Ratlam News: सेवा भारती के कन्या पूजन से समाज में समरसता का संदेश

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क| Ratlam News: सेवा भारती रतलाम द्वारा एक अनोखा कन्या पूजन आयोजन किया गया, जो समाज के पिछड़े, निर्धन, शोषित, वंचित वर्ग की बच्चियों के लिए विशेष रूप से आयोजित था। यह आयोजन समाज में समरसता और एकता का संदेश देने के उद्देश्य से किया गया।

सेवा भारती रतलाम लंबे समय से रतलाम जिले में विभिन्न सेवा कार्यों का संचालन करती आ रही है। इनमें निर्धन बस्तियों में संस्कार केंद्र संचालित किए जाते हैं, जहां बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाते हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए मार्गदर्शन किया जाता है। इसके अलावा नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिसमें बच्चों और उनके परिवारों का स्वास्थ्य परीक्षण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए महिला विकास केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। इस विशेष कन्या पूजन कार्यक्रम में भाग लेने वाली बच्चियां इन्हीं परिवारों से थीं।

इस कार्यक्रम में समाज के प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिकों को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने कन्या पूजन की रस्म अदा की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रतलाम विभाग के सहकार्यवाह आकाश चौहान थे। उन्होंने भारतीय परंपरा, शक्ति उपासना, सामाजिक समरसता और हिन्दू एकता पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथियों में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका सीमा अग्निहोत्री, वरिष्ठ चिकित्सक बी. एल. तपड़िया और युवा उद्योगपति मनीष चोपड़ा उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवा भारती रतलाम के अध्यक्ष और उद्योगपति अनुज छाजेड़ ने की। उन्होंने बताया कि संघ और सेवा भारती का कार्य समाज में सेवा के माध्यम से परिवर्तन लाना है, और सेवा भारती यह कार्य निरंतर करती आ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे स्वयंसेवक समाज के हर सुख-दुःख में सदैव तत्पर रहते हैं, और इस कन्या पूजन के माध्यम से भी समता और सेवा का संदेश दिया गया।

कार्यक्रम के अंत में एसेल्स स्कूल रतलाम की दो छात्राओं ने राजस्थानी लोक नृत्य “तेरह ताली” प्रस्तुत किया, जिसके बाद मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा नौ कन्याओं का पूजन कर इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का आभार आयोजन समिति संयोजक शीतल भंसाली ने व्यक्त किया। मंच संचालन सेवा भारती के सचिव मोहित कसेरा ने किया, और कार्यक्रम में भवजागरण हेतु गीत की प्रस्तुति अर्पित ने दी।

इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें विभाग सेवा प्रमुख गज, जिला सेवा प्रमुख पवन कसेरा, मनीष सोनी, नितिन फलोदिया, अभिनव बर्मेचा, वत्सल पाटनी, आशा दुबे, सुमित्रा अवतानी, निधि अग्रवाल, राकेश मोदी, राजेश बाथम और संगीता जैन सहित बड़ी संख्या में समाज जन और कार्यकर्ता उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम के माध्यम से सेवा भारती ने समाज में सेवा और समता का संदेश दिया, और यह आयोजन विशेष रूप से समाज के वंचित वर्ग के उत्थान के लिए समर्पित रहा।

Navratri Festival: MP के रतलाम का अनोखा भैरव मंदिर, यहां गलती पर पछाड़ देते है भैरव!

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Navratri Festival: मध्यप्रदेश के रतलाम (Ratlam) में धभाई जी का वास में स्थित भैरव मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमय स्थल है, जहां श्रद्धालु चमत्कारिक घटनाओं का अनुभव करते हैं। इस मंदिर में भगवान भैरव को “पछाड़मल” कहा जाता है, जो मान्यता अनुसार गलती करने वालों को दंड देते हैं। मंदिर में दो प्रमुख प्रतिमाएं विराजमान हैं—काला भैरव और गौरा भैरव। इनमें से एक प्रतिमा को मदिरा और दूसरी को दूध का भोग अर्पित किया जाता है।

