रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Ratlam News: जिले में बढ़ती चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए रतलाम एसपी अमित कुमार ने सभी थाना प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में चोरी का सामान खरीदने और बेचने वालों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद एएसपी राकेश खाखा के मार्गदर्शन में सीएसपी अभिलाष भलावी और थाना प्रभारी औद्योगिक क्षेत्र वी.डी. जोशी के नेतृत्व में पुलिस टीम बनाई गई है। जिसके द्वारा गुरुवार को कबाड़खानों और गोदामों की जांच की गई।
पुलिस टीम ने वीरियाखेड़ी और मोहन नगर के विभिन्न कबाड़खानों जैसे मोहम्मद शकूर, छोटू शाह, मुबारिक खान, सलमान, निशार और अहमद के कबाड़खानों में तलाशी ली। इस दौरान, कबाड़ख़ाना मालिकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि वे किसी भी संदिग्ध या चोरी के सामान की खरीद-फरोख्त न करें। सामान बेचने वालों की जानकारी एक रजिस्टर में दर्ज की जाए, जिसमें नाम, पता आदि का विवरण हो। यदि किसी संदिग्ध व्यक्ति द्वारा सामान बेचने का प्रयास किया जाता है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
इसके अलावा, कबाड़खानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की पूरी जानकारी पुलिस थाने में जमा करने के लिए भी कहा गया। रतलाम पुलिस द्वारा हर सप्ताह कबाड़खानों की आकस्मिक चेकिंग की जाएगी। यदि किसी कबाड़ख़ाना पर चोरी का सामान खरीदते या बेचते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एसपी अमित कुमार के अनुसार इस कार्रवाई का उद्देश्य रतलाम पुलिस का उद्देश्य चोरी की घटनाओं को रोकने और संदिग्ध गतिविधियों पर प्रभावी निगरानी रखना है।
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ये कैसा कानून! : वक्फ एक्ट 1995 को खत्म करने की मांग, मुजावर समाज को परेशानी से मुक्ति दिलाने की अपील
देश में तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है वक्फ, जानिए क्या है वक्फ बोर्ड और उसका कानून!
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। वक्फ एक्ट 1995 को समाप्त करने के लिए एक बड़ा आंदोलन छिड़ चुका है। रतलाम में इसके लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। अखिल भारतीय मुजावर सेना के संस्थापक अध्यक्ष शेर मोहम्मद शाह ने प्रेस वार्ता में वक्फ एक्ट 1995 को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह एक्ट मुजावर समाज के लोगों को प्रताड़ित और परेशान कर रहा है, जो दरगाह, खानखाहा, कब्रस्तान और पीर स्थानों पर सेवाएं देते हैं।
शाह ने कहा कि मुल्क की आजादी के पहले संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाने वाले शहीद मजनू शाह मलंग के नेतृत्व में सन्यासी आन्दोलन चला था, और अब वक्फ बोर्ड द्वारा मुजावर समाज को गुलाम समझा जा रहा है।
तीन मुख्य मांगें रखीं
1. राजा-महाराजा और नवाबों द्वारा दरगाहों के लिए दी गई जमीनों को वक्फ बोर्ड के अधीन नहीं किया जाना चाहिए।
2. वक्फ बोर्ड के जुल्मो सितम से आज़ादी दिलाने के लिये वक्फ एक्ट खत्म होना चाहिए।
3. मुस्लिम कानून 1913 को ध्यान में रखते हुए वक्फ अधिनियम 1954 की जांच होनी चाहिए और वक्फ संपत्ति के स्वत्व के दस्तावेजों की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट को खत्म करने से मुजावर समाज को परेशानी से मुक्ति मिलेगी और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन भी नहीं होगा। गौरतलब है की वक्फ बोर्ड और इसकी संपत्ति लगातार विवादों में घिरी हुई है। भाजपा विधायक हरनाथ सिंह यादव ने पिछले साल एक निजी विधेयक पेश करके वक्फ एक्ट 1995 को समाप्त करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह एक्ट लोकतंत्र के विरुद्ध है और देश हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। हालांकि इस बिल पर फैसला नहीं हो सका, लेकिन वक्फ बोर्ड विवादों में आ गया है। वक्फ बोर्ड के पास कानूनी तौर पर असीमित शक्तियां हैं, जिनका कथित तौर पर वह मनमाना उपयोग करता आ रहा है। आइए जानते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है और यह कैसे काम करता है।
क्या है वक्फ का मतलब?
