर के बाहर संत सोनीनाथ जी महाराज का समाधी स्थल


संत सोनीनाथ महाराज जी द्वारा की स्थापना
मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े भक्त राजेंद्र पुरोहित बताते है की यह मंदिर लगभग 50 साल पुराना है, जिसकी स्थापना गुरु संतश्री 1008 सोनीनाथ जी महाराज ने की थी। सोनीनाथ जी, जो स्व ब्राह्मण थे, ने अपने गुरु के आदेश पर जूते सुधारने का कार्य किया। शहर के रेलवे ग्राउंड के पास वे मोची का कार्य करते थे। वहीं उनकी दिव्यता के कारण भक्तों का जमावड़ा रहता था और दुकानदारी छोड़ सत्संग करते रहते थे। कई बार भक्तों ने उनसे कार्य छोड़कर स्थान पर विराजमान होने की अपील की लेकिन उन्होंने इंकार किया और सही समय व गुरु आज्ञा आने का कहा। जिसके बाद एक दिन उनसे जब निवेदन किया तो उन्होंने अपना काम छोड़कर संत सेवा में आने का आग्रह स्वीकार किया। उन्होंने श्मशान में रुकने की इच्छा जाहिर की तब उजाला ग्रुप के विजेंद्र जायसवाल द्वारा भक्तन बावड़ी में रुकने के लिए प्रबंध किए। महाराज ने सन 2005 में अपना मानव शरीर त्यागा और ब्रह्मलीन हुए। करीब 40 वर्षो से मंदिर समिति द्वारा महाशिवरात्रि पर छड़ी यात्रा का आयोजन किया जाता है।

मां कालिका से सीधे करते थे बात
संत सोनीनाथ जी के बारे में कहा जाता है की वे भक्तों की समस्याएँ सुनकर दूर करने की क्षमता रखते थे। उन्होंने कभी चमत्कार जैसा कुछ नहीं आभास कराया लेकिन चमत्कार होता था। उनके पास ऐसी सिध्दि थी जिसके माध्यम से वे भक्तों की पीड़ा को मां कालिका से बताते और समाधान करने का विनय करते। जिसके बाद उनकी समस्याएं दूर हो जाती। भक्तों के अनुसार वे मां कालिका से सीधे जीवंत संपर्क में रहते थे और उनसे बात करते थे। यहां विराजित प्रतिमा में प्राण होने की अनुभूति भी कई भक्तों को होती है।

(DISCLAIMER: इस लेख में वर्णित चमत्कारी मंदिर और संबंधित घटनाओं का विवरण भक्तों के अनुभवों और विश्वासों पर आधारित है। इसे किसी धार्मिक या वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव और विश्वास अलग हो सकता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत धारणा और निर्णय के आधार पर मंदिरों और उनकी शक्ति के बारे में सोचें। किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने से पहले उचित सावधानी बरतें और आवश्यक शोध करें।)

Navratri 2024: मध्यप्रदेश के गरबा पंडालों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक, शहर काजी का फरमान – “मेले में जाना दीन-ए-इस्लाम के खिलाफ!”

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Navratri 2024: मध्यप्रदेश के रतलाम में इस वर्ष नवरात्रि के दौरान गरबा पंडालों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर सख्त रोक लगा दी गई है। इस निर्णय के तहत कई गरबा पंडालों के प्रवेश द्वारों पर बैनर लगाए गए हैं, जिनमें गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध की सूचना दी गई है। यह कदम हिंदू संगठनों और आयोजन समितियों की सहमति से लिया गया है, जिसका उद्देश्य गरबा आयोजन को धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं के भीतर सुरक्षित और मर्यादित रखना है।

मेला और गरबा से दूर रहें मुस्लिम समुदाय
शहर काजी सैयद अहमद अली ने कथित तौर पर एक लेटर जारी करते हुए मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे नवरात्रि के दौरान मेला और गरबा देखने से बचें और अपने घरों में रहें। उन्होंने इसे दीन-ए-इस्लाम के खिलाफ बताया और कहा कि वर्तमान माहौल को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम नौजवान, महिलाएं और बच्चे गरबा या मेले में न जाएं। काजी ने कहा, “बाजार और मेलों में जाना इस्लाम में जायज नहीं है और इसलिए हम चाहते हैं कि हमारी मां-बहनें इन गैर-धार्मिक गतिविधियों से दूर रहें।”