पछाड़मल भैरव मंदिर पर सेवा दे रहे रविंद्रसिंह सोनगरा के अनुसार यह मंदिर रतलाम रियासतकाल से आस्था का प्रमुख केंद्र है। नवरात्रि के दौरान यहां नौ दिन तक अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है, और दशहरे पर जवारों (वाड़ी) का विसर्जन विधि-विधान से किया जाता है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालुओं को मन्नत के लिए कोई महंगा चढ़ावा नहीं चढ़ाना पड़ता, बल्कि दूध, नारियल या मदिरा से ही भगवान भैरव को प्रसन्न किया जा सकता है। मंदिर के इतिहास में कई चमत्कारिक घटनाओं का उल्लेख है, जैसे गलती करने पर भैरव महाराज द्वारा व्यक्ति को दंडित किया जाना।

नवमीं पर मन्दिर में हवन का अनुष्ठान करते भक्त

मंदिर से जुड़े कई किस्से लोगों की आस्था को और भी गहरा करते हैं। एक उदाहरण में एक युवक मंदिर में मदिरा चढ़ाने के बाद जब घर के लिए निकला तो रास्ते में चलती साइकिल से अचानक गिर गया था, जिसे भैरव महाराज की सजा के रूप में देखा गया। देश भर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं, और उनका मानना है कि यहां भूत-प्रेत बाधा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। रतलाम का यह धाम आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं और अपनी मन्नतें पूरी करते हैं।

(DISCLAIMER: इस लेख में वर्णित चमत्कारी मंदिर और संबंधित घटनाओं का विवरण भक्तों के अनुभवों और विश्वासों पर आधारित है। इसे किसी धार्मिक या वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव और विश्वास अलग हो सकता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत धारणा और निर्णय के आधार पर मंदिरों और उनकी शक्ति के बारे में सोचें। किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने से पहले उचित सावधानी बरतें और आवश्यक शोध करें।)

Ratlam News: बाजना बस स्टेंड पर गरबे की धूम, JSK क्लब द्वारा महाआरती और कन्या पूजन आज

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क: Ratlam News:  शहर में नवरात्रि की धूम बढ़ती जा रही है और पंडालों में गरबे का रंग चढ़ने लगा है। बाजना बस स्टेंड पर JSK क्लब (जय श्री कृष्णा) द्वारा 21वां गरबा महोत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस महोत्सव में हर रोज़ गरबा रास के जरिए पूरे इलाके में उत्सव का माहौल बना हुआ है। खासकर शाम 8 से 9 बजे के बीच छोटी-छोटी बालिकाएं भी गरबा खेलते हुए इस सांस्कृतिक आयोजन को जीवंत बना रही हैं। 

गुरुवार को आयोजित आरती में भाजपा नेता जुबिन जैन, युवा मोर्चा अध्यक्ष विप्लव जैन और जिला मंत्री रवि सोनी ने विशेष अतिथि के रूप में शामिल होकर आरती का लाभ लिया।

महाआरती और कन्या पूजन का आयोजन
आयोजन की जानकारी देते हुए अनिल अन्ना रोतेला और शांतु भाई ग्वाली ने बताया कि JSK क्लब द्वारा हर साल की तरह इस वर्ष भी नवदुर्गा उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर महाआरती और कन्या पूजन का आयोजन आज महानवमी के दिन किया जाएगा। इस विशेष आयोजन के लिए सभी शहरवासियों को आमंत्रित किया गया है।

आयोजन के समापन पर इनाम वितरण समारोह भी रखा गया है, जिसमें गरबे में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित किया जाएगा।

JSK क्लब का 21वां गरबा महोत्सव
JSK क्लब के गरबा महोत्सव की पहचान न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे रतलाम में है। क्लब हर साल गरबा प्रेमियों के लिए शानदार आयोजन करता है, जिसमें नवरात्रि के नौ दिनों तक विशेष कार्यक्रम होते हैं। क्लब के आयोजक लगातार यह सुनिश्चित करते हैं कि पारंपरिक गरबे का आनंद सभी उम्र के लोग ले सकें।

आज की महाआरती और कन्या पूजन के साथ इस महोत्सव का समापन होगा, लेकिन गरबे की रंगत और उत्साह अगले साल तक के लिए यादगार रहेंगे।

Navratri Special: इस मंदिर में जिंदा और मुर्दा दोनों जाते है एक रास्ते से, श्मशान में बनते है दाल – बाटी और लड्डू जैसे व्यंजन, मां काली का अनोखा मंदिर