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब है ट्रस्ट-जायदाद को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना. इस्लाम में ये एक तरह का धर्मार्थ बंदोबस्त है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है.
कौन कर सकता है डोनेशन?
कोई भी वयस्क मुस्लिम व्यक्ति अपने नाम की प्रॉपर्टी वक्फ के नाम कर सकता है. वैसे वक्फ एक स्वैच्छिक कार्रवाई है, जिसके लिए कोई जबर्दस्ती नहीं. इस्लाम में दान-धर्म के लिए एक और टर्म प्रचलित है, जकात। ये हैसियतमंद मुसलमानों के लिए अनिवार्य है। आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं।
वक्फ बोर्ड कैसे बनता और काम करता है?
वक्फ के पास काफी संपत्ति है, जिसका रखरखाव ठीक से हो सके और धर्मार्थ ही काम आए, इसके लिए स्थानीय से लेकर बड़े स्तर पर कई बॉडीज हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड कहते हैं. तकरीबन हर स्टेट में सुन्नी और शिया वक्फ हैं. इनका काम उस संपत्ति की देखभाल, और उसकी आय का सही इस्तेमाल है. इस संपत्ति से गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना, मस्जिद या अन्य धार्मिक संस्थान को बनाए रखना, शिक्षा की व्यवस्था करना और अन्य धर्म के कार्यों के लिए पैसे देने संबंधी चीजें शामिल हैं.
सेंटर ने वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल के लिए सेंटर वक्फ काउंसिल बनाया हुआ है. वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में कुल 30 वक्फ बोर्ड्स हैं. इनके हेडक्वार्टर ज्यादातर राजधानियों में हैं,
क्या है वक्फ कानून?
साल 1954 में नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ. वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता. इसके बाद से कई बार इसमें संशोधन होता गया.
कौन-कौन शामिल बोर्ड में?
बोर्ड में सर्वे कमिश्नर होता है, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है. इसके अलावा इसमें मुस्लिम विधायक, मुस्लिम सांसद, मुस्लिम आइएएस अधिकारी, मुस्लिम टाउन प्लानर, मुस्लिम अधिवक्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवी जैसे लोग शामिल होते हैं. वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं. ट्रिब्यूनल में कौन शामिल होंगे, इसका फैसला राज्य सरकार करती है. अक्सर राज्य सरकारों की कोशिश यही होती है कि वक्त बोर्ड का गठन ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों से हो.
विवाद क्यों होता रहा?
आरोप है कि सरकार ने बोर्ड को असीमित ताकत दे दी। वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है। वक्फ बोर्ड को अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी संपत्ति के बारे में यह जांच कर सकता है कि वह वक्फ की संपत्ति है या नहीं। अगर बोर्ड किसी संपत्ति को अपना कहते हुए दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती।
भाजपा के नेता हरनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में वहां के स्टेट वक्फ बोर्ड ने तिरुचिरापल्ल जिले के एक पूरे गांव पर ही मालिकाना हक जता दिया था। महाराष्ट्र के सोलापुर में भी कुछ ऐसा केस आ चुका। उत्तर प्रदेश में भी वक्फ बोर्ड ने बड़े पैमाने पर संपत्तियों पर दावा जताया था, जिसके बाद योगी सरकार ने आदेश जारी कि वक्फ की सारी संपत्ति की जांच होगी।ये बात साल 2022 की है. लेकिन सर्वे के नतीजे सामने नहीं आ सके
कितनी संपत्ति बोर्ड के पास?
वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में करीब 8 लाख 55 हजार से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं जो वक्फ की हैं।
सेना और रेलवे के बाद देश में संपत्ति के मामले में वक्फ तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है।
यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं।
हर साल हजारों व्यक्तियों द्वारा बोर्ड को वक्फ के रूप में संपत्ति की जाती है, जिससे इसकी दौलत में इजाफा होता रहता है।
भड़काऊ पोस्ट मामला : मशक्कत के बाद जयपुर से गिरफ्तार हुआ नाबालिग आरोपी, एक अन्य फरार आरोपी पर 5 हजार का इनाम
4 दिन पहले मुस्लिम समुदाय ने घेरा था थाना, एसपी ने बनाई थी स्पेशल टीम
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। सोशल मीडिया पर किसी भी धर्म या समुदाय के प्रति बगैर जानकारी के पोस्ट करना आपको सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। एक ऐसा ही मामला रतलाम शहर से सामने आया है। जहां मुस्लिम समुदाय के युवकों ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर थाना घेर लिया था। मामला 1 जुलाई की रात का है, जब बड़ी संख्या में लोग थाने पर इकट्ठा हुए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर मुस्लिम समुदाय की भावना आहत करने वाली पोस्ट अज्ञात आरोपियों ने की थी। जिस पर थाना स्टेशन रोड ने तत्काल एफआईआर करते हुए आरोपियों की तलाश शूरु कर दी थी।
एसपी राहुल लोढा ने बताया की मुस्लिम समुदाय द्वारा शिकायत की गई थी। जिसके बाद तत्काल मामले को संज्ञान में लिया गया। एएसपी राकेश खाखा व सीएसपी अभिनव बारंगे को निर्देशित कर एक स्पेशल टीम बनाई गई। अज्ञात और विशेषकर सोशल मीडिया के अपराध में आरोपियों को ट्रेस करने में बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। सायबर सेल की मदद से अज्ञात आरोपियों को ट्रेस किया गया। तकनीकी साक्ष्यों से आईडी के असल यूजर को ढूंढा गया। जिसके बाद टीम बनाकर राजस्थान के जयपुर भेजी गई। जहां से 13 साल के एक नाबालिग को अभिरक्षा में लिया गया। यह नाबालिग पश्चिम बंगाल के कुछविहार जिले का निवासी है जो जयपुर में रह रहा था। इसके अलावा एक अन्य अज्ञात आरोपी की भी तलाश की जा रही है। फरार आरोपी पर 5 हजार का इनाम रखा गया है।
सराहनीय भूमिका
निरीक्षक दिनेश भोजक थाना प्रभारी थाना स्टेशन रोड, उनि इरफान खान, आर.902 विशाल सैन, आर.139 राजेश परिहार व सायबर सेल से प्र आर मनमोहन शर्मा आर विपुल भावसार, आर मयंक
नवीन नियुक्ति : रतलाम के नए शहर काजी सैय्यद आसिफ अली का हुआ स्वागत, मुश्ताक अली होंगे नायब काजी
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। ईद उल-अज़हा (बकरीद) के मौके पर मुस्लिम समुदाय के नए शहर काजी की नियुक्ति की गई। साथ ही नायब काजी की भी नियुक्ति की गई। यह नियुक्ति काजी परिवार की एक बैठक के बाद सभी सदस्यों की अनुसंशा पर हुई। आपको बता दे मुस्लिम समुदाय में काजी पद एक अहम भूमिका रखता है। काजी द्वारा मुसलमानी धर्म के अनुसार धर्म-अधर्म संबंधी विवादों का निर्णय किया जाता है। इसके अलावा ईद की नमाज, चांद का ऐलान, निकाह करवाने जैसे सभी मुख्य काम काजी द्वारा पूरे किए जाते है। 12 साल से सैय्यद एहमद अली रतलाम शहर काजी का दायित्व संभाल रहे थे।
शहर काजी के पद पर अपनी नियुक्ति के बाद सैय्यद आसिफ अली ने बताया की मुझसे पूर्व में सैय्यद एहमद अली साहब शहर काजी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनके खराब स्वास्थ व बढ़ती उम्र के कारण नमाज अदायगी, निकाह पढ़ने जैसे जकात के कार्य नहीं हो पा रहे थे। जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने काजी हॉउस में आम बैठक रखी और सर्वसम्मति से शहर काजी व नायब काजी के नाम की घोषणा की गई। इस महत्वपूर्ण दायित्व के मिलने के बाद मुस्लिम समुदाय के हित में जो भी कार्य या फैसले होंगे उन्हें ईमानदारी से पूरा करेंगे। सैय्यद आसिफ अली की नवीन शहर काजी के रूप में नियुक्ति होने के बाद सभी ने शुभकामनाएं प्रेषित की। रतलाम में शहर काजी की नियुक्ति रियासतकालीन समय से काजी परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से होती आ रही है। काजी की नियुक्ति से पहले सभी परिवार के लोग बैठक आयोजित करते है। जिसमें सभी की सहमति से एक नाम का चयन किया जाता है।