Western Railway: विरोध के बाद रतलाम रेल मंडल ने अपना आदेश रोका, डेमू रेक और समय नहीं बदला जाएगा

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Western Railway: रतलाम रेल मंडल (Ratlam Railways) द्वारा मेमू रेक से ट्रेनों के संचालन को लेकर जारी किए गए आदेश को फिलहाल होल्ड कर दिया गया है, और अगले आदेश तक मौजूदा ट्रेनें पूर्वानुसार चलती रहेंगी। 28 अक्टूबर 2024 से रतलाम-भीलवाड़ा-रतलाम एक्सप्रेस (Ratlam To Bhilwara Demu Train) को डेमू के स्थान पर मेमू रेक से संचालित करने का आदेश जारी किया गया था। साथ ही कुछ ट्रेनों के आगमन-प्रस्थान के समय और प्लेटफॉर्म में बदलाव भी किए गए थे। मंडल के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया की अपरिहार्य कारणों से इस फैसले को रोका गया है। शुक्रवार को जारी आदेश 24 घंटे के भीतर शनिवार को वापस ले लिए गए।

मालवा रेल फेन क्लब के शिवम राजपुरोहित ने आदेश आने के बाद उच्च अधिकारियों को अवगत कराया और विरोध किया। जिसके बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया। दरअसल रतलाम मंडल को रेलवे बोर्ड द्वारा एक मेमू रेक आवंटित किया गया था, जिसके बाद अधिकारियों ने रतलाम-भीलवाड़ा-रतलाम और रतलाम-चित्तौड़गढ़-रतलाम डेमू ट्रेनों (Ratlam To Chittaurgadh Train) को क्रमशः 28 और 29 अक्टूबर से मेमू रेक से संचालित करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इस फैसले से आम यात्रियों को असुविधा होने की संभावना थी, क्योंकि महू से भीलवाड़ा और महू से चित्तौड़गढ़ तक यात्रियों को डेमू ट्रेनों में बिना बदलाव यात्रा करने की सुविधा थी। लेकिन नए फैसले के अनुसार, अब यात्रियों को रतलाम में ट्रेन बदलनी पड़ती, जिससे यात्रियों के सफर में कठिनाइयां आ सकती थीं। इसके अलावा, आदिवासी अंचल की लाइफलाइन मानी जाने वाली दाहोद-रतलाम-उज्जैन मेमू ट्रेन के समय में भी बदलाव से यात्रियों को मुश्किल होती।

मेमू रेक को नहीं जाने देना चाहते थे!
क्लब के शिवम राजपुरोहित ने बताया की मंडल प्रबंधक का बयान आया की रतलाम मंडल को केवल एक मेमू रेक मिला था, और इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे, इसलिए यह निर्णय लिया गया। इस निर्णय पर मालवा रेल फेन क्लब ने सवाल उठाते हुए सुझाव दिया कि मेमू रेक (Memu Train) का उपयोग उज्जैन-चित्तौड़गढ़-उज्जैन एक्सप्रेस में फतेहाबाद के रास्ते किया जा सकता था ताकि यह रेक रतलाम मंडल के अधीन ही रहता। उन्होंने महू-भीलवाड़ा और महू-चित्तौड़गढ़ डेमू गाड़ियों (Demu Train) को यथावत बनाए रखने की मांग की, जिससे आम यात्रियों को बिना किसी बदलाव के यात्रा जारी रखने का विकल्प मिलता। इस आदेश का विरोध किया गया, जिसके परिणामस्वरूप अब इस आदेश को रद्द कर दिया गया है।