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Navratri Special: नवरात्रि की धूम पूरे देशभर में है। भक्त मां दुर्गा के नो स्वरूपों की आराधना में जुट गए है। वहीं मध्यप्रदेश के रतलाम में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां जिंदा इंसान के साथ – साथ मुर्दा इंसान भी जाता है। इस मंदिर में जाने से पहले आपको जलती चिताओं के पास से गुजरना होगा। जिसके बाद आप मंदिर में पहुंचकर मां कालिका के दर्शन करेंगे। यह मंदिर रतलाम के महू रोड बस स्टैंड स्थित भक्तन की बावड़ी पर स्थित श्मशान में है। यहां मां काली के रुद्र स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है। इसका निर्माण काले पाषाण से किया गया है।

मां कालिका की मूर्ति में तेज और प्रताप ऐसा है की आप मंत्रमुग्ध हो जाए। मानो साक्षात देवी आपके सामने प्रकट है। श्मशान में स्थापित इस मंदिर की विशेषता है की यहां आने वाले मुर्दो और जिंदा इंसान दोनों का रास्ता एक है। मुर्दे यानी मृत शरीर की तो यात्रा इस मंदिर में आने के बाद समाप्त हो जाती है, मगर जीवित इंसान यहां दर्शन कर बाहर निकलकर अपनी जीवन यात्रा जारी रखता है।

जीवन और मृत्यु चक्र दिखाता मंदिर
धर्मशास्त्र के जानकार बताते है की श्मशान में मां कालिका का मंदिर होना जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है। यह स्थान एक धार्मिक और आध्यात्मिक जुड़ाव को दर्शाता है, जहां जीवन के अंतिम संस्कार के साथ-साथ देवी की पूजा-अर्चना होती है। यह दर्शाता है कि मृत्यु केवल एक अंत नहीं है, बल्कि पुनर्जन्म और आत्मा की यात्रा का हिस्सा है। भक्तों के लिए, यह स्थान आशा और शांति का केंद्र है, जो उन्हें कठिन समय में संजीवनी प्रदान करता है।

नवरात्रि में होती है विशेष आराधना
रतलाम की मुक्तिधाम धर्मार्थ सेवा समिति के रामसिंह  भाटी, राजेंद्र पुरोहित, संदीप पांचाल, मनोज प्रजापति, संतोष ओगड़, आयुष माली, चेतन गुर्जर आदि भक्तगण सेवा देते है। इस मंदिर में हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान एकम को नहीं बल्कि अमावस्या के दिन अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, जो यहां की विशेषता है। दोनों नवरात्रि में यहां विशेष आयोजन होते है। भक्त दूर – दराज से यहां मनोकामना लेकर आते है। दशहरे पर भव्य भंडारे की प्रसादी का आयोजन होता है। प्रसादी में दाल – बाटी व लड्डु जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते है। श्मशान में ही लोग इस भोजन प्रसादी को ग्रहण करते है। नवरात्रि पर यहां विशेष दर्शन व मां के विभिन्न स्वरूपों को दर्शाया जाता है।

मंदिर के बाहर संत सोनीनाथ जी महाराज का समाधी स्थल


संत सोनीनाथ महाराज जी द्वारा की स्थापना
मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े भक्त राजेंद्र पुरोहित बताते है की यह मंदिर लगभग 50 साल पुराना है, जिसकी स्थापना गुरु संतश्री 1008 सोनीनाथ जी महाराज ने की थी। सोनीनाथ जी, जो स्व ब्राह्मण थे, ने अपने गुरु के आदेश पर जूते सुधारने का कार्य किया। शहर के रेलवे ग्राउंड के पास वे मोची का कार्य करते थे। वहीं उनकी दिव्यता के कारण भक्तों का जमावड़ा रहता था और दुकानदारी छोड़ सत्संग करते रहते थे। कई बार भक्तों ने उनसे कार्य छोड़कर स्थान पर विराजमान होने की अपील की लेकिन उन्होंने इंकार किया और सही समय व गुरु आज्ञा आने का कहा। जिसके बाद एक दिन उनसे जब निवेदन किया तो उन्होंने अपना काम छोड़कर संत सेवा में आने का आग्रह स्वीकार किया। उन्होंने श्मशान में रुकने की इच्छा जाहिर की तब उजाला ग्रुप के विजेंद्र जायसवाल द्वारा भक्तन बावड़ी में रुकने के लिए प्रबंध किए। महाराज ने सन 2005 में अपना मानव शरीर त्यागा और ब्रह्मलीन हुए। करीब 40 वर्षो से मंदिर समिति द्वारा महाशिवरात्रि पर छड़ी यात्रा का आयोजन किया जाता है।

