पब्लिक वार्ता – रतलाम, जयदीप गुर्जर। जिला मुख्यालय के सैलाना में उस वक्त हड़कंप मच गया जब ग्रामीणों ने कुएं में गुर्राते हुए तेंदुए को देखा। घटना सैलाना के आदिवासी बाहुल्य गांव आंबाकुड़ी की है। मवेशी चराने रविवार सुबह जंगल में ग्रामीण पहुंचे तो तेंदुए की आवाज सुनकर कुएं में देखा और सरवन पुलिस थाने पर सूचना दी। सुबह करीब 11.30 बजे सूचना मिलने के बाद मौके पर सरवन पुलिस थाना प्रभारी नीलम चौंगड़ बल के साथ पहुंची और वन विभाग को सूचित किया। 7 घंटे की मशक्कत के बाद शाम को 5:30 बजे तेंदुए का रेस्क्यू किया गया। अब विभाग की टीम उसे मानव आबादी से दूर जंगल मे छोड़ने की कार्रवाई करेगी।
सैलाना-बांसवाड़ा रोड पर बसे गांव आंबाकुड़ी में किसान औंकार मुनिया के कुएं में तेंदुए की सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। तेंदुआ कुएं के अंदर बनी बाउंड्री में उगी झाडिय़ों में लोगों को घूमता दिखाई दिया। लोगों ने उसकी वीडियो भी बनाई। पुलिस की सूचना पर रतलाम और सैलाना के वन विभाग की टीम भी पहुंची। शाम 5 बजे तक भी उन्हें सफलता नहीं मिली। थाना प्रभारी चौंगड़ ने बताया कि रेस्क्यू के लिए उज्जैन की टीम भी रवाना हो चुकी थी। तेंदुए को पकड़ने के लिए टीम ने पिंजरा रख उसमे मुर्गी रखी। जिसके बाद भी काफी मशक्कत के बाद तेंदुआ पकड़ में आया। एहतियात बतौर मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया। बता दें कि कुछ माह पहले सैलाना के ग्राम बोदिना और रतलाम के रेलवे कॉलोनी में भी तेंदुआ देखा जा चुका है। सैलाना के बोदिना में भी रातभर चले रेस्क्यू के बाद तेंदुए को जाल से पकड़ा था। इसके अलावा रतलाम के रेलवे कॉलोनी में तेंदुए की करीब तीन से चार दिन तक अलग – अलग क्षेत्रों में मूवमेंट देखा गया।
वनकर्मियों के पास खुद के बचाव के लिए साधन – संसाधन नहीं, ऐसे तो कैद में होता तेंदुआ!
पब्लिक वार्ता – रतलाम, जयदीप गुर्जर। रेलवे कॉलोनी क्षेत्र में देर रात तक तेंदुए की लुकाछिपी से लोगों में दहशत बनी हुई है। रविवार को तेंदुआ एक सीसीटीवी फुटेज में भी कैद हुआ है। रविवार शाम से ही लेट लतीफ वन अमला तेंदुए की तलाश कर रहा है। अब तक तेंदुआ पकड़ से बाहर है। ट्रेस हुए तेंदुए के पंजे के निशान मिले है। यह नर तेंदुआ है जो कि युवा अवस्था में है। इसकी उम्र करीब डेढ़ से दो वर्ष तक बताई जा रही हैं। विभाग ने लोगों से घरों में रहने की अपील की है। रविवार देर रात 12 बजे करीब उड़नदस्ते ने तेंदुए को रेलवे कॉलोनी में ट्रेस किया। जिसके बाद वहां पिंजरा रखकर उसे पकड़ने की कोशिश की गई। इस दौरान तेंदुआ झाड़ियों में दुबक कर बैठा था। मगर रात 3 बजे करीब वन विभाग की टीम को चकमा देकर तेंदुआ जेवीएल की तरफ भाग निकला। वहीं डीएफओ डीएस निगवाल का कहना है की तेंदुआ शहर से बाहर निकल चुका है। मगर एहतियात के तौर पर टीम को सर्चिंग पर लगा रखा है। ड्रोन से इंडस्ट्रियल एरिया समेत आसपास के क्षेत्रों में सर्चिंग की जा रही है।
उज्जैन से रेस्क्यु टीम रात 10 बजे आई जिसके बाद इंदौर से भी सोमवार तड़के 4 बजे रेस्क्यू टीम रतलाम पहुंची। खबर लिखे जाने तक तेंदुए के दिखाई देने की अफवाहों का बाजार गर्म रहा और टीम इधर से उधर मूवमेंट करती नजर आई। गौरतलब है की रविवार शाम 4 बजे करीब लोगों ने तेंदुआ देखा। तब रहवासियों की भीड़ व शोर के चलते यह और आक्रामक होकर भागता रहा। वही कॉलोनी की बाउंड्रीवॉल पर तेंदुए को देखने चढ़े सतीश मीणा पर हमला पर उसे घायल कर दिया था। इसे रेलवे अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में भर्ती किया गया।
जिले में एक उड़नदस्ता, जरूरी साधन तक नहीं : तेंदुए की सूचना मिलने के बाद पहुंचे वन अमले के पास जरूरी साधन तक उपलब्ध नहीं थे। जिले में जंगली जानवरों को काबू में रखने या पकड़ने के लिए केवल एक रेस्क्यू टीम है जिसे उड़नदस्ता कहा जाता है। तेंदुए की ट्रेसिंग के वक़्त यह उड़नदस्ता आलोट था। जिसे रतलाम आने में 1 घण्टे से अधिक समय लगा। ट्रेंकुलाइजर गन की बात करे तो पूरे संभाग में केवल एक गन उपलब्ध है। जिसे चलाने के लिए विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है। यह गन खुंखार जानवरों को बगैर नुकसान पहुंचाए स्थिर कर देती है। जिसमें बेहोशी की ड्रग की मात्रा व निशाना लगाने की दूरी का पैमाना तय होता है। इसकी कीमत 3 लाख से लगाकर8 लाख तक की होती है। यह गन रात में अमले के पास मौजूद होती तो तेंदुआ अभी कैद में होता। सूत्रों के अनुसार सैलाना में तेंदुआ पकड़ने के दौरान इंदौर की टीम के पास जो गन थी वह गिरकर खराब हो चुकी थी। जिसके बाद इंदौर की टीम उज्जैन से गन लेकर चली गई। रात में उज्जैन की टीम समय पर तो पहुंची मगर उसे ट्रेकुलाइस गन का इंतजार करना पड़ा।
तेंदुए जैसे खतरनाक प्रजाति की सर्चिंग के दौरान वन अमले के पास ना तो खुद की सुरक्षा के लिए साधन उपलब्ध थे ना ही पैक्ड जिप्सी! ऐसे में तेंदुआ अगर इन पर हमला करता है तो भगवान ही मालिक है। जिले में लगातार हो रही तेंदुए की मूवमेंट के बाद भी जिले में संसाधनों का अभाव होना चिंता का विषय है। सूत्रों की माने तो जिला वन मुख्यालय साधनों की पूर्ति के लिए पत्र भी लिख चुका है, मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या कहते है एक्सपर्ट? कम होते जंगलों और शिकार ने बढ़ाया शहर में तेंदुओं का मूवमेंट, किसी की जान लेकर उड़ेगी विभाग की सुस्ती!
पब्लिक वार्ता – रतलाम, जयदीप गुर्जर। शहर में तेंदुए के घुस आने से लोगों में दहशत और अफरा तफरी मच गई। रविवार शाम 5 बजे से सोशल मीडिया पर तेंदुए की मूवमेंट के मैसेज वायरल होना शुरू हो गए। उसकी लोकेशन के बारे में जानने की कोशिश की गई तो मालूम हुआ कि तेंदुआ शहर की रेलवे कॉलोनी में डेरा डाले हुए है। जिसके बाद पुलिस के साथ ही वन विभाग की टीम को सूचना दी गई। करीब 3 घण्टे तक वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची। लोगों की भीड़ मौके पर जमा होने लगी तो तेंदुआ गांधीनगर, मीरा कुटी की तरफ चला गया। भीड़ होने से तेंदुआ फिर से रेलवे कालोनी की रोड नंबर 13 की तरफ आ गया। इस दौरान उसे देखने आए युवक सतीश मीणा पर तेंदुए ने हमला कर दिया, जिससे कमर के पास चोट पहुंची। बाद में डीएफओ डीएस निगवाल ने पहुंचकर लोगों से जानकारी ली। इस दौरान रेलवे पुलिस व अधिकारी भी मौके पर पहुंच चुके थे। गौरतलब है कि बढ़ती घटनाओं के बाद भी वन विभाग के पास संसाधन के नाम पर सिर्फ पिंजरा ही है। ट्रेंकुलाइजेशन के लिए उज्जैन व इंदौर से टीम बुलाई गई है।
डीएफओ निगवाल ने बताया की जंगली जानवर की सूचना मिली थी। प्रथम दृष्टया वीडियो और पूछताछ में तेंदुआ ही लग रहा है जो कि जंगल के रास्ते भटक गया होगा। इंदौर व उज्जैन में टीम को सूचना कर दी गई है। तेंदुआ हिंसक जानवर है, लोग भीड़ उसे देखने के लिए भीड़ नहीं जमा करे। टीम के आने तक उसकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है। दिखाई देने पर उसे रेसक्यू किया जाएगा। फिलहाल क्षेत्रवासी अब डर के मारे घबराए हुए है। घटना के दौरान क्षेत्र में बिजली जाने से अंधेरा छा गया जिससे रहवासियों में और दहशत बढ़ गई।
वन विभाग की सुस्ती, लगातार बढ़ रहा मूवमेंट : यहां विभाग के कई कर्मचारी ऐसे है जो हाजरी लगाने के बाद घरों में आराम फरमाते नजर आते है। तेंदुओं की रहवासी इलाकों में घुसपैठ को रोकने को लेकर विभाग के पास अब तक कोई ठोस योजना नहीं है। किसी दिन यह सुस्ती किसी नागरिक की जान लेकर ही उड़ेगी। रतलाम जिले में सैलाना, पिपलौदा क्षेत्र में तेंदुए की सक्रियता रहती है। 15 मार्च 2022 को रतलाम में सागोद रोड स्थित मांगलिक भवन जेएमडी में तेंदुआ घुस गया था, जो थोड़ी देर रहने के बाद वापस चला गया। हालांकि वन विभाग ने उसे जंगली बिल्ली करार देकर पल्ला झाड़ लिया था। इधर नवंबर 2019 में बड़ायला माताजी में तेंदुआ घुस आया था, जिसे पकड़कर वन विभाग की टीम ने गांधीसागर के वन क्षेत्र में छोड़ा था। इसी वर्ष मार्च से जुलाई तक सैलाना के ग्राम पंचायत पाटड़ी व बरड़ा के कई ग्रामों में रात्रि में तेंदुए ने बकरे-बकरियों व कुछ गाय-बछड़े का शिकार किया था। पांच जुलाई को तेंदुआ बोदिना में एक घर में घुसा, तब विभाग की टीम ने पिंजरा लगाकर पकड़ने के बाद देवास वनक्षेत्र में छोड़ा। यहां भी शुरुआत में वन विभाग ने तेंदुए के होने की बात से इंकार किया था।
क्या कहता है एक्सपर्ट व्यू : तेज से शहरीकरण के अलावा और भी कई कारण हैं जिससे देश भर के शहरी इलाकों में तेंदुए देखे जा रहे हैं और वह मनुष्यों पर हमले भी कर रहे है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि रियल एस्टेट परियोजनाओं ने तेंदुओं के प्राकृतिक आवास को कम कर दिया है जिससे वे मनुष्यों के रिहायशी इलाकों में भटक कर आने लगे है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अब तेंदुओं को अपने अधिकार क्षेत्र वाले जंगलों में कम शिकार मिल रहे हैं, उनका अधिकार क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है, आंतरिक संघर्ष बढ़ गए हैं और मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है जिससे वह ‘तनावग्रस्त’ हो गए हैं। बाघों जैसी बड़ी पैंथेरा प्रजातियों के विपरीत तेंदुए मानव बस्तियों के आसपास भी रह सकते है। इसके अलावा शिकार की प्रजातियों की कमी के कारण भी तेंदुए कुत्तों, बकरियों और कुछ मामलों में गायों जैसे छोटे स्तनधारियों की तलाश में बस्ती क्षेत्रों में चले जाते है। एक रिपोर्ट के अनुसार आदमखोर तेंदुए जानबूझ कर मारने के इरादे से हमला करते हैं और लोगों की मौत का कारण बनते है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेंदुए आमतौर पर मनुष्यों से दूर भागते है मगर वक्त के साथ तेंदुओं के मनुष्यों के रिहाइश वाले इलाकों में आने और उन पर हमला करने की वारदात बढ़ रही है।