रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। MP News: रतलाम में न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में वाहन दुर्घटना के पीड़ितों और उनके परिजनों को राहत देते हुए कहा है कि दुर्घटना के छह महीने बाद भी क्लेम किया जा सकता है। न्यायालय के इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है जो समय सीमा के कारण क्लेम नहीं कर पा रहे थे। अब वे छह महीने बाद भी मुआवजे के लिए आवेदन कर सकेंगे।
न्यायालय के प्रथम सदस्य, एमएसीसी (मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण) आदित्य रावत ने एक विशेष मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। मामला प्रेमशंकर शर्मा की 22 जनवरी 2022 को हुई एक सड़क दुर्घटना से जुड़ा था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के बाद, उनकी पत्नी आशा शर्मा ने 26 अप्रैल 2023 को बीमा क्लेम दायर किया। इस क्लेम पर बीमा कंपनी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के संशोधन के अनुसार क्लेम की अवधि दुर्घटना के 6 महीने के भीतर होनी चाहिए। लेकिन आशा शर्मा ने दुर्घटना के एक साल से अधिक समय बाद क्लेम दायर किया था।
बीमा कंपनी की आपत्ति के बावजूद न्यायाधीश आदित्य रावत ने बीमा कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया और क्लेम को सुनवाई योग्य माना। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मोटर यान अधिनियम (मोटर व्हीकल एक्ट) एक कल्याणकारी कानून है, जिसका उद्देश्य दुर्घटना से पीड़ित परिवारों की मदद करना है। न्यायालय ने यह भी कहा कि सिर्फ देर से क्लेम दाखिल करने के आधार पर पीड़ित पक्ष को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुआवजे के आवेदन को रद्द करना उचित नहीं है। न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में आवेदिका एक गृहिणी हैं और उन्हें इस प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं थी, इसलिए विलंब को नजरअंदाज करना न्यायोचित है।
इस मामले में आवेदिका की ओर से एडवोकेट देवेंद्र सिरधाना गुर्जर ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि न्यायालय का यह निर्णय उन सभी परिवारों के लिए राहत लेकर आया है जो दुर्घटना की समय सीमा के कारण क्लेम नहीं कर पा रहे थे। वर्ष 2019 के मोटर व्हीकल एक्ट संशोधन में क्लेम दाखिल करने की अवधि छह महीने निर्धारित की गई थी, जिससे कई लोग जानकारी के अभाव में इस सीमा का पालन नहीं कर पाते थे। इस फैसले के बाद, दुर्घटना में घायल या मृतकों के परिजन छह महीने बाद भी मुआवजे का दावा कर सकते हैं, जो उनके लिए एक बड़ी राहत है।
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Ratlam News: दूसरे वार्ड में कचरा डालने पहुंचा पार्षद पति; किसी ने वीडियो कर दिया वायरल, महापौर ने काट दिया चालान
रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Ratlam News: शहर के वार्ड 43 की भाजपा पार्षद प्रीति कसेरा के पति संजय कसेरा के कारनामे ने पूरी परिषद की खिल्ली उड़ा दी। दरअसल वार्ड 43 के पार्षद पति ने वार्ड 22 में पहुंचकर कचरा फेंका। जिसका किसी ने वीडियो उतारकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। जो की जमकर वायरल हुई और लोगों ने खूब ट्रोल किया। वीडियो महापौर प्रहलाद पटेल तक पहुंचा जिसके बाद महापौर ने पार्षद पति के कारनामे पर सख्त रुख अपनाया। महापौर पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि शहर को साफ-सुथरा बनाने के लिए चाहे जनप्रतिनिधि हो या आम नागरिक, सभी पर नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
आपको बता दे कि शहर को स्वच्छ और साफ-सुथरा बनाए रखने के प्रयासों में नगर निगम द्वारा खुले में कचरा डालने वालों पर सख्ती बरती जा रही है। वार्ड क्रमांक 43 के पार्षद पति संजय कसेरा द्वारा वार्ड क्रमांक 22 में खुले में कचरा डालने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस घटना के बाद महापौर प्रहलाद पटेल के निर्देश पर कसेरा पर 250 रुपये का जुर्माना लगाया गया। महापौर की उपस्थिति में उन्हें भविष्य में इस तरह का कार्य न करने की सख्त चेतावनी दी गई।
