रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। MP News: पुलिस को समाज का रक्षक माना जाता है, पर जब वही रक्षक अपनी जिम्मेदारी को भूलकर भक्षक बन जाए, तो आम जनता का विश्वास हिल जाता है। रतलाम में ऐसा ही एक शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने पूरे जिले को हिला कर रख दिया है। माणक चौक थाना क्षेत्र में तैनात एक पुलिसकर्मी, जिसे महिला सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था, ने न केवल युवती से छेड़छाड़ की, बल्कि उसका घर तक पीछा भी किया। यही नहीं, जब युवती और उसका भाई शिकायत करने थाने पहुंचे, तो वहां मौजूद आरोपी पुलिसकर्मी ने न सिर्फ धमकियां दीं बल्कि उन्हें चार घंटे तक थाने में बैठाए रखा। आरोपी आरक्षक का नाम दुर्गेश उर्फ सोनू जाट है। सूत्रों के अनुसार आरक्षक अनुकंपा नियुक्ति पर विभाग में भर्ती हुआ था। शादीशुदा आरोपी दुर्गेश के एक बेटा व एक बेटी है। एएसपी राकेश खाखा के अनुसार आरोपी आरक्षक को लाइन अटैच कर दिया है। उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश दिए है।
घटना का पूरा विवरण
यह मामला 13 अक्टूबर 2024 की शाम का है। 21 वर्षीय पीड़िता अपने घर लौट रही थी, जब साक्षी पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरवाने के लिए रुकी। वहां मौजूद आरोपी पुलिसकर्मी दुर्गेश जाट ने अभद्र टिप्पणियां कीं। इसके बाद, जब युवती सब्जी लेने निकली, तो दुर्गेश जाट ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। घर लौटने पर भी आरोपी युवती के घर तक पहुंच गया। जब पीड़िता ने अपने भाई को इस बारे में बताया, तो भाई ने आरोपी को ललकारा, जिस पर पुलिसकर्मी अपनी बाइक छोड़कर भाग गया।
थाने में घटी शर्मनाक घटना
अपनी सुरक्षा की उम्मीद लेकर जब पीड़िता और उसका भाई औद्योगिक थाना पहुंचे, तो वहां पहले से ही आरोपी पुलिसकर्मी मौजूद था। थाने में ही उसने पीड़िता और उसके भाई को गालियां दीं और धमकियां दीं। इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह रही कि थाने में एफआईआर दर्ज करने में काफी देरी की गई। पीड़िता और उसके भाई को करीब चार घंटे तक थाने में बैठाए रखा गया, जबकि कानून के रखवाले खुद अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचा रहे थे। आखिरकार, महिला थाना प्रभारी की उपस्थिति में पीड़िता के बयान दर्ज किए गए और छेड़छाड़ की एफआईआर दर्ज हुई।
आरोपी निलंबित, एसपी ने की कार्रवाई की पुष्टि
रतलाम के एसपी अमित कुमार ने घटना की गंभीरता को समझते हुए तत्काल कार्रवाई की और आरोपी पुलिसकर्मी दुर्गेश जाट को निलंबित कर दिया। एसपी ने यह भी बताया कि आरोपी के खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पीड़िता को न्याय मिले। हालांकि, इस पूरे मामले में पुलिस विभाग की लापरवाही और थाने में पीड़िता के साथ हुए व्यवहार ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस की छवि पर गहरा धक्का
यह मामला तब सामने आया है, जब पुलिस विभाग “अभिमन्यु अभियान” चला रहा है, जो महिला सुरक्षा और जागरूकता को लेकर शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण अभियान है। इस अभियान के तहत पुलिस लोगों को यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि महिलाएं सुरक्षित हैं, और उन्हें किसी भी तरह की हिंसा या उत्पीड़न से डरने की जरूरत नहीं है। पर जब खुद पुलिसकर्मी ही महिलाओं के प्रति इस तरह का व्यवहार करेंगे, तो समाज में महिला सुरक्षा का संदेश कैसे पहुंचेगा?
न्याय की मांग
रतलाम की इस घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। जनता और महिला संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषी पुलिसकर्मी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पुलिस विभाग के अंदर फैली इस तरह की भ्रष्ट मानसिकता पर रोक लगाई जाए और ऐसे अपराधियों को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त किया जाए। यह घटना सिर्फ रतलाम की नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि यदि पुलिस जैसी सुरक्षा एजेंसी में इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी, तो जनता का कानून व्यवस्था पर से विश्वास उठ जाएगा। पुलिस विभाग को अपनी छवि को सुधारने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।