
पेट्रोल पंप पर लगी लंबी लाइन, कलेक्टर ने कहा अफवाहों पर ना दे ध्यान, SSP ने चेताया! देखे वीडियो
पब्लिक वार्ता – नई दिल्ली/रतलाम,
जयदीप गुर्जर। देशभर में नए हिट एंड रन कानून के विरोध में बस और ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल ने जोर पकड़ लिया है। इसके अलावा रिक्शा, लोडिंग वाहन और निजी ट्रेवल्स के ड्राइवर्स भी हड़ताल में शामिल हो चुकेहै। देश में बेमियादी हड़ताल का सोमवार को तीसरा दिन रहा। इस दौरान 8 राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात में ड्राइवर हड़ताल पर रहे। तीसरे विरोध ने बड़ा रूप लेते हुए इसे उग्र बना दिया। ड्राइवर्स का हड़ताल करने का मुख्य कारण उन पर लागू किया गया नया एक्ट है। इसमें भारतीय न्याय संहिता 2023 में हुए संशोधन के बाद हिट एंड रन के मामलों में दोषी ड्राइवर पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना और 10 साल तक कैद का प्रावधान है। देशभर में ट्रांसपोर्ट यूनियनों नए भारतीय न्याय संहिता के अधिनियम के खिलाफ अपना विरोध जता रहे हैं. उन्होंने कानून को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है।
मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत अन्य शहरों में बसें नहीं चलीं। जबकि राजस्थान में आधे दिन प्राइवेट गाड़ियां नहीं चलीं। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रक ड्राइवरों ने सड़क पर वाहन खड़े कर टायरों में आग लगा दी। पब्लिक ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के बाद आम जनता को खासी परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है। तमाम बस ड्राइवर और ऑटो ड्राइवर हड़ताल पर चले गए हैं, जिसकी वजह से जनता परेशान है। किसी को अपने घर जाना है, तो किसी को अपने ऑफिस लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा बिल्कुल ठप कर दी गई है
रतलाम में भी रहा बंद
जिले में भी ड्राइवर्स की हड़ताल ने जोर पकड़ा। सब्जी व अनाज मंडियों सहित जरूरी ट्रांसपोर्ट सेवाएं ठप्प रही। पेट्रोल की किल्लत के चलते पंपो पर लंबी – लंबी कतारें लग गई। हालांकि शाम को कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार व एसपी राहुल लोढा ने बयान जारी कर जरूरी वस्तुओं के ट्रांसपोर्ट चालू रहने की बात कही। कलेक्टर ने कहा कि पेट्रोल की कोई किल्लत या कमी नहीं है लोग अफवाहों पर ध्यान ना दे। वहीं एसपी ने बताया कि जो भी आवश्यक वस्तुओं के ट्रांसपोर्ट में बाधा डालेगा उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई पुलिस द्वारा की जाएगी।
क्या है हिट-एंड-रन कानून?
भारतीय न्याय संहिता में हिट-एंड-रन मामले के नए प्रावधानों के मुताबिक, अगर कोई आरोपी ड्राइवर सड़क हादसे के बाद अधिकारियों को बिना सूचना दिए दुर्घटना स्थल से भाग जाता है तो उसे 10 साल की जेल की सजा काटनी पड़ेगी। साथ ही साथ 1 लाख से 7 लाख तक का अनुमानित जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है। नए कानून को दो श्रेणियों में रखा गया है. पहला, ‘लापरवाही से मौत का कारण’, अगर कोई आरोपी ड्राइवर मौत का कारण बनता है तो वह गैर इरादतन हत्या नहीं है। उसे अधिकतम पांच साल की जेल की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। दूसरा, कोई ड्राइवर लापरवाही या असावधानी से गाड़ी चलाकर किसी की मौत का कारण बनता है और भाग जाता है। साथ ही घटना के बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट नहीं करता है, तो उसे जुर्माना के साथ-साथ 10 साल तक की जेल का सामना करना पड़ेगा। मौजूदा समय में पहचान के बाद हिट-एंड-रन मामलों के आरोपियों पर धारा 304 ए के तहत मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें अधिकतम दो साल की जेल की सजा होती है।
सरकार करे विचार
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। संगठन के आह्वान पर ही चक्का जाम और हड़ताल शुरू हुई है। AIMTC की अगली बैठक 10 जनवरी को होगी। इसमें फैसला लिया जाएगा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो किस तरह से सरकार के सामने अपना पक्ष रखा जाए।
AIMTC के अध्यक्ष अमृत मदान ने कहा कि हिट एंड रन कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है। भारत इस समय वाहन चालकों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

ट्रकों की हड़ताल से होगी समस्या
इस हड़ताल का आम आदमी पर सीधा असर देखने को मिलेगा। ट्रकों की हड़ताल होने से दूध, सब्जी और फलों की आवक नहीं होगी और कीमतों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। वहीं, पेट्रोल-डीजल की सप्लाई रुक जाएगी, जिससे लोकल ट्रांसपोर्ट और आम लोगों को आवाजाही में दिक्कत होगी।
भारत में 28 लाख से ज्यादा ट्रक हर साल 100 अरब किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करते हैं। देश में 80 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर हैं, जो हर दिन जरूरत का सामान एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसपोर्ट करते हैं। हड़ताल के कारण इतनी बढ़ी संख्या में ट्रकों के रुकने से जरूरी चीजों की किल्लत हो सकती है।