काजी द्वारा जारी लेटर



व्हाट्सअप के संदेश से लिया फैसला
काजी सैयद अहमद अली ने स्पष्ट किया कि उनका यह कदम रतलाम शहर के माहौल को देखते हुए नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर फैल रहे संदेशों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा, “रतलाम एक शांतिपूर्ण शहर है, लेकिन बाहर से आने वाले वॉट्सऐप संदेशों के चलते हमने यह निर्णय लिया है ताकि कोई भी अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो।” उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे प्रशासन के साथ सहयोग करें और किसी भी प्रकार की अवांछनीय गतिविधियों से बचें।

गरबा पंडालों में सुरक्षा और मर्यादित वेशभूषा पर जोर
नगर व जिले के कई प्रमुख गरबा स्थलों, जैसे मां कालिका माता मंदिर और श्री राम नवयुवक मंडल आदि में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने वाले बैनरों के साथ-साथ मर्यादित वेशभूषा की भी अपील की गई है। पंडालों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है, और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी गई है।

पुलिस का अलर्ट मोड
रतलाम पुलिस भी नवरात्रि के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए अलर्ट मोड पर है। एसपी अमित कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में शहर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। जिले में 735 स्थानों पर गरबा रास का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें से 28 स्थानों को संवेदनशील घोषित किया गया है। पुलिस द्वारा इन स्थानों पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है ताकि धार्मिक आयोजन बिना किसी विघ्न के संपन्न हो सके।

Ratlam News: रतलाम में नवरात्रि पर्व पर यातायात डायवर्शन, कालिका माता मेले की शुरुआत के साथ होंगे संस्कृति कार्यक्रम

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Ratlam News: शहर में नवरात्रि पर्व के दौरान यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित रखने के लिए रतलाम पुलिस ने यातायात डायवर्शन प्लान जारी किया है। 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर 2024 तक होने वाले गरबा कार्यक्रमों और भारी भीड़ के मद्देनजर यह प्लान तैयार किया गया है, ताकि शहर में यातायात सुचारू रूप से चल सके। वहीं शहर के प्रसिद्ध कालिक माता मंदिर में लगने वाले 10 दिवसीय मेले की भी तैयारियां कर ली गई है। मेले की शुरुआत होने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन नगर निगम करेगा।

यातायात डायवर्शन प्लान:
– राम मंदिर की ओर आने वाले भारी वाहन: बंजली से राम मंदिर की ओर शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक प्रतिबंधित रहेंगे।
– बाजना बस स्टैंड की ओर : वन विभाग सागोद पुलिया से बाजना बस स्टैंड की ओर आने वाले भारी वाहन इसी अवधि में प्रतिबंधित रहेंगे।
– फव्वारा चौक की ओर: प्रतापनगर पुलिया से फव्वारा चौक की ओर भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।
– संत रविदास चौराहा: करमदी से संत रविदास चौराहा की ओर शाम 6 से रात 12 बजे तक भारी वाहन प्रतिबंधित रहेंगे।
– शैरानीपुरा की ओर: प्रतापनगर पुलिया से शैरानीपुरा की ओर आने वाले भारी वाहन इसी अवधि में प्रतिबंधित रहेंगे।

मेले की पार्किंग व्यवस्था:
– कालका माता की ओर आने वाले श्रद्धालु: उनकी पार्किंग गुलाब चक्कर के पास रहेगी।
– फव्वारा चौक और दो बत्ती: इस क्षेत्र में श्रद्धालुओं के वाहनों की पार्किंग कॉन्वेंट स्कूल से मित्र निवास तक होगी।
– आनंद कॉलोनी और पुलिस कॉलोनी: यहां पार्किंग की व्यवस्था लॉ कॉलेज के सामने की गई है।

यातायात पुलिस ने अपील की है कि लोग भारी वाहनों को बाजार क्षेत्र में न लाएं और निर्धारित पार्किंग स्थलों का उपयोग करें। अन्यथा यातायात बाधित होने पर वाहनों को क्रेन से टो किया जा सकता है।

