जावरा की जंग : निर्दलीय जीवनसिंह ने बिगाड़ा दो दलों का समीकरण, जनसंपर्क में जमकर बरसे शेरपुर

भाजपा में परिवारवाद, नेताओं को बेटों के भविष्य की चिंता – जीवनसिंह शेरपुर

पब्लिक वार्ता – रतलाम/जावरा,
जयदीप गुर्जर। रतलाम की जावरा विधानसभा में चुनावी माहौल बड़ा ही रोचक बनता जा रहा है। निर्दलीय मैदान में उतरे जीवनसिंह शेरपुर ने दो प्रमुख दलों की मेहनत बढ़ा दी है। यहां त्रिकोणीय मुकाबले में निर्दलीय के पड़ला ज्यादा भारी नजर आ रहा है। चुनावी शोर शांत होने में 8 दिन और बाकी है। ऐसे में सभी प्रत्याशी जनता का समर्थन मांगने में अपना अपना जोर लगा रहे है। अपने बोलने के अंदाज और बेबाक छवि से जीवनसिंह की बच्चों व युवाओं में लोकप्रियता खासी बढ़ चुकी है। कई आन्दोलनों व सामाजिक मुद्दों को लेकर जीवनसिंह आगे रहे है। ऐसे में अब इस चुनाव में उसका नतीजा साफ देखा जा सकता है।

निर्दलीय प्रत्याशी जीवनसिंह शेरपुर ने जावरा के कई इलाकों में जनसपंर्क किया। इस दौरान लोगों ने जेसीबी से फूलों को उड़ाकर स्वागत किया। जनसंपर्क के दौरान जीवन सिंह बोले मैं कोई नेता नहीं बुजुर्गों, माताओं का बेटा हूं मे सुख-दुख में साथ हमेशा खड़ा रहुगा है। शेरपुर ने इस दौरान कहा की आज चुनाव के दौरान कुछ मौकापरस्त लोग जो अभी-अभी आपके सामने नजर आ रहे हैं, उनको आपने पहले कभी देखा नहीं होगा। यह वही लोग हैं, जो एक बार आएंगे और फिर शक्ल तक नहीं दिखाएंगे।आप सभी लोगों को यह तय करना होगा कि आपको विकास करने वालों को वोट देना है या भ्रमित व झूठे वादे करने वाले को। इस बार दोनो पार्टियों के खिलाफ जनता चुनाव लड़ रही है, इसलिए दोनो पार्टी के उम्मीदवारों की नींद उड़ गई है। दोनों पार्टियां को अब आप की याद आ रही है।
भाजपा के कुछ नेता यह नहीं चाहते हमारे परिवार के अलावा कोई सांसद या विधायक बने। इसलिए इन्हीं के पार्टी के नेताओं को चुनाव में हराने के लिए लगे रहते हैं क्योंकि इनको पता है। अगर किसी और ने चुनाव जीतकर विधानसभा का टिकट मांग लिया तो उनके बेटे का भविष्य खतरे में हो जाएगा।

जावरा का जीवन! : निर्दलीय हुंकार भरने के बाद जीवनसिंह शेरपुर का हल्ला बोल, भाजपा – कांग्रेस की घोषणाओं पर कही दो टूक

अगर वो बोले राष्ट्र हित में वोट करना, तो आप समझना मुझे वोट करना – जीवनसिंह शेरपुर

पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। जावरा विधानसभा से निर्दलीय मैदान में उतरे जीवनसिंह शेरपुर अब हल्ला बोल मोड पर दिखाई दे रहे है। जीवनसिंह नामांकन भरने के बाद से ही क्षेत्र में जनसपंर्क पर जुट चुके है। इसी के साथ उनका जनसंपर्क अभियान तेजी से बढ़ रहा है। मंगलवार को जावरा में सरदार पटेल जयंती पर माल्यार्पण के बाद शेरपुर ने जनसंपर्क की शुरुआत की। इस दौरान शेरपुर अपने समर्थकों के साथ जावरा गोठड़ा, मुंडला, कामलिया, चौकी, सेदपुर, लालुखेड़ी, आलमपुर ठिकरिया आदि गांवों में पहुंचे। इस दौरान कार्यकर्ताओं व लोगों ने जगह – जगह उनका स्वागत किया गया। मंगलवार को जीवनसिंह ने जनसंपर्क के दौरान भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टियों को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ आरोप – प्रत्यारोप की राजनीति जावरा विधानसभा में शुरू हो चुकी है। शेरपुर ने वर्तमान विधायक डॉ. राजेंद्र पांडे पर  तंज कसते हुए कहा की हमारा विधायक किसानों की फसले खराब होती है तो उसकी आवाज तक सदन में नहीं उठाता है। किसानों को पूरा मुआवजा तक नहीं मिल रहा है।

