Construction and Demolition Waste Management Rules: मलबे पर अब सख्त कानून: निर्माण से पहले बताना होगा – मलबा कहां जाएगा?

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नई दिल्ली- पब्लिक  वार्ता,

न्यूज़ डेस्क। Construction and Demolition Waste Management Rules: अब बात सिर्फ इमारतें खड़ी करने की नहीं, उन्हें गिराने के बाद बचने वाले मलबे की भी होगी — और इस बार सरकार ने इसे कानूनी रूप दे दिया है।

Construction and Demolition Waste Management Rules, 2024 अब औपचारिक रूप से अधिसूचित हो चुके हैं, जो 1 अप्रैल 2026 से पूरे देश में लागू होंगे। ये नियम 2016 वाले पुराने कानून की जगह लेंगे, लेकिन इस बार ज्यादा सख्ती, ज्यादा जवाबदेही और पूरी पारदर्शिता के साथ।

नए नियमों की प्रमुख बातें क्या हैं?

  1. एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (EPR)
    अब जो भी संस्था निर्माण या विध्वंस (डिमोलिशन) का काम कर रही है — चाहे वह निजी बिल्डर हो, सरकारी एजेंसी हो या कोई ठेकेदार — उसे अपने मलबे की पूरी जिम्मेदारी खुद उठानी होगी।
  2. हर प्रोजेक्ट के लिए जरूरी होगा वेस्ट मैनेजमेंट प्लान
    निर्माण शुरू करने से पहले यह बताना अनिवार्य होगा कि कितनी मात्रा में मलबा निकलेगा, उसे कैसे संग्रहित, स्थानांतरित और रिसाइकल किया जाएगा।
  3. रिसाइकलिंग के लिए तय किए गए टारगेट
  • वर्ष 2026-27 तक 5 प्रतिशत मलबा रिसाइकल करना अनिवार्य होगा
  • हर दो वर्षों में यह लक्ष्य 5 प्रतिशत बढ़ेगा
  • वर्ष 2030-31 और उसके बाद 25 प्रतिशत मलबा रिसाइकल करना अनिवार्य हो जाएगा
  1. रिसाइकल मटीरियल का अनिवार्य उपयोग
    सड़क निर्माण और अन्य बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में रिसाइकल किए गए मटीरियल का उपयोग चरणबद्ध तरीके से जरूरी होगा। यह प्रावधान नियमों के शेड्यूल II और III में शामिल है।
  2. ऑनलाइन पोर्टल से रजिस्ट्रेशन और ट्रैकिंग
    हर निर्माणकर्ता और एजेंसी को ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। मलबे की उत्पत्ति से लेकर उसके निस्तारण तक की पूरी जानकारी हर छह महीने में पोर्टल पर अपलोड करनी होगी।
  3. साइट पर प्रोसेसिंग को मिलेगा अतिरिक्त क्रेडिट
    यदि कोई संस्था साइट पर ही मलबे को प्रोसेस करती है, तो उसे अतिरिक्त ‘क्रेडिट पॉइंट्स’ दिए जाएंगे। यह टिकाऊ निर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  4. नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई
    नियमों का पालन न करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा, रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है, और पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति देनी होगी।
  5. किन्हें मिलेगी छूट
    सिर्फ रणनीतिक परियोजनाएं जैसे रक्षा, परमाणु ऊर्जा और प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी निर्माण गतिविधियों को इन नियमों से छूट दी गई है।

ऊर्जा क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा?

नए नियम सिर्फ रियल एस्टेट तक सीमित नहीं हैं। अब पावर सेक्टर से जुड़े सभी निर्माण कार्य भी इन नियमों के तहत आएंगे — चाहे वह थर्मल पावर प्लांट हो, सोलर पार्क हो या फिर ग्रीन एनर्जी के बड़े EPC प्रोजेक्ट्स।

इसका मतलब यह है कि अब ऊर्जा उत्पादन से पहले निर्माण प्रक्रिया में पर्यावरणीय जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी। EPC कंपनियों, पावर डेवलपर्स और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसियों को अपने मौजूदा टेंडर डॉक्युमेंट्स, वर्कफ़्लो और ऑन-ग्राउंड प्रथाओं की नए सिरे से समीक्षा करनी होगी।

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