मां कालिका से सीधे करते थे बात
संत सोनीनाथ जी के बारे में कहा जाता है की वे भक्तों की समस्याएँ सुनकर दूर करने की क्षमता रखते थे। उन्होंने कभी चमत्कार जैसा कुछ नहीं आभास कराया लेकिन चमत्कार होता था। उनके पास ऐसी सिध्दि थी जिसके माध्यम से वे भक्तों की पीड़ा को मां कालिका से बताते और समाधान करने का विनय करते। जिसके बाद उनकी समस्याएं दूर हो जाती। भक्तों के अनुसार वे मां कालिका से सीधे जीवंत संपर्क में रहते थे और उनसे बात करते थे। यहां विराजित प्रतिमा में प्राण होने की अनुभूति भी कई भक्तों को होती है।

(DISCLAIMER: इस लेख में वर्णित चमत्कारी मंदिर और संबंधित घटनाओं का विवरण भक्तों के अनुभवों और विश्वासों पर आधारित है। इसे किसी धार्मिक या वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव और विश्वास अलग हो सकता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत धारणा और निर्णय के आधार पर मंदिरों और उनकी शक्ति के बारे में सोचें। किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने से पहले उचित सावधानी बरतें और आवश्यक शोध करें।)

Ratlam News: रतलाम में नवरात्रि पर्व पर यातायात डायवर्शन, कालिका माता मेले की शुरुआत के साथ होंगे संस्कृति कार्यक्रम

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Ratlam News: शहर में नवरात्रि पर्व के दौरान यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित रखने के लिए रतलाम पुलिस ने यातायात डायवर्शन प्लान जारी किया है। 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर 2024 तक होने वाले गरबा कार्यक्रमों और भारी भीड़ के मद्देनजर यह प्लान तैयार किया गया है, ताकि शहर में यातायात सुचारू रूप से चल सके। वहीं शहर के प्रसिद्ध कालिक माता मंदिर में लगने वाले 10 दिवसीय मेले की भी तैयारियां कर ली गई है। मेले की शुरुआत होने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन नगर निगम करेगा।

यातायात डायवर्शन प्लान:
– राम मंदिर की ओर आने वाले भारी वाहन: बंजली से राम मंदिर की ओर शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक प्रतिबंधित रहेंगे।
– बाजना बस स्टैंड की ओर : वन विभाग सागोद पुलिया से बाजना बस स्टैंड की ओर आने वाले भारी वाहन इसी अवधि में प्रतिबंधित रहेंगे।
– फव्वारा चौक की ओर: प्रतापनगर पुलिया से फव्वारा चौक की ओर भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।
– संत रविदास चौराहा: करमदी से संत रविदास चौराहा की ओर शाम 6 से रात 12 बजे तक भारी वाहन प्रतिबंधित रहेंगे।
– शैरानीपुरा की ओर: प्रतापनगर पुलिया से शैरानीपुरा की ओर आने वाले भारी वाहन इसी अवधि में प्रतिबंधित रहेंगे।

मेले की पार्किंग व्यवस्था:
– कालका माता की ओर आने वाले श्रद्धालु: उनकी पार्किंग गुलाब चक्कर के पास रहेगी।
– फव्वारा चौक और दो बत्ती: इस क्षेत्र में श्रद्धालुओं के वाहनों की पार्किंग कॉन्वेंट स्कूल से मित्र निवास तक होगी।
– आनंद कॉलोनी और पुलिस कॉलोनी: यहां पार्किंग की व्यवस्था लॉ कॉलेज के सामने की गई है।

