पब्लिक वार्ता- रतलाम,
जयदीप गुर्जर। सावन माह में भगवान शिव की भक्ति में कावड़ का विशेष महत्व है। अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग कावड़ यात्रा निकालते है। मान्यता है की कावड़ में जल भरकर शिव जी का अभिषेक करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है। आमतौर मनुष्य को कावड़ में जल ले जाते हुए हमने देखा है। लेकिन अगर रोड पर विचरण करने वाला कुत्ता या श्वान कावड़ में शामिल हो तो आप क्या कहेंगे? मध्यप्रदेश के रतलाम से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है। जहां एक शिव भक्त श्वान कावड़ियों के साथ चल दिया। बकायदा उसने अपने गले में कावड़ का जल कलश भी उठा रखा था। गांव में इस आवारा श्वान को लोग भोला कहकर पुकारते है। 100 किमी की इस यात्रा में हर कोई श्वान भोला को कावड़ ले जाते देख हैरान हो गया। मंदिर परिसर एवं रास्तेभर लोगों ने अपने मोबाईल से विडीयो बनाए, जो अब सोशल मिडीया पर वायरल हो रहे है। शायद ही इस प्रकार से शिव भक्ति का किस्सा आपने पहले सुना या देखा होगा!
दरअसल रतलाम के लुनेरा गांव के विश्वेश्वर महादेव मंदिर से उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग तक पैदल कावड़ यात्रा निकाली गई। 29 जुलाई को शुरु हुई जो तिसरे दिन यानी 1 अगस्त को उज्जैन पहुंची। ग्रामीण विक्रम गुर्जर ने बताया की यह श्वान गांव में रहता है और इसका नाम भोला है। जब हम लोग कावड़ लेकर रवाना हुए तो यह हमारे पीछे-पीछे चल पड़ा। इसे भगाने पर भी नहीं गया। एक अन्य गांव में रात्रि विश्राम के दौरान इसे वापस लुनेरा गांव छोड़ा मगर वह वापस आ गया। जिसके बाद हम सभी ने महादेव की इच्छा समझकर भोला को साथ चलने देने की सहमति जताई।
भोला के गले पर कावड़ जल का कलश बांधा, जिसे बगैर नुकसान पहुंचाए वह उज्जैन तक ले गया। हालांकी सुरक्षाकर्मियों ने मंदिर परिसर के हॉल के बाहर ही भोला को रोक लिया गया। लेकीन यहां भी भोला भीड़ देखकर या रोक लेने से विचलित नहीं हुआ। और शांति से बाहर बैठकर अपने साथियों के दर्शन कर आ जाने तक इंतजार किया। यह नजारा देखकर सुरक्षाकर्मी भी हैरान रह गए और उसकी वीडियो लेने लगे।