श्री कालिका माता नवरात्रि मेले का शुभारंभ
शहर के प्रसिद्ध श्री कालिका माता मंदिर परिसर में 3 से 12 अक्टूबर तक 10 दिवसीय श्री कालिका माता नवरात्रि मेले का भव्य आयोजन किया जा रहा है। मेला 3 अक्टूबर को शाम 7 बजे मेला परिसर स्थित निगम रंगमंच पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री चेतन्य काश्यप और सांसद अनिता नागरसिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में शुभारंभ होगा। महापौर प्रहलाद पटेल की अध्यक्षता में यह समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रहेगी।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला:
– 5 अक्टूबर: सैक्सोफोन क्वीन लिपिका समंता की इन्स्ट्रूमेंटल कलेक्टिव नाइट।
– 6 अक्टूबर: प्रसिद्ध भजन गायिका सुरभी चतुर्वेदी की भजन संध्या।
– 7 अक्टूबर: इंडियन आइडल फेम सवाई भाट की प्रस्तुति।
– 8 अक्टूबर: फीमेल ऑर्केस्ट्रा का आयोजन।
– 9 अक्टूबर: लोक गीत – लोक नृत्य।
-10 अक्टूबर: लाफ्टर कलाकार धारषि बरडिया का शॉ और आर्केस्ट्रा।
– 11 अक्टूबर: अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, जिसमें प्रसिद्ध कवि धीरज शर्मा, मुकेश शांडिल्य, निशा पंडित सहित अन्य कवि भाग लेंगे।
–  12 अक्टूबर: दशहरे पर नेहरू स्टेडियम में आकर्षक आतिशबाजी और रावण दहन का आयोजन किया जाएगा।

Ratlam News:  लक्ष्मी नगर में होगा भव्य गरबा आयोजन, लकी ड्रा में होंगे आकर्षक उपहार

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Ratlam News: शहर ने लक्ष्मी नगर स्थित मां अंबे माता मंदिर में इस वर्ष का नवरात्रि महोत्सव बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। माँ अम्बे नवयुवक मंडल द्वारा आयोजित यह नौ दिवसीय गरबा महोत्सव 3 अक्टूबर, गुरुवार से प्रारंभ होकर 11 अक्टूबर तक चलेगा। हर दिन भव्य महाआरती का आयोजन रात 8:30 बजे होगा, जिसके बाद रात 9 बजे से गरबा उत्सव की शुरुआत की जाएगी।

इस महोत्सव में गरबा खेलने वाली सभी बालिकाओं के लिए कार्ड लगाना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, पंचमी, छठ, सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिनों में लकी ड्रॉ का आयोजन होगा, जिसमें मिक्सर, माइक्रो ओवन, 32 इंच स्मार्ट टीवी, वाशिंग मशीन और फ्रिज जैसे आकर्षक इनाम दिए जाएंगे। प्रतिदिन की आरती और महाप्रसादी के बाद भक्तों और गरबा प्रेमियों को इस धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में भाग लेने के लिए सादर आमंत्रित किया गया है।

Navratri 2024 : कब है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, इस सरल पूजा विधि से करे माता को प्रसन्न!

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि (Navratri 2024) का विशेष महत्व है। यह पर्व 9 दिनों तक चलता है, जिसमें मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 11 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

घट स्थापना का महत्व और शुभ मुहूर्त:
नवरात्रि के पहले दिन घट या कलश स्थापना की जाती है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है। कलश में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास होता है, इसलिए इसकी स्थापना से शुभ परिणाम मिलते हैं।

पंडित धीरज शर्मा के अनुसार, इस वर्ष कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6:15 बजे से 7:22 बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 1 घंटा 6 मिनट है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है, जो सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा।

पूजन विधि:
1. नवरात्रि के लिए एक दिन पहले जौ को पानी में भिगोकर रख दें ताकि वे अंकुरित हो सकें।
2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
3. बालू में पानी डालकर उसमें जौ रखें।
4. घट स्थापना के लिए घट में जल, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी, दूर्वा और सुपारी डालें।
5. घट के ऊपर कलावा बांधकर नारियल रखें और आम के पत्ते घट के मुंह पर लगाएं।
6. एक पात्र में स्वच्छ मिट्टी डालकर 7 तरह के अनाज बोएं और उसे चौकी पर रखें।
7. धूप और दीप जलाएं, बाएं तरफ धूप और दाहिने तरफ दीपक रखें।
8. गणपति, नवग्रहों और माता दुर्गा का आवाहन करें और विधिपूर्वक पूजा करें।
9. नवरात्रि के पूरे 9 दिन तक माता का पाठ और आराधना अवश्य करें।