यातायात पुलिस ने अपील की है कि लोग भारी वाहनों को बाजार क्षेत्र में न लाएं और निर्धारित पार्किंग स्थलों का उपयोग करें। अन्यथा यातायात बाधित होने पर वाहनों को क्रेन से टो किया जा सकता है।

श्री कालिका माता नवरात्रि मेले का शुभारंभ
शहर के प्रसिद्ध श्री कालिका माता मंदिर परिसर में 3 से 12 अक्टूबर तक 10 दिवसीय श्री कालिका माता नवरात्रि मेले का भव्य आयोजन किया जा रहा है। मेला 3 अक्टूबर को शाम 7 बजे मेला परिसर स्थित निगम रंगमंच पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री चेतन्य काश्यप और सांसद अनिता नागरसिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में शुभारंभ होगा। महापौर प्रहलाद पटेल की अध्यक्षता में यह समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रहेगी।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला:
– 5 अक्टूबर: सैक्सोफोन क्वीन लिपिका समंता की इन्स्ट्रूमेंटल कलेक्टिव नाइट।
– 6 अक्टूबर: प्रसिद्ध भजन गायिका सुरभी चतुर्वेदी की भजन संध्या।
– 7 अक्टूबर: इंडियन आइडल फेम सवाई भाट की प्रस्तुति।
– 8 अक्टूबर: फीमेल ऑर्केस्ट्रा का आयोजन।
– 9 अक्टूबर: लोक गीत – लोक नृत्य।
-10 अक्टूबर: लाफ्टर कलाकार धारषि बरडिया का शॉ और आर्केस्ट्रा।
– 11 अक्टूबर: अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, जिसमें प्रसिद्ध कवि धीरज शर्मा, मुकेश शांडिल्य, निशा पंडित सहित अन्य कवि भाग लेंगे।
–  12 अक्टूबर: दशहरे पर नेहरू स्टेडियम में आकर्षक आतिशबाजी और रावण दहन का आयोजन किया जाएगा।

Ratlam News:  लक्ष्मी नगर में होगा भव्य गरबा आयोजन, लकी ड्रा में होंगे आकर्षक उपहार

रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Ratlam News: शहर ने लक्ष्मी नगर स्थित मां अंबे माता मंदिर में इस वर्ष का नवरात्रि महोत्सव बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। माँ अम्बे नवयुवक मंडल द्वारा आयोजित यह नौ दिवसीय गरबा महोत्सव 3 अक्टूबर, गुरुवार से प्रारंभ होकर 11 अक्टूबर तक चलेगा। हर दिन भव्य महाआरती का आयोजन रात 8:30 बजे होगा, जिसके बाद रात 9 बजे से गरबा उत्सव की शुरुआत की जाएगी।

इस महोत्सव में गरबा खेलने वाली सभी बालिकाओं के लिए कार्ड लगाना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, पंचमी, छठ, सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिनों में लकी ड्रॉ का आयोजन होगा, जिसमें मिक्सर, माइक्रो ओवन, 32 इंच स्मार्ट टीवी, वाशिंग मशीन और फ्रिज जैसे आकर्षक इनाम दिए जाएंगे। प्रतिदिन की आरती और महाप्रसादी के बाद भक्तों और गरबा प्रेमियों को इस धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में भाग लेने के लिए सादर आमंत्रित किया गया है।

Navratri 2024 : कब है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, इस सरल पूजा विधि से करे माता को प्रसन्न!

पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि (Navratri 2024) का विशेष महत्व है। यह पर्व 9 दिनों तक चलता है, जिसमें मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 11 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

घट स्थापना का महत्व और शुभ मुहूर्त:
नवरात्रि के पहले दिन घट या कलश स्थापना की जाती है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है। कलश में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास होता है, इसलिए इसकी स्थापना से शुभ परिणाम मिलते हैं।

पंडित धीरज शर्मा के अनुसार, इस वर्ष कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6:15 बजे से 7:22 बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 1 घंटा 6 मिनट है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है, जो सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक रहेगा।