फोटो भेजने पर 50 रुपए का इनाम
महापौर प्रहलाद पटेल ने कहा कि स्वच्छता अभियान के तहत शहर को साफ रखने के लिए निगम द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहर में ऐसे लोग भी हैं जो खुले में कचरा डालकर वातावरण को दूषित करते हैं। नगर निगम ने इन लोगों पर लगाम लगाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 7471144937 जारी किया है। इस नंबर पर कोई भी व्यक्ति खुले में कचरा डालने वाले का फोटो और पते के साथ जानकारी भेज सकता है। जानकारी भेजने वाले को 50 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, और उसकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। जुर्माना कार्रवाई के दौरान स्वास्थ्य अधिकारी ए.पी. सिंह, झोन प्रभारी तरुण राठौड़, और आशीष चौहान मौजूद रहे।
Ratlam News: एसपी और निगम कमिश्नर के आदेशों की बेख़ौफ धज्जियां उड़ाते मोबाइल दुकानदार
सैलाना बस स्टैंड चौराहे पर मोबाइल दुकानदारों का अतिक्रमण जारी, सांठगांठ का सारा खेल!
रतलाम – पब्लिक वार्ता,
न्यूज डेस्क। Ratlam News: दिवाली के सीजन में कुछ दुकानदारों ने ऐसे दुकानें सजा रखी है, जैसे इनके घर पर कोई वैवाहिक समारोह आयोजित किया जा रहा हो। नियमों को ताक पर रखकर इन्होंने आम नागरिकों के लिए समस्याएं खड़ी कर दी है। ऐसे में वाहन तो ठीक पर पैदल चलने वालों तक फजीहत में पड़ गए है। क्योंकि फुटपाथ तो ठीक इन्होंने सड़क तक घेर ली है। रतलाम में एसपी अमित कुमार ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए “एक दिवस एक रोड अभियान” जैसी पहल शुरू की थी, जिससे नागरिकों में उम्मीद जागी। लेकिन एसपी और निगम कमिश्नर के आदेशों के बावजूद, बड़े दुकानदार और रसूखदार अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं। इन दुकानदारों में जीवन मोबाइल, नाकोड़ा NX, सतगुरु मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक आदि है। ऐसे ही शहर के अन्य हिस्सों में भी यही हाल है। खास बात यह है की इस चौराहे पर पुलिस वाहनों की चालानी कार्रवाई करती है।
शहर के प्रमुख चौराहे सैलाना बस स्टैंड (महाराणा प्रताप चौराहा) पर मोबाइल दुकानदारों द्वारा खुलेआम फुटपाथ और सड़क पर अतिक्रमण जारी है, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां सड़कों पर वाहन पार्किंग के कारण जाम की स्थिति रोजाना बन रही है। यहां दुकानदारों अपना घर समझकर टेबल कुर्सियां लगाकर बैठे है। जिस पर ग्राहकों को बैठाकर लोन व फाइनेंस की स्कीम बताकर मोबाइल बेचे जा रहे है।
बड़े दुकानदारों का हौसला बुलंद, छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, निगम के कुछ जिम्मेदारों की सांठगांठ से इन दुकानदारों को कार्रवाई का डर नहीं है। जीवन मोबाइल, नाकोड़ा NX, सतगुरु मोबाइल जैसे दुकानदार अपनी दुकानों के बाहर तक फ्लेक्स और टेबल लगाकर अतिक्रमण कर रहे हैं। यहां आने वाले ग्राहक अपने वाहन सड़कों पर पार्क कर रहे हैं, जिससे चौराहे पर जाम की स्थिति बन जाती है। इनके रसूख के चलते जिम्मेदार इन पर कार्रवाई से बचते है।
दो दिन पहले की गई खानापूर्ति
दिवाली से पहले यातायात पुलिस और निगम की टीम ने एक संयुक्त अभियान चलाकर अस्थाई अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया। लेकिन टीम के प्रभारी राजेंद्र सिंह पंवार ने छोटे दुकानदारों को चेतावनी देने के बाद खानापूर्ति कर दी और कुछ चालान काटे। जैसे ही टीम जीवन मोबाइल, नाकोड़ा NX, और सतगुरु मोबाइल जैसी दुकानों पर पहुंची, कार्रवाई ढीली पड़ गई। पुलिस के जवान इस स्थिति में असहाय नजर आए क्योंकि निगम द्वारा छोटे और बड़े दुकानदारों में भेदभाव स्पष्ट दिखाई दिया।
क्या बोले जिम्मेदार अधिकारी?