घट स्थापना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, इसलिए इसे किसी जानकार पंडित से मंत्रोच्चारण के साथ करवाना चाहिए।

परंपरा निभाता रतलाम: रिमझिम बारिश और सदाबहार गीतों पर खनके चंटिये, पुरुषों का गरबा बना आकर्षण

त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम समिति का 3 दिवसीय आयोजन, डालूमोदी बाजार में जुटे खेल प्रेमी

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। शहर के मध्य में आयोजित त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम समिति के तीन दिवसीय पारंपरिक चंटिया खेल कार्यक्रम ने पुराने जमाने की यादों को ताजा कर दिया। 26 से 28 सितंबर तक आयोजित इस आयोजन में सैकड़ों की संख्या में पुरुष खिलाड़ी बांस की चंटियों के साथ पुराने फिल्मों के सदाबहार नगमों पर थिरकते नजर आए। रिमझिम बारिश और ढोल की थाप के साथ शहनाई की सुमधुर धुनों पर खेल प्रेमियों और दर्शकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। परंपरागत तौर पर चंटियों को पुरुषों का गरबा कहा जाता है। इसमें पुरुषों के हाथ में छोटे डांडिया नहीं बल्कि 3 से 4 फिट के डंडे होते है।

यह कार्यक्रम डालूमोदी बाजार में आयोजित किया गया, जहां रात 8:30 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। जैसे-जैसे रात ढलती गई, माहौल और भी जीवंत हो उठा। यह आयोजन खासतौर से पुरुषों के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के पुरुष खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। पुरानी पीढ़ी के खिलाड़ी जहां अपने अनुभवों और खेल के प्रति समर्पण को दर्शाते नजर आए, वहीं युवा पीढ़ी भी अपनी ऊर्जा और उत्साह से कार्यक्रम में रंग भरते दिखे।

पुराने दिनों की परंपरा को जीवित रखने का प्रयास
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पुरानी परंपराओं को जीवित रखना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है। पुराने खिलाड़ी बताते है की चंटिया खेलने की परंपरा राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही है। महाराजा सज्जनसिंह के समय में यह खेल महलवाड़ा में खेला जाता था, फिर थावरिया बाजार और अब डालूमोदी बाजार में इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। उन्होंने त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम समिति के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह आयोजन पुराने दिनों की यादें ताजा कर देता है। शहर के युवाओं को आगे आकर इसमें सहभागिता करना चाहिए।

सदाबहार गीतों की गूंज और खिलाड़ियों का जोश
कार्यक्रम की शुरुआत गुरुवार रात दीप प्रज्ज्वलित कर की गई, जिसमें शहर के अखाड़े और व्यायामशाला के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। चंटियों की खनक और खिलाड़ियों के पैरों की लय का तालमेल शहनाई वादक और ढोल की थाप के साथ मिलकर मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रहा था। एक से बढ़कर एक पुराने सदाबहार गीतों की धुनों पर सभी खिलाड़ी पूरे जोश के साथ चंटिया खेलते नजर आए।

तीन दिन तक रहेगा उत्साह
त्रिनेत्र सांस्कृतिक संगम के संस्थापक अध्यक्ष सुरेंद्र वोरा और अध्यक्ष राकेश पीपाड़ा ने बताया कि यह आयोजन 28 सितंबर तक चलेगा। आयोजन स्थल पर चंटियों की विशेष व्यवस्था मंच के समीप की गई थी, ताकि खिलाड़ी बिना किसी बाधा के खेल सकें और दर्शक खेल का आनंद ले सकें। कार्यक्रम में शहरवासियों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और पुराने दिनों की यादों में खो गए। रिमझिम बारिश की फुहारों के बीच रातभर खिलाड़ियों ने चंटियों के खेल का भरपूर आनंद लिया। ढोल-शहनाई की धुनों पर सदाबहार गीतों के साथ खेल की मस्ती ने जैसे माहौल को संगीतमय बना दिया। न केवल पुराने खिलाड़ी बल्कि युवा पीढ़ी भी इस आयोजन में शामिल होकर अपने आप को रोक नहीं पाई और चंटिया खेलने का लुत्फ उठाया। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम ने रतलाम के लोगों को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ा और एक बार फिर से इस परंपरा को जीवित रखने का संकल्प लिया।