पूजन विधि:
1. नवरात्रि के लिए एक दिन पहले जौ को पानी में भिगोकर रख दें ताकि वे अंकुरित हो सकें।
2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
3. बालू में पानी डालकर उसमें जौ रखें।
4. घट स्थापना के लिए घट में जल, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी, दूर्वा और सुपारी डालें।
5. घट के ऊपर कलावा बांधकर नारियल रखें और आम के पत्ते घट के मुंह पर लगाएं।
6. एक पात्र में स्वच्छ मिट्टी डालकर 7 तरह के अनाज बोएं और उसे चौकी पर रखें।
7. धूप और दीप जलाएं, बाएं तरफ धूप और दाहिने तरफ दीपक रखें।
8. गणपति, नवग्रहों और माता दुर्गा का आवाहन करें और विधिपूर्वक पूजा करें।
9. नवरात्रि के पूरे 9 दिन तक माता का पाठ और आराधना अवश्य करें।

घट स्थापना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, इसलिए इसे किसी जानकार पंडित से मंत्रोच्चारण के साथ करवाना चाहिए।

भैरव मंदिर ऐसा भी! : यहां गलती होने पर तुरंत मिलती है सजा, निःसंतान दंपत्तियों के लिए वरदान है ये मंदिर

कई किस्से कहानियों के साथ आज भी जिंदा है परंपरा, पढ़िए विशेष खबर रतलाम के इस अनूठे भैरव मंदिर की….

पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। भारत धार्मिक मान्यता प्रधान देश है। यहां
हर त्यौहार अपना विशेष महत्व रखता है। देश के हर राज्य व शहर में चमत्कारिक देवस्थल मौजूद हैं जहां चमत्कारिक घटनाओं की साक्षात अनुभूति होती है। आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में स्थित ऐसे ही एक प्राचीन स्थल की। यहां के धभाई जी का वास में स्थित भैरव मंदिर अपनी अनोखी गाथाओं व किस्से कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है की यहां भूत बाधाओं से छुटकारा मिलने के साथ – साथ निःसंतान दंपत्ति को संतान का सुख भी मिलता है। इसके अलावा यहां अगर पूजन – पाठ में गलती या खराब मन से कोई पहुंचता है तो उसे तुरंत भैरव महाराज सजा देते है। संबंधित व्यक्ति को उसी समय गलती का एहसास हो जाता है।

इस मंदिर को पछाड़मल भैरव के नाम से जाना जाता है। इस नाम के पीछे मान्यता है कि जो कोई भी गलती करता है, तो उसे भैरवनाथ पछाड़ कर सजा देते है। भैरवनाथ को मां दुर्गा के बाद पूजने का विशेष महत्व है कहा जाता है कि जिस प्रकार नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार भगवान भैरवनाथ की आराधना भी महत्व रखती है। दर्शन के लिए इस मंदिर तक आप शहर के थावरिया बाजार या हरमाला रोड होते हुए आसानी पहुंच सकते है।

भक्तों को स्वयं भैरव नाथ की प्रतिमाएं करती है आकर्षित!

दो प्रतिमाएं विराजमान, मदिरा व दूध का लगता भोग :
पिछले कई वर्षों से मंदिर में सेवा कर रहे रविंद्रसिंह सोनगरा बताते हैं कि यहां भैरवनाथ की काला व गौरा दो प्रतिमाएं विराजमान है। इनमें से एक को मदिरा तो दूसरे को दूध का भोग लगता है। इन प्रतिमाओं की स्थापना की सही जानकारी किसी को नहीं मालूम है। बताया जाता है कि रतलाम रियासतकाल से यह मंदिर स्थापित है। यहां नौ दिन अखंड ज्योत व जवारों की स्थापना होती है। दशहरे पर विधि विधान से जवारों का विसर्जन किया जाता है। देश भर से यहां श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते है। यहां रियासतकाल के दौर से जवारों का विसर्जन किया जा रहा है जिसे स्थानीय लोग बाड़ी के नाम से भी जानते है। फिलहाल मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू होगा जो कि जनसहयोग से पूरा किया जाएगा।