जनसंपर्क के दौरान जनता के बीच शेरपुर

निर्दलीय प्रत्याशी जीवनसिंह शेरपुर ने अपने भाषण में कहा की चाहे वो विधायक बने या ना बने, मगर जनता की समस्या आज से मेरी समस्या है और रहेगी। आपकी हर समस्यायों को प्राथमिक से दूर करूंगा।क्षेत्र का गरीब मेरे लिए पहले होगा। भाजपा वाले बोल रहे हैं हम महिलाओं को हजार रुपए देंगे तो कांग्रेस वाले बोल रहे हैं हम महिलाओं को पंद्रह सौ देंगे लेकिन हमारे बच्चों के भविष्य के बारे में कोई बात नहीं कर रहा की हम आपके बच्चे को रोजगार देंगे, अच्छी शिक्षा देंगे या अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था देंगे। यह लोग जितना दे रहे उस से दो गुना ले रहे है। कांग्रेस ने बाहरी उम्मीदवार को टिकट दिया। क्या पूरे विधानसभा में एक भी लायक उम्मीदवार नहीं था कि कांग्रेस को बाहर से उम्मीदवार चुनना पड़ा। कांग्रेस पुरी तरह खत्म हो गई है। 

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टिकट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में जमकर बवाल, भाजपा ग्रामीण में तो शुरू हुए उपवास

पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के मुकाबलों का दौर अभी शुरू नहीं हुआ है। इससे पहले दोनों ही पार्टियों में अंदरूनी मुकाबले की अग्नि परीक्षा जारी है। भाजपा में संगठन के अच्छे मैनेजमेंट के चलते यह बाहरी स्तर पर कम दिखाई पड़ता है, मगर कांग्रेस में सबकुछ खुली किताब है। हम इधर उधर के फालतू कयास नहीं लगाएंगे जिससे आप भी बोर हो जाए। बात करते है सीधे मुद्दे की। देर रात कांग्रेस ने शहर से पारस सकलेचा को अपना दावेदार घोषित किया। सबकुछ ठीक चल रहा था मगर अचानक ही अज्ञात लोग आते है और पुतला जलाकर रवाना हो जाते है।

गौरतलब है कि मयंक जाट के मैदान छोड़ने के बाद ही बाकी को अपने अपने टिकट की आस जागी थी। ऐसे में प्रकाश प्रभु राठौड़ अपनी पूरी तैयारी में थे। चुनाव नजदीक आते ही इन्होंने रतलाम के मार्केट में अपनी मार्केटिंग शुरू कर दी। सनातनी झंडा उठाकर प्रभुजी ने धार्मिक कार्यक्रमों को करते हुए अपना चेहरा चमकाया। मगर अंत में कांग्रेस ने इनको दूर प्रणाम करते हुए पारस दादा को अपना दावेदार घोषित किया। अब प्रभु राठौड़ जी के निर्दलीय मैदान में उतरने की भी फुसफुसाहट बाजार में शुरू हो रही है। खेर इतनी बड़ी कांग्रेस में शहर में पारस दादा का पुतला किसने जलाया यह दोनों पार्टियों के लिए जांच का विषय है।

ग्रामीण में कांग्रेसियों का विरोध प्रदर्शन

MP के किंग को जावरा में जगह नहीं :
जातीय संगठन करणी सेना से देशभर में चमके जीवनसिंह शेरपुर ने 2023 में राजनीतिक एंट्री की शुरुआत का एलान किया। खेर यह कोई नई बात नहीं है, की कोई सामाजिक संगठन से शुरुआत करते हुए फेम बेस बनाकर राजनीति में आ रहा हो। जीवनसिंह शेरपुर ने भी ठीक वैसा ही किया। मगर राजनीति में आने से पहले से 2018 के चुनाव में जीवनसिंह ने कांग्रेस को अप्रत्यक्ष रूप से पूरा समर्थन दिया। इस बार नगरीय निकाय में भी जीवनसिंह ने यही किया। जिसके बाद जीवनसिंह ने अपनी विधानसभा की तैयारी शुरू की और कांग्रेस से टिकट की लगभग ग्यारंटी भी समझी। मगर समर्थकों में एमपी का किंग कहे जाने वाले जीवनसिंह को कांग्रेस ने जावरा में जगह नहीं दी। जिसके पीछे कारण बेदाग छवि का नहीं होना बताया जा रहा है।

बरहाल जीवनसिंह का कहना है कि वे उनकी मांगों को लेकर अडिग है, इन मांगों को कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में जगह नहीं दी है। जीवनसिंह निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके है। फिलहाल जीवनसिंह शेरपुर 80 के करीब विधानसभा सीटों पर अपनी तैयारी की बात कह रहे है। ऐसे में अब कहीं और तो नहीं मगर जावरा में त्रिकोणीय मुकाबला जरूर देखने में आ सकता है। जीवनसिंह शेरपुर के समर्थकों का मानना है कि राजपूत समाज के अलावा अन्य समाज भी उनके साथ है।

खेर अब भाजपा की सूची का सभी को बेसब्री से इंतजार है। इस सूची में जावरा, आलोट और रतलाम ग्रामीण की स्थिति स्पष्ट होगी। मौजूदा रतलाम ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना दिल्ली-भोपाल दौड़ने में लगे है। वहीं पूर्व विधायक मथुरालाल डामर के समर्थकों का मानना है की त्याग व जनता के बीच रहने वाले “बा” को अवसर दिया जाए। ग्रामीण में मथुरालाल डामर की इस बार हवा तेज है। बात यह भी सामने आ रही है कि कई समर्थक इनके टिकट के लिए उपवास तक रख रहे है। लोग पूजा अनुष्ठान कर रहे है।