पब्लिक वार्ता – रतलाम, जयदीप गुर्जर। मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद चेतन्य काश्यप 29 दिसंबर यानी शुक्रवार को पहली बार रतलाम आएंगे। इसको लेकर शहर भाजपा में उत्साह का माहौल है। कार्यकर्ता अभी से उनके स्वागत रैली की तैयारियों में जुट चुके है। रतलाम शहर विधानसभा से लगातार तीसरी बार विधायक चुनने के बाद भोपाल से कैबिनेट का ताज सजाकर काश्यप की रतलाम एंट्री यादगार बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है।
काश्यप भोपाल से शुक्रवार सुबह निकलेंगे और दोपहर 12 बजे सातरुंडा से रतलाम जिले में प्रवेश करेंगे। सालाखेड़ी से रतलाम शहर में उनका प्रवेश होगा। जिसके बाद वे करीब 2 बजे नाहरपुरा पहुंचकर समर्थकों के साथ स्वागत रैली में शामिल होकर जनता का अभिवादन करेंगे। स्वागत रैली नाहरपुरा से शुरू होकर डालू मोदी बाजार, गणेश देवरी, धान मंडी, शहर सराय होते हुए महाराणा प्रताप चौक सैलाना बस स्टेंड से होते हुए श्रीराम मंदिर, सज्जन मिल होती हुई भारत माता चौराहा अलकापुरी पर समाप्त होगी। रैली के दौरान शहर के विभिन्न स्थानों पर मंच के माध्यम से नवनियुक्त कैबिनेट मंत्री काश्यप का स्वागत किया जाएगा।
सिफारिशों से भी दूर रहते है चेतन्य काश्यप, टोल टैक्स और पुलिस चालान तक भरता है यह विधायक!
पब्लिक वार्ता – रतलाम, जयदीप गुर्जर। मध्यप्रदेश के भाजपा विधायक ने सदन में एक अनोखी मिसाल पेश की। चेतन्य काश्यप ने विधायक के तौर पर मिलने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन नहीं लेने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि वह अपने खर्चा उठने में सक्षम है इसलिए यह राशि विधानसभा कोष में जमा कर दी जाए। काश्यप तीसरी बार रतलाम शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए हैं और उन्होंने एक बार फिर से विधायक के रूप में सरकार से कोई वेतन, भत्ते और पेंशन नहीं लेने का ऐलान किया है। आपको बता दे इससे पहले के उनके दो कार्यकाल में भी उन्होंने किसी प्रकार का कोई सरकारी लाभ नहीं लिया था।
देखे वीडियो : विधानसभा में अपनी बात रखते काश्यप
बता दें कि प्रत्येक विधायक को प्रति माह लगभग 70 हजार के वेतन भत्ते मिलते हैं। इसके अलावा रेलवे कूपन और हवाई यात्राएं एवं आजीवन पेंशन व चिकित्सा भत्ता जैसी अन्य सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे में कश्यप ने सभी सुविधा का त्याग करते हुए कहा कि यह राशि प्रदेश के विकास पर व्यय हो।
राष्ट्र सेवा और जनहित मेरा ध्येय – विधायक काश्यप विधानसभा में भी उन्होंने पहले ही वक्तव्य में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपना यह निर्णय रख दिया। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि जब ईश्वर की कृपा से वे जनहित के कार्य करने में सक्षम हैं, तो उन्हें विधायक के रूप में मिलने वाले वेतन-भत्ते और पेंशन का उपयोग शासन द्वारा जनहित में सीधे किया जाए। कश्यप ने सदन में कहा कि राष्ट्र सेवा और जनहित मेरा ध्येय है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं राजनीति में आया हूं। किशोरावस्था से ही समाज सेवा के कार्यों में अग्रसर हूं तथा कई सेवा संस्थानों में प्रकल्पों का संचालन कर रहा हूं। ईश्वर ने इस योग्य बनाया है कि जनसेवा में थोड़ा सा योगदान कर सकूं। इसी तारतम्य में विधायक के रूप में मिलने वाले वेतन-भत्ते एवं पेंशन नहीं लेने का निश्चय किया है। पिछली दो विधानसभा में भी भत्ते नहीं लिए थे। मैं चाहता हूं कि मुझे प्राप्त होने वाले भत्ते एवं पेंशन का राजकीय कोष से आहरण न हो ताकि उस राशि का सदुपयोग प्रदेश के विकास एवं जनहित के कार्य हो सकें।
सिफारिशों से दूरी रखते है काश्यप आमतौर पर एक राजनेता अपने लिए व कार्यकर्ताओं के लिए सहज ही सिफारिशें करते नजर आते है। मगर रतलाम के विधायक चेतन्य काश्यप का तौर तरीका बाकियों से अलग है। पुलिस थानों पर उनके नाम से की गई सिफारिशों को वो सिरे से इंकार कर देते है। उनके करीबी के अनुसार नियम व कायदे के पक्के विधायक काश्यप किसी कार्यकर्ता की गाड़ी का चालान अगर कट जाए तो वे नाराज कार्यकर्ता को बुलाकर खुद से चालान भरने की बात कहते हुए कार्यकर्ताओं को नियम पालन की नसीहत देकर मना लेते है। यही कारण है की पुलिस के सामने कोई भाजपाई विधायक जी का रोब नहीं दिखा पाता है। यहां तक की उनके नाम से टोल से गाड़ियां तक नहीं छोड़ी जाती है, जिसका कारण है कि वे खुद टोल टैक्स चुकाते है। विधायक काश्यप अपने फाउंडेशन के माध्यम से अनेक सेवा कार्यों को करते आ रहे है। जिससे गरीबों व कई समाज में वंचित लोगों को सहारा व प्रोत्साहन मिला है।