नगर निगम कमिश्नर हिमांशु भट्ट ने बताया कि अस्थाई अतिक्रमण की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। डीएसपी ट्रैफिक अनिल राय ने कहा कि फुटपाथ और पार्किंग की व्यवस्था जरूरी है और अतिक्रमण पाए जाने पर संबंधित दुकानदारों पर चालानी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि दिवाली पर ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने का पूरा प्रयास किया जाएगा, और चेतावनी दी गई है कि अतिक्रमण तुरंत हटाएं। रतलाम के नागरिकों को अब निगम और पुलिस प्रशासन से उम्मीद है कि बड़े और छोटे दुकानदारों के बीच भेदभाव किए बिना उचित कार्रवाई की जाएगी।
Ratlam News : नगर निगम की फायर ब्रिगेड से हो रही थी सड़क की सफाई, किसी ने वायरल कर दिया वीडियो, जानिए क्या है पूरा मामला
रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। Ratlam News : गुरुवार देर रात सोशल मीडिया पर नगर निगम की फायर लॉरी का एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो संत रविदास चौक (करमदी रोड) का है। जिसमें नगर निगम की फायर लॉरी व कर्मचारियों पर निजी ठेकेदार के लिए काम करने का आरोप लगाया जा रहा है। वीडियो में कहा जा रहा है कि नगर निगम की फायर लारी से सड़क पर बने डिवाइडर की तरी की जा रही है, जबकी यह सड़क निजी ठेकेदार द्वारा बनाई गई है। वीडियो पर लोग तरह – तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहै है। इस मामले में पब्लिक वार्ता ने जब पड़ताल की तो मामला कुछ और ही निकला।
संत रविदास चौक से करमदी तक सड़क निर्माण का काम पीडब्ल्युडी का है। जिसे प्राइवेट फर्म रामेश कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है। क्षेत्र के भाजपा पार्षद अक्षय संघवी ने बताया की फायर लॉरी का उपयोग किसी निजी ठेकेदार के द्वारा नहीं किया जा रहा था। वहां सड़कों की साफ – सफाई के लिए बुलाया गया था।नागरिकों ने शिकायत की थी की दिवाली का त्योहार है आसपास बहुत धूल हो रही है। इसलिए उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फायर लॉरी व मशीन इसलिए भेजी गई थी। किसी ने गलत जानकारी देकर वीडियो वायरल कर दिया। मामले में कंस्ट्रक्शन कंपनी के रुपेश पिरोदिया से संपर्क करना चाहा लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
वीडियो के बाद जारी किए निर्देश
हालांकी वीडियो के वायरल होने के बाद पीडब्ल्युडी के कार्यपालन यंत्री अनुराग सिंह ने कांट्रेक्टर रूपेश पिरोदिया से जवाब मांगा है। उन्होंने बताया की आगे भविष्य में इस प्रकार से कोई काम ना हो, इसके लिए जिले के सभी एसडीओ व कांट्रेक्टर को दिशा निर्देश जारी किए है। यदी ऐसा कोई कार्य पाया जाता है तो संबंधित फर्म व कांट्रेक्टर पर उचित वैधानिक कार्रवाई होगी।
Ratlam News: रतलाम में आवारा सांडों का आतंक, 4 महीने में दूसरी मौत, नगर निगम पर उठे गंभीर सवाल!
रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। रतलाम में आवारा सांडों के आतंक का खौफनाक सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को सांड के हमले में घायल एक व्यक्ति की मौत ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले 4 महीनों में सांड के हमले से यह दूसरी मौत है, जिससे शहर में आक्रोश व्याप्त हो गया। नगर निगम अधिकारियों और महापौर के खिलाफ जमकर नारेबाजी लोगों ने की। (Ratlam News)
सांड की लड़ाई में घायल व्यक्ति की दर्दनाक मौत
दो दिन पहले, वार्ड 23 के तेजानगर ब्लॉक में रहने वाले राजेश गुगलिया (45) और उनकी मां मोहनबाई घर के बाहर बैठे थे। तभी दो सांड लड़ते हुए आए और इन दोनों पर हमला कर दिया। हमले में मां-बेटे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जहां मोहनबाई को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, वहीं राजेश की हालत बिगड़ती चली गई। बुधवार सुबह 6 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि राजेश को अंदरूनी चोटें लगी थीं, जिससे उनकी जान चली गई।
परिजनों और स्थानीय निवासियों का फूटा गुस्सा, चक्काजाम
राजेश की मौत के बाद, गुस्साए परिजन और स्थानीय निवासियों ने संत रविदास चौक पर शव रखकर चक्काजाम कर दिया। करीब 2 घंटे तक नगर निगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। गुस्साए लोगों की मांग थी कि दोषियों पर कार्रवाई हो और परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए। चक्काजाम की सूचना मिलने पर निगम कमिश्नर हिमांशु भट्ट, एसडीएम अनिल भाना समेत कई अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बावजूद परिजनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। आखिरकार, रतलाम के महापौर प्रहलाद पटेल के आश्वासन पर ही चक्काजाम खत्म किया गया। उन्होंने मृतक के परिवार रेडक्रॉस और आदि की और से 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया।
नगर निगम की लापरवाही: 4 महीने में दूसरी जान गई
यह पहली बार नहीं है कि रतलाम में सांड के हमले ने किसी की जान ली है। चार महीने पहले, टाटा नगर निवासी शांताबाई (60) की भी सांड की लड़ाई में मौत हो गई थी। बावजूद इसके, नगर निगम ने सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों को पकड़ने की कार्रवाई को गंभीरता से नहीं लिया। कुछ दिन तक मवेशियों को पकड़ने की मुहिम चलाई गई, लेकिन जल्द ही यह कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। शहर की सड़कों पर मवेशियों की संख्या बढ़ते ही जा रही है। शहहर के अंदर अवैध रूप से पशुपालन करने वाले दूध निकालकर इन्हें सड़कों पर छोड़ देते है। जिससे बाजारों व गलियों में लोगों को इनका सामना करना पड़ता है। खासकर महिलाएं और छोटे बच्चे गाय व सांड के हमलों का ज्यादा शिकार हो रहे है।
सांठगांठ के आरोप: निगम की टीम ने नहीं लिया सबक?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी और पशुपालक सांठगांठ कर मवेशियों को पकड़ने में लापरवाही बरतते हैं। सूत्रों का दावा है कि मवेशियों को पकड़ने की सूचना पहले ही पशुपालकों तक पहुंचा दी जाती है, जिससे वे उन्हें गायब कर देते हैं। इसके चलते सड़कों पर आवारा मवेशी बेखौफ घूमते रहते हैं, जिससे ऐसे हादसों का सिलसिला जारी है।
कौन लेगा जिम्मेदारी?