मनोकामना पूरी करते है पछाड़मल भैरव :
इस मंदिर के बारे में कई किस्से कहानियां आज भी जिंदा है। भक्त यहां आज भी मनोकामना लेकर आते है। जिनकी मनोकामनाएं यहां से पूरी हुई है और शहर के बाहर है वे लोग नवरात्रि में विशेष रूप से यहां आते है। मान्यता है की यहां जवार विसर्जन के दौरान शामिल होने पर दुख दर्द भी विसर्जित हो जाते है। विसर्जन के बाद लोग जवार को अपने साथ लेकर घर आते है और लाल कपड़े में बांध कर भी रखते है। लोगों द्वारा दावा किया जाता है कि यहां भूत बाधाओं व शारीरिक कष्टों से भी छुटकारा मिलता है। निःसंतान दंपत्ति यहां संतान की मनोकामना लेकर जाते है तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। भैरव को यहां मदिरा व दूध के अलावा लोग सिंदूर का चोला चढ़ाते है। कई लोग यहां बकरे की बलि या दाल, बाटी व चूरमे की मन्नत भी रखते है। इस क्षेत्र के लोगों की मान्यता है कि यहां मन्नत लेने से सबकुछ मिलता है। सबसे खास बात है कि यहां मन्नत के समय कुछ खास चढ़ावा नहीं चढ़ाना होता है। मदिरा, दूध या नारियल से ही भैरव बाबा खुश हो जाते है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। पब्लिक वार्ता इस बारे में किसी प्रकार की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

शारदीय नवरात्रि 2023 : चुनावी माहौल के बीच 130 से अधिक स्थानों पर होगी मां की आराधना, पुलिस व प्रशासन की तैयारियां पूरी

जानिए किस शुभ मुहूर्त में व कैसे होगी घट स्थापना, केवल 48 मिनट का है अभिजीत मुहूर्त!

पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। साल में 4 बार नवरात्रि आते है, जिसमें शारदीय, चैत्र नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से आरंभ हो रही हैं। नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही हर साल नवरात्रि में मां दुर्गा अलग- अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। जिसका विशेष महत्व होता है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। हाथी की सवारी पूरे साल अच्छी बारिश का प्रतीक मानी जाती है। वहीं रतलाम में चुनावी आचार संहिता के बीच इस वर्ष नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाएगा। पुलिस व प्रशासन ने आयोजन समितियों से इस संबंध में आवश्यक बैठक कर जरूरी दिशा निर्देश भी दिए है। बैठक पुराने पुलिस कंट्रोल रूम पर आयोजित की गई।

सीएसपी अभिनव बारंगे ने बताया कि शहर में शांति व सौहाद्र से नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाएगा। संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस फोर्स की तैनाती रहेगी। आचार संहिता में विशेष ध्यान रखा जाएगा। गरबा रात्रि में 10 बजे तक ही होंगे। संदिग्ध लोगों की चेकिंग इस दौरान लगातार की जाएगी। शहर में 130 से अधिक स्थानों पर माता की प्रतिमा स्थापित होने के साथ 80 से अधिक स्थानों पर गरबा का आयोजन होगा। इसके अलावा मेला स्थल का भी निरीक्षण कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था की भी तैयारियां पूरी है। माहौल बिगाड़ने व सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार व शांति भंग करने वाले आसामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटा जाएगा और कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान आयोजन समिति सदस्यों के साथ ही शहर एसडीएम संजीवकुमार पांडे, आइए थाना प्रभारी राजेंद्र वर्मा, माणक चौक थाना प्रभारी प्रीति कटारे, दीनदयाल नगर थाना प्रभारी सुरेंद्र गडरिया, एसआई आशीष पाल आदि मौजूद थे।

बैठक में शामिल समिति सदस्य

घटस्थापना या कलश स्थापना का मुहूर्त  (Kalash Sthapana Shubh Muhurat) :

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को इस प्रकार है –

  • घटस्थापना मुहूर्त:  प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47  मिनट तक।
  • अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक।

घटस्थापना के दौरान करें इस मंत्र का जप
तदुक्तं तत्रैव कात्यायनेन प्रतिपद्याश्विने मासि भवो वैधृति चित्रयोः । आद्य पादौ परित्यज्य प्रारम्भेन्नवरान्नकमिति।।

कलश या घट स्थापना (Kalash Sthapana) :
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती है। रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है।
घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते है। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है। हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

कलश स्थापना की सामग्री (Kalash Sthapana Samigri) :
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदे। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।

कैसे करें कलश स्थापना (Kaise Karen Kalash Sthapana) :
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर ले।मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधे।
अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दे।  अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दे जिसमें आपने जौ बोएं है। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते है।