नई दिल्ली – पब्लिक वार्ता,
न्यूज़ डेस्क। Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ का पर्व सनातन धर्म में खास महत्व रखता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस साल करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिनें माता करवा और चंद्रमा की पूजा करती हैं और करवा चौथ की व्रत कथा सुनती हैं। कहा जाता है कि इस कथा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। यहां जानिए करवा चौथ व्रत की पूरी कथा।
करवा चौथ व्रत की कथा :
प्राचीन समय में एक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी, जिसका नाम करवा था। करवा का विवाह एक योग्य ब्राह्मण के साथ हुआ था। एक दिन कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को करवा अपने ससुराल में थी। उस दिन उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखा। शाम के समय, जब चंद्रमा निकलने से पहले करवा चांद का इंतजार कर रही थी, तभी उसके भाइयों ने उसकी भूख देखकर उसे भोजन करने का आग्रह किया।
करवा ने अपने भाइयों से कहा कि वह चंद्रमा के दर्शन के बाद ही भोजन करेगी, लेकिन उसके भाइयों से उसकी भूख बर्दाश्त नहीं हुई। इसलिए उन्होंने एक चाल चली। भाइयों ने पीपल के पेड़ के पीछे एक दीपक जलाकर छलपूर्वक करवा से कहा, “देखो, चांद निकल आया है, अब तुम अपना व्रत तोड़ सकती हो।” करवा ने बिना ध्यान दिए, उनके कहे अनुसार चंद्रमा के दर्शन कर व्रत तोड़ दिया और भोजन कर लिया।
व्रत तोड़ते ही करवा का पति बीमार हो गया और उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। करवा को एहसास हुआ कि उसने चंद्रमा के उदय से पहले व्रत तोड़ा था, जो व्रत के नियमों का उल्लंघन था। उसने अपने गलती के लिए पश्चाताप किया और अगले वर्ष फिर से पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखा। इस बार उसने सच्चे मन और श्रद्धा से व्रत किया और चंद्रमा के दर्शन कर विधिपूर्वक अपना व्रत तोड़ा। इस व्रत के प्रभाव से उसका पति स्वस्थ हो गया और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। तब से यह मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं।
करवा चौथ की यह कथा स्त्रियों को पति की दीर्घायु, प्रेम और विश्वास का प्रतीक बनाती है, और इसे पूर्ण निष्ठा से मनाने की परंपरा आज भी चलती आ रही है।
करवा चौथ व्रत का महत्व
करवा चौथ व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को भी बढ़ाता है। इस व्रत को करने से रिश्तों में मजबूती आती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने सुखी वैवाहिक जीवन और समृद्धि के लिए रखती हैं। यह व्रत महिलाओं को संपूर्ण जीवन में सौभाग्यशाली बनाता है और उनके जीवन में खुशहाली लाता है।