MP Weather: MP में 27-31 मार्च के बीच लू के आसार, रतलाम-नर्मदापुरम सबसे गर्म, भोपाल-इंदौर में भी बढ़ेगी गर्मी

भोपाल- पब्लिक वार्ता,

न्यूज़ डेस्क। MP Weather: मध्यप्रदेश में बारिश और ओलों का दौर थमते ही गर्मी ने जोर पकड़ लिया है। प्रदेश के कई जिलों में अधिकतम तापमान 39 डिग्री के पार पहुंच चुका है। रतलाम में लगातार दूसरे दिन तापमान 39 डिग्री या उससे अधिक दर्ज किया गया, जबकि नर्मदापुरम में भी गर्मी तीखी बनी रही। मौसम विभाग ने 27 से 31 मार्च के बीच लू चलने की संभावना जताई है, खासतौर पर मालवा-निमाड़ के जिलों रतलाम, उज्जैन, खरगोन, खंडवा और धार में लू का असर ज्यादा रह सकता है।  

मौसम विभाग के अनुसार, दिन के तापमान में 2 से 3 डिग्री की बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे पारा 40 डिग्री के पार जा सकता है। सोमवार को रतलाम में सबसे अधिक 39.2 डिग्री तापमान दर्ज किया गया, जबकि नर्मदापुरम में 38.9 डिग्री, धार में 38.6 डिग्री, खरगोन में 37.2 डिग्री, शाजापुर में 37.1 डिग्री, नरसिंहपुर में 37 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया।    

बड़े शहरों की बात करें तो भोपाल में 35.5 डिग्री, इंदौर में 36.8 डिग्री, ग्वालियर में 36.1 डिग्री, उज्जैन में 37.5 डिग्री और जबलपुर में 35 डिग्री तापमान दर्ज किया गया।  

अगले दो दिन ऐसा रहेगा मौसम  

25 मार्च को गर्मी का असर रहेगा और तापमान में 2 से 3 डिग्री की बढ़ोतरी हो सकती है।  

26 मार्च को तीखी धूप के कारण गर्मी और बढ़ेगी, बारिश की संभावना नहीं है।  

मौसम विभाग ने मार्च से मई तक 15 से 20 दिन लू चलने की संभावना जताई है। अप्रैल-मई में हीट वेव का असर ज्यादा रहेगा, जिससे 30 से 35 दिन तक गर्म हवाएं चल सकती हैं।  

भोपाल में मार्च में दिन में तेज गर्मी पड़ने के साथ बारिश का भी ट्रेंड है। 30 मार्च 2021 को अधिकतम तापमान 41 डिग्री पहुंचा था। 9 मार्च 1979 की रात में पारा 6.1 डिग्री तक गिर गया था। 2014 से 2023 के बीच अधिकतर बार तापमान 38 से 41 डिग्री के बीच रहा।  

इंदौर में मार्च में गर्मी का असर तेज होने लगता है। यहां दिन का पारा 41.1 डिग्री तक पहुंच चुका है, जो 28 मार्च 1892 को दर्ज किया गया था। 4 मार्च 1898 को रात में पारा 5 डिग्री सेल्सियस तक रहा था। 24 घंटे में करीब एक इंच बारिश होने का रिकॉर्ड है, जबकि पूरे महीने में दो इंच पानी गिर चुका है।  

ग्वालियर में 31 मार्च 2022 को दिन का पारा रिकॉर्ड 41.8 डिग्री पहुंच गया जबकि 1 मार्च 1972 की रात में न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री रिकॉर्ड हो चुका है। साल 2015 में पूरे महीने 5 इंच से ज्यादा पानी गिरा। 12 मार्च 1915 को 24 घंटे में करीब 2 इंच बारिश हुई थी।  

जबलपुर में मार्च में भी रातें ठंडी रहती हैं। पारा औसत 15 डिग्री के आसपास ही रहता है। वहीं, दिन में 36 से 40 डिग्री के बीच तापमान दर्ज किया जाता है। 31 मार्च 2017 को दिन का पारा 41.2 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है जबकि 4 मार्च 1898 में रात का तापमान 3.3 डिग्री दर्ज किया गया था। यहां मार्च में मावठा भी गिरता है। पिछले 10 में से 9 साल बारिश हो चुकी है।  

उज्जैन में दिन गर्म रहते हैं। 22 मार्च 2010 को पारा रिकॉर्ड 42.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। 1 मार्च 1971 की रात में न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री रहा था। पिछले साल दिन में तापमान 36 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है। उज्जैन में 2017 सबसे गर्म साल रहा था। मौसम विभाग के अनुसार, इस महीने बारिश भी होती है। एक दिन में पौने 2 इंच बारिश का रिकॉर्ड 17 मार्च 2013 का है।  

गर्मी से बचने के लिए जरूरी सावधानियां बरतें। दोपहर 12 से 4 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें, हल्के और सूती कपड़े पहनें, ज्यादा पानी और तरल पदार्थ लें, धूप में निकलते समय छाता, टोपी या गमछा इस्तेमाल करें और जरूरत हो तो ओआरएस या इलेक्ट्रॉल का सेवन करें।  

Weather Update: भारत के शहर भीषण गर्मी से निपटने को तैयार नहीं, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

नई दिल्ली- पब्लिक वार्ता,

न्यूज़ डेस्क। Weather Update: भारत के प्रमुख शहरों में भीषण गर्मी से बचाव के लिए दीर्घकालिक समाधान की कमी है। सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, नीति निर्माता सिर्फ तत्काल राहत देने वाले उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि लंबे समय तक प्रभावी रहने वाली रणनीतियों की कमी बनी हुई है।  

 9 प्रमुख शहरों का अध्ययन, स्थिति चिंताजनक  

रिपोर्ट में दिल्ली, बेंगलुरु, फरीदाबाद, ग्वालियर, कोटा, लुधियाना, मेरठ, मुंबई और सूरत में गर्मी से बचाव की तैयारियों का विश्लेषण किया गया। इसमें सामने आया कि इन शहरों में पानी की उपलब्धता, कार्यस्थल समय में बदलाव और अस्पतालों की तैयारियों जैसे तात्कालिक उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन हीट एक्शन प्लान को लेकर कोई ठोस दीर्घकालिक नीति नहीं बनाई गई है।  

हीटवेव का खतरा बढ़ेगा, समाधान जरूरी  

विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले वर्षों में हीटवेव की तीव्रता और अवधि बढ़ने की आशंका है। यदि शहरी नियोजन में बदलाव, ग्रीन कवर बढ़ाने, ऊर्जा व्यवस्था मजबूत करने और कमजोर वर्गों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया, तो गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।  

संस्थान और प्रशासन में तालमेल की कमी  

रिपोर्ट में बताया गया कि नगर निकाय और सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की भारी कमी है। हीट एक्शन प्लान का संस्थागत ढांचा कमजोर है और इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी नजर आती है।  

क्या करने की जरूरत? रिपोर्ट में अहम सुझाव  

1. स्थानीय प्रशासन को दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी, जिसमें ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, गर्मी सहन करने योग्य इमारतें और सार्वजनिक स्थानों को अधिक आरामदायक बनाने पर जोर दिया जाए।  

2. आपदा प्रबंधन निधि से हीटवेव से निपटने के लिए धन जुटाने की व्यवस्था करनी होगी।  

3. हीट ऑफिसर्स की नियुक्ति कर उनके अधिकार बढ़ाने होंगे, ताकि वे गर्मी से जुड़ी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू कर सकें।  

4. शहरी नियोजन में बदलाव कर गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी होगी।  

हीटवेव से बचने के लिए ठोस रणनीति जरूरी  

सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को भीषण गर्मी से बचने के लिए तत्काल उपायों से आगे बढ़कर दीर्घकालिक समाधान अपनाने होंगे। अन्यथा, भविष्य में गर्मी का संकट और गंभीर हो सकता है।