राजेश गुगलिया की मौत ने रतलाम में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। क्या इन मौतों का जिम्मेदार निगम है, जिसने कार्रवाई करने में कोताही बरती? आवारा मवेशियों के हमलों का शिकार हो रहे लोग कब तक इस खतरनाक स्थिति का सामना करेंगे? मामले में नगर निगम कमिश्नर ने कहा, सांड के मरने से व्यक्ति की असमय में मृत्यु हुई है, उसका सभी को दुख है। आज से नगर निगम अनाउंसमेंट शुरू करेगा। किसी का भी पशु बाहर पाया जाएगा तो उसको पकड़ा जाएगा। ऐसे पशु मालिक के खिलाफ एफआईआर की कार्रवाई भी की जाएगी।
स्वास्थ की चिंता : पाइपलाइन टूटने से टाइफाइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा, श्रेष्ठ नवनिर्माण फाउंडेशन ने की अपील
रतलाम – पब्लिक वार्ता,
जयदीप गुर्जर। शहर में सड़क निर्माण कार्य के दौरान पाइपलाइन टूटने की शिकायत आमतौर पर सभी दूर देखने में आ रही है। ऐसे में उस दौरान मौजूद गड्ढों में पानी भर जाता है। यही पानी हमारे स्वास्थ पर गंभीर प्रभाव डालता है। इसी को लेकर श्रेष्ठ नवनिर्माण फाउंडेशन ने चिंता जाहिर करते हुए अधिकारियों से अपील की है। फाउंडेशन के सचिव नरेंद्र श्रेष्ठ ने बताया पाइपलाइन फूटने से पानी सड़क पर फैल जाता है और सप्लाई बंद होने के कारण गंदा पानी वापस पाइपलाइन में चला जाता है, जो अगली सप्लाई में नागरिकों तक पहुंच जाता है। इससे शहर में टाइफाइड और अन्य पानी जनित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
श्रेष्ठ ने जिला अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी, और निगम के अन्य अधिकारियों से अपील की है कि वे इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान दें और उचित कदम उठाएं। फाउंडेशन का कहना है कि पाइपलाइन टूटने से न केवल जल सप्लाई बाधित हो रही है बल्कि गंदे पानी के पुनः पाइपलाइन में जाने से नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। फाउंडेशन के प्रतिनिधियों का कहना है कि अधिकारियों को तुरंत उचित कदम उठाने चाहिए ताकि पाइपलाइन टूटने की समस्या को रोका जा सके और साफ पानी की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही, अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे सड़क निर्माण कार्यों के दौरान पाइपलाइनों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और नागरिकों को बीमारियों से बचाने के लिए उचित प्रबंध करें।
सिविक सेंटर फर्जी रजिस्ट्री कांड: लोकायुक्त पुलिस ने नगर निगम व रजिस्ट्रार ऑफिस में खंगाले दस्तावेज
भ्रष्ट अधिकारियों व भूमाफियाओं पर जल्द हो सकती है एफआईआर दर्ज!
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। नगर निगम सम्मेलन में उठे राजीव गांधी सिविक सेंटर स्थित जमीन की फर्जी रजिस्ट्री कांड की गूंज अब लोकायुक्त तक जा पहुंची है। बुधवार सुबह करीब 9 बजे लोकायुक्त पुलिस रतलाम पहुंची। टीम ने नगर निगम पहुंचकर दस्तावेज खंगालना शुरू किए। जिसके बाद टीम महलवाड़ा स्थित रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंची। यहां भी करीब 1 घंटे तक दस्तावेज देखे गए। दोनो जगहों से लोकायुक्त की टीम फाइले एकत्रित कर अपने साथ ले गई है। सूत्रों की माने तो जल्द ही नगर निगम व रजिस्ट्रार अधिकारियों सहित कई प्रॉपर्टी के दलाल पर अनियमितता व भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज हो सकती है। फिलहाल इस मामले में लोकायुक्त ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी बताने से इनकार किया है।
आपको बता दे शहर के भूमाफिया कहे जाने वाले प्रोपर्टी ब्रोकर राजेन्द्र पितलिया पर षडयंत्रपूर्वक सिविक सेन्टर की अवैध रजिस्ट्रियां करवाने का आरोप लगातार लग रहा है। इसमें तत्कालीन निगम आयुक्त एपीएस गहरवार, उपायुक्त विकास सोलंकी सहित कई अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप नगर निगम के पार्षदों ने लगाए थे। अब इनकी शिकायत लोकायुक्त व ईओडब्लू (EOW) के पास पहुंची है। लोकायुक्त ने शिकायत के बाद अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है, वही ईओडब्लू से अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की सूचना नहीं मिली है।
लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान ने मीडिया को बताया कि सिविक सेन्टर की जमीनों की अवैध रजिस्ट्रियां कराई जाने की शिकायत लोकायुक्त पुलिस को भी प्राप्त हुई थी, जिस पर से लोकायुक्त पुलिस द्वारा मामला संज्ञान में लिया गया। इसी मामले की जांच के लिए नगर निगम व रजिस्ट्रार ऑफिस से दस्तावेज मांगे गए थे। डीएसपी ने बताया कि मामले से जुडी फाइलों के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपियां और कुछ अन्य जानकारियां ली गई है। इसके अलावा सिविक सेन्टर से जुडी सभी रजिस्ट्रियों की प्रतिलिपियां भी मांगी गई है। रजिस्ट्रार कार्यालय से भी नगर निगम द्वारा कराई गई सिविक सेन्टर के भूखण्डों की लीज डीड और इसके लीज धारकों द्वारा आगे अन्य व्यक्तियों को करवाई गई रजिस्ट्रियों की प्रमाणित प्रतिलिपियां ली गई है। इन दस्तावेजों के अध्ययन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम मामला: पार्षदों के विरोध के बाद राजस्व विभाग के सुनील कपूर को भेजा घर, पवन सोलंकी स्वास्थ विभाग में अटैच
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। नगर निगम में गरमाया सिविक सेंटर का मामला अब एक के बाद एक निगम के भ्रष्ट विभागों को खाली करता नजर आ रहा है। फर्जी रजिस्ट्री व नामांतरण मामले में निगम आयुक्त एपीएस गहरवार व उपायुक्त विकास सोलंकी के नपने के बाद अब राजस्व विभाग के दो कर्मचारियों पर गाज गिरी है। निगम के सम्मेलन में पार्षदों ने दोनों कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की थी।
निगम के राजस्व विभाग में पदस्थ सहायक राजस्व निरीक्षक सुनील कपूर को तत्काल कार्यमुक्त किया गया। आपको बता दे कपूर निगम से रिटायर्ड हो चुके थे जिसके बाद संविदाकर्मी के रूप में उन्हें वापस उसी पद पर भर्ती कर लिया गया। जिसकी चर्चा भी खूब चली थी। वहीं राजस्व में पदस्थ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी पवन सोलंकी को राजस्व से हटाकर उसके मूल विभाग स्वास्थ्य विभाग में अटैच किया गया है। आपको बता दे सोलंकी की नियुक्ति असल में स्वास्थ्य विभाग में ही है। लेकीन उपायुक्त जैसे अधिकारियों की मेहरबानी के चलते सालों से पवन सोलंकी राजस्व जैसे मलाईदार विभाग में काबिज थे।
गैरजिम्मेदारी और हादसा : नई सड़क पर सीवरेज के खोदे गढ्ढे से गिरकर बूजुर्ग हुआ घायल, रहवासियों ने किया चक्काजाम
पब्लिक वार्ता – रतलाम,
जयदीप गुर्जर। सीवरेज, पाइप, रिपेयर के नाम पर तो कभी निर्माण के नाम पर नई सड़क को खोदना और छोड़ देना, रतलाम शहर में आम बात हो गई है। टैंकर कॉलोनी में सीवरेज के लिए नई सड़क खोद देने से मंगलवार को एक बुजुर्ग घायल हो गए। इसके बाद आक्रोशित रहवासियों ने चक्काजाम कर दिया। दूसरी ओर गांधीनगर से लेकर बिरियाखेड़ी तक कई इलाकों में सड़क बनाने के लिए महीनों से खुदी हुई सड़क लोगों को घायल कर रही है। सड़क निर्माण से पहले पूरे करने वाले कार्यों को बाद में करना कई सवाल खड़े करता है। ऐसे में जिम्मेदार निगम इंजीनियर और ठेकेदार का ध्यान कहां रहता है यह भी विचार करने वाली बात है।
नगर निगम की बिना ठोस प्लानिंग और योजना के तात्कालिक निर्माण लोगों के लिए लंबे समय से सरदर्द बने हुए हैं। इसी के चलते मंगलवार को टैंकर रोड पर रहवासियों ने जमकर आक्रोश जताया। रहवासी कमल पांचाल ने बताया कि टैंकर कॉलोनी में करीब 8 सालों की मांग के बाद हाल ही में सड़क निर्माण हुआ था। लेकिन सड़क बनाने के 3-4 महीने बाद ही सीवरेज लाइन डालने के नाम पर सड़क खोदकर खराब कर दी गई है। खोदी गई सड़क को ठीक से रिपेयर तक नहीं किया गया है जिसके कारण गड्ढ़े और गिट्टी के ढ़ेर पार करके निकलना पड़ता है। ऐेसे में आए दिन लोग गिरते रहते हैं। क्षेत्रवासी उजास शर्मा ने बताया मंगलवार दोपहर को सड़क से गुजर रहे क्षेत्र के ही रहवासी बुजुर्ग बद्रीलाल प्रजापत घायल हो गए। सिर से बहते खून के चलते उन्हें परिवार और पड़ोस के लोगों ने जिला अस्पताल में भर्ती करवाया। वहीं घटना के बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया और उन्होंने सड़क पर चक्काजाम कर दिया। ट्रैफिक रुकने की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पंहुची। खबर लिखे जाने तक कोई भी निगम का जिम्मेदार रहवासियों से चर्चा करने नहीं पहुंचा था।
MP में धार्मिक स्थलों के नीचे बिक रहा मांस!,CM Dr. Mohan Yadav के आदेश से बेरोजगारी? – PUBLIC VARTA
पब्लिक वार्ता/जयदीप गुर्जर : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने खुले में मांस-मछली के विक्रय तथा धार्मिक स्थलों के 100 मीटर के दायरे में मांस विक्रय पर प्रतिबंध के आदेश दिए है। रतलाम में करीब 200 परिवार इससे जुड़े है जिन पर सीधा असर पड़ेगा। गौर करने वाली बात है की नगर निगम पिछले 15 – 20 सालों से लाईसेंस नहीं बना रहा है। वहीं नगर में केवल 34 मांस विक्रेता ही लाइसेंसधारी है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर क्यों लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया रोकी हुई है। इसको लेकर अधिकारियों के पास भी कोई आदेश या जवाब नहीं है। जो 34 लाइसेंस है उनका ही केवल नवीनीकरण किया जा रहा है।
खुले में मांस बेच रहे विक्रेताओं का कहना है कि निगम लाईसेंस नहीं बनाता। हमे हटाने की बजाय कोई एक स्थान सरकार को देना चाहिये। हमारे परिवार का पालन पोषण इसी काम से होता है।
शहर में 100 मीटर के दायरे में मांस विक्रय पर रोक लगानी है। ऐसे में कई मांस की दुकानें धार्मिक स्थलों द्वारा किराए पर दी गई है। जहां मांसाहार की होटले संचालित है। ऐसे में इनको हटाना भी प्रशासन के।लिए बड़ी चुनौती